रोहित यादव बहू – बेटे में झगड़े की आवाज सुनकर शीला बाहर से कमरे में आई और बेटे आकाश से पूछा कि बहू से क्यों झगड़ा कर रहा है ? ” झगड़ा क्यों न करु, माँ ? यह देख, यह हर रोज तेरे पीने के दूध में पानी मिलाती है | आज मैंने इसे रंगे हाथों पकड़ लिया है |”- दूध का गिलास माँको दिखाते हुए आकाश ने कहा | बेटे की बात सुनकर माँ ने पहले कोने में खड़ी बहू की ओर देखा और फिर हँसकर कहा- ” बेटे, इसमें बहू का कोई दोष नहीं है | मैंने ही बहू को कह रखा है कि वह मुझे पानी मिला दूध ही दिया करे | क्योकि अब बुढ़ापा आ गया है | बूढ़ी काया शुद्ध दूध को पचा नहीं पाती है |” -इतना कह कर माँ कमरे से बाहर चली गई | आकाश ठगा-सा कभी दूध के गिलास को देख रहा था, तो कभी अपनी पत्नी की ओर | जिसके चेहरे पर पछतावे के भाव स्पष्ट झलक रहे थे | वह माँ की महानता को तोलता ही रह गया था | Post navigation लघुकथा…….. कद दादा रामविलास शर्मा ने रमेश सैनी को नचाया….?