श्री गोविंदानंद आश्रम में भगवद चिन्तन पर चर्चा करते हुए महंत सर्वेश्वरी गिरि जी महाराज।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

महंत सर्वेश्वरी गिरि

पिहोवा : श्री गोविंदानंद आश्रम की महंत सर्वेश्वरी गिरि जी महाराज ने आज मानव जीवन में विनम्रता विषय पर चर्चा करते हुए बताया की विनम्रता का अर्थ सबकी सुन लेना नहीं अपितु स्वयं की सुन लेना है। विनम्र मनुष्य का अर्थ ही वह मनुष्य है जो दूसरों की कम और स्वयं की आत्मा की आवाज को ज्यादा सुनता हो। स्वयं की आवाज सुनने वाला मनुष्य कभी भी उग्र नहीं हो सकता क्योंकि उग्रता का कारण ही केवल इतना सा है कि स्वयं की आवाज को अनसुना कर देना।

महंत जी ने बताया की जो मनुष्य सबकी सुने मगर स्वयं की न सुने, तो समझ लेना वह व्यक्ति कभी भी वास्तविक विनम्र नहीं हो सकता। उसकी वह विनम्रता केवल और केवल दिखावे से ज्यादा कुछ नहीं।

विनम्रता झुकना नहीं सिखाती अपितु स्वाभिमान के साथ जीना सिखाती है। सबको सुनना फिर स्वयं को सुनना फिर उसे गुनना और फिर कुछ कहना, इसी का नाम तो विनम्रता है।

महंत सर्वेश्वरी गिरि जी महाराज ने सभी भगतों के कल्याण की मंगलकामना की सभी सुखी रहे माँ जगतजन्नी सभी को स्वयं समझने और चिन्तन मन्थन करने की शक्ति प्रदान करे।