फसल लागत मूल्य के अनुसार खरीफ फसल एमएसपी में की गई बढोतरी ऊंट के मुंह में जीरा के समान : विद्रोही 09 जून 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने मोदी सरकार द्वारा वर्ष 2022 खरीफ सीजन के लिए खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में की गई बढोतरी को किसानों के साथ अन्याय बताया। विद्रोही ने आरोप लगाया कि फसल लागत मूल्य के अनुसार खरीफ फसल एमएसपी में की गई बढोतरी ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। हरियाणा-पंजाब देश में धान उत्पादक प्रदेशों में नम्बर वन में शुमार है लेकिन धान के भाव में 100 रूपये अर्थात 1940 रूपये से 2040 रूपये प्रति क्विंटल बढोतरी की है जबकि वर्ष 2021 में ही सी-2 फार्मूला के तहत पंजाब व हरियाणा में धान का उत्पादन लागत ही प्रति क्विंटल 2590 रूपये थी। मोदी सरकार ए-2 फार्मूले के तहत एमएसपी भाव की गणना करके किसानों को पहले ही मूर्ख बनाकर यह झूठा राग अलाप रही है कि वह किसानों को लागत मूल्य से डेढ़ गुणा ज्यादा भाव दे रही है। सच यह है कि मोदी सरकार किसी भी फसल का एमएसपी लागत मूल्य जितना भी नही दे रही है। विगत एक वर्ष में डीजल, रासायनिक खाद, बीज, कीटनाशक व अन्य कृषि यंत्रों के भाव बढने से किसानों की फसल लागत काफी बढ़ चुकी है। ऊपर से इसबार मंहगाई चरम पर है व बेरोजगारी विगत 45 वर्षो में सबसे ज्यादा है। ऐसी स्थिति में विद्रोही ने कहा कि घाटे की खेती में पीसते हुए किसान पर कृषि कर्ज बोढ़ बढ़ता जा रहा है। एक ओर फसलों का उसे लागत मूल्य तक नही मिल रहा है, वहीं बाजार से खरीदी जाने वाली जीवन उपयोगी वस्तुओं के भाव आसमान पर होने के कारण उसका आर्थिक संकट व कर्ज बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। विश्व बैंक अनुसार जिस व्यक्ति की दैनिक आय 167 रूपये से कम है, वह गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाला व्यक्ति है। इस लिहाज से किसान की हालत गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले व्यक्ति जैसी ही है। विद्रोही ने कहा कि मोदीे सरकार द्वारा वर्ष 2022 खरीफ फसलों की एमएसपी औसतन 6.08 प्रतिशत की वृद्धि की है जबकि हर चीज की महंगाई दर 8 प्रतिशत बढ़ चुकी है। बढ़ती महंगाई की तुलना में न्यूनतम समर्थन मूल्य में की गई मामूली बढोतरी बेमानी है। पिछले वर्ष की तुलना में डीजल, खाद, कीटनाशक, बीज व कृषि यंत्रों के भावों की बढोतरी को मिलाने के बाद किसान फसलों की लागत तुलना में खरीफ 2022 की एमएसपी बढी नही अपितु धटी है। मोदी सरकार द्वारा घोषित एमएसपी अनुसार अरहर उड़द में 4.7 प्रतिशत, मक्का में 4.9 प्रतिशत, बाजरा व धान में 5.1 प्रतिशत, मंूग में 6.5 प्रतिशत, तिल में 7.1 प्रतिशत, ज्वार में 7.8 प्रतिशत व सोयाबीन में 8.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। विद्रोही ने कहा कि उल्लेखनीय यह भी है कि सरकार मूंग, तिल, ज्वार, सोयाबीन, दालों की एमएसपी सरकारी खरीद न के बराबर करती है और इन फसलों का भाव के लिए किसान को पूर्णतया बाजार पर निर्भर रहना पड़ता है और किसान को एमएसपी से कहीं नीचेे दामों पर अपनी इन फसलों को बेचना पड़ता है। मोदी सरकार सत्ता बल पर मीडिया का दुरूपयोग करके जिस तरह एमएसपी बढोतरी का गुणगान कर रही है, वह धरातल की वास्तविकता से कोसो दूर है। Post navigation खेलो इंडिया का आयोजन पंचकूला में होना फक्र की बात – ज्ञानचंद गुप्ता दीपक धनखड़ बने छात्र संगठन सीवाईएसएस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष