मंडन मिश्रा भिवानी : हरियाणा में 2 सीटों के लिए होने जा रहे राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा अजय माकन को उम्मीदवार बनाए जाने को बीजेपी-जेजेपी निशाने पर ले रहे हैं। गठबंधन द्वारा कहा जा रहा है कि अजय माकन बाहरी उम्मीदवार हैं। दरअसल, यह कहते हुए दोनों ही पार्टियां भूल जाती हैं कि हरियाणा से सुरेश प्रभु और दुष्यंत गौतम जैसे उम्मीदवार राज्यसभा जा चुके हैं। दोनों ही बाहरी उम्मीदवार थे। बाहरी उम्मीदवार को राज्यसभा में भेजने का काम खुद सत्ताधारी बीजेपी-जेजेपी पहली ही कर चुकी हैं। ऐसे में बाहरी और भीतरी का राग अलापना किसी के गले उतरना संभव नहीं है। वैसे भी निर्दलीय के तौर पर ताल ठोक रहे विनोद शर्मा के बेटे कार्तिकेय शर्मा भी मूल रूप से पंजाब से ताल्लुक रखते हैं। विनोद शर्मा मूल रूप से दोराहा लुधियाना के वासी हैं। विनोद शर्मा ने पंजाब से ही अपनी राजनीति शुरू की थी, दोस्त होने के नाते भूपेंद्र सिंह हुड्डा का सपोर्ट मिलने के बाद वो अंबाला शिफ्ट हुए थे। बहरहाल, यह चुनाव बाहरी या भीतरी का नहीं, शह और मात का है। इसी को लेकर कांग्रेस और बीजेपी-जेजेपी गठबंधन चालें चल रहा है। गठबंधन को उम्मीद है कि वह कार्तिकेय शर्मा को जिताने के लिए जरूरी आंकड़ा जुटा लेगा। जबकि ऐसा तभी संभव है जब कम से कम कांग्रेस के 2 विधायक क्रॉस वोटिंग करें। लेकिन इन सबके बीच दो और विधायकों पर हरियाणा की जनता निगाह गढ़ाए हुए है। वह हैं अभय चौटाला और बलराज कुंडू। भूतकाल में भाजपाई और भाजपा के सहयोगी रहे इन नेताओं ने पिछले कुछ सालों से भाजपा विरोध की ही राजनीति की है। कई मौकों पर इन्होंने यहां तक आरोप लगाए हैं कि कांग्रेस बीजेपी की बी टीम है और वो असली बीजेपी विरोधी हैं। जेजेपी और अभय चौटाला के बीच कितनी कड़वाहट है, यह भी जगजाहिर है। ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि खुद जेजेपी ने जिस निर्दलीय उम्मीदवार को मैदान में उतारा है, क्या अभय चौटाला उस जजपा उम्मीदवार को वोट देंगे? यहीं सवाल बलराज कुंडू के सामने भी खड़ा होगा कि जिस बीजेपी-जेजेपी विरोध की वह राजनीति कर रहे हैं, क्या उसी के राज्यसभा उम्मीदवार को वह समर्थन देंगे? अगर दोनों विधायक ऐसा करते हैं तो कांग्रेस आरोप लगाएगी कि इनेलो व निर्दलीय अंदरखाते एक ही हैं। ये लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर हमेशा बीजेपी का ही सहयोग करते है। यह लोग जनता से वोट तो बीजेपी विरोध के नाम पर मांगते हैं लेकिन आखिर में किसी भी तरह के समर्थन की जरूरत पड़ने पर बीजेपी का ही सहयोग करते हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि अभय चौटाला और बलराज कुंडू अपने आप को इस लांछन से बचाना चाहेंगे या फिर इससे बेफिक्र बीजेपी-जेजेपी समर्थित उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा को वोट देंगे? यह राज्यसभा चुनाव उन कांग्रेसियों का भी भविष्य तय करेगा जो रह-रहकर बागी सुर अख्तियार करते रहते हैं। इनमें से एक नाम कुलदीप बिश्नोई का है। यह चुनाव तय करेगा कि वह कांग्रेस में ही रहेंगे या फिर भाजपा का दामन थामेंगे? इस बीच अगर कोई अन्य कांग्रेसी विधायक क्रॉस वोटिंग करता है तो उसका भी कांग्रेस में दी एंड निश्चित है। क्योंकि इस बगावत की सीधी शिकायत हाईकमान को जाएगी। इस बार भूपेंद्र सिंह हुड्डा ही नहीं, अजय माकन और विवेक बंसल भी हाईकमान को एक ही रिपोर्ट भेजेंगे। इसलिए किसी भी बागी का उसके बाद पार्टी में बने रहना संभव नहीं है। इसलिए हरियाणा का यह राज्यसभा चुनाव सिर्फ किसी उम्मीदवार की हार-जीत नहीं बल्कि कुछ विधायकों का भविष्य भी तय करेगा। Post navigation अपने छात्रों से बहुत कुछ सीखने को मिला है: ऋतु सिंह जलभराव और सेम से प्रभावित जमीन को सुधारकर कृषि योग्य बनाया जाएगा: कृषि मंत्री जेपी दलाल