युवा आयेाग के मुकेश चेयरमैन गौड़ की सक्रियता से बदले समीकरण, भाजपा को छोडऩा होगा टिकट का पुराना फार्मुला, पार्टी का चुनाव प्रवेक्षक की रिपोर्ट का महत्व बढ़ा, जेजेपी की प्रत्याशी की घोषणा के बाद भाजपा की पररेशानी बढ़ी, कांग्रेस अब चुनाव में प्रत्याशी का देगी अपना समर्थन

ईश्वर धामु

भिवानी नगर पालिका चुनाव की प्रक्रिया नामांकन के साथ प्रारम्भ हो गई है। नामांकन के पहले दिन केवल एक महिला ने अपना पर्चा दाखिल किया। अभी सभी की नजरे भाजपा केे फैसले पर लगी हुई है। भाजपा कल एक जून को पंचकूला में चुनाव कमटी की बैठक कर इस बारे निर्णय लेगी। यह तो तय है कि भाजपा नगर परिषद चेयरमैन का चुनाव पार्टी के चुनाव चिंह पर लड़ेगी, बाकि वार्ड स्तर पर निर्णय पार्टी ने जिला इकाई पर छोड़ा है। बताया गया है कि पार्टी आलाकमान ने अभी जिला इकाई का निर्देश जारी नहीं किए हैं।

भिवानी नगर परिषद के चेयरमैन पद के लिए भाजपा की टिकट का निर्णय पार्टी के लिए सिरदर्द बन चला है। चेयरमैन पद की टिकट को लेकर भिवानी के सांसद रेडमैन धर्मबीर सिंह और विधायक घनश्याम सर्राफ के बीच रस्साकशी जारी है। यह जाहिर है कि सांसद रेडमैन भाजपा के प्रदेश कार्यकारिणी के विशेष आमंत्रित सदस्य विरेन्द्र कौशिक की धर्मपत्नी पुष्पा कौशिक के लिए प्रयास कर रहे हैं। लेकिन सार्वजनिक रूप से सांसद ऐसे प्रयासों को सिरे से नक्कारते हैं। उनका कहना बताते हैं कि वें लोकल राजनीति मेें हिस्सेदार नहीं बनता पशंद करते।

वहीं विधायक सर्राफ नगर परिषद के पूर्व चेयरमैन भवानी प्रताप सिंह की धर्मपत्नी के लिए कौशिश करने में लगे हुए हैं। परन्तु चर्चाओं के अनुसार किन्ही हालातों में भवानी प्रताप सिंह की धर्मपत्नी को टिकट नहीं मिल पाती है तो विधायक सर्राफ अपने विश्वसनीय समर्थक अनिल सोनी की धर्मपत्नी केे लिए प्रयास कर सकते हैं? विधायक सर्राफ ने तो एक बार मीडिया के सामने यह भी कहा था कि टिकट तो उनकी जेब में है, जब चाहेंगे निकाल लेंगे। पर अब टिकट इतनी आसान नजर नहीं आ रही है।

वैसे भी भाजपा आलाकमान के लिए भिवानी नगर परिषद के चेयरमैन पद के लिए टिकट देना इतना आसान नहीं रहा है। कारण कि भाजपा ने टिकट के लिए जो पैमाना तय किया था, उसके अनुसार टिकट उसको दी जानी थी, जिसकी सीआईडी रिपोर्ट और पार्टी का सर्वे पक्ष में होगा। बताया गया है कि अब हालात ऐसे बन गए हैं कि जिसके पक्ष मेें सर्वे और सीआईडी की रिपोर्ट है, उसका नाम सांसद और विधायक की सूची में नहीं हैै। और जिनका नाम विधायक और सांसद की सूची में हैं, उनके पक्ष में सीआईडी रिपोर्ट और पार्टी सर्वे पक्ष में नहीं है। ऐसे में टिकट पार्टी के सामने एक यक्ष प्रश्र बन गई है। भाजपा से जुड़े सूत्रों के अनुसार अब पार्टी आलाकमान भिवानी नगर परिषद के चेयरमैन पद के लिए टिकट का नया फार्मुला बना रही है। इस बारे में जल्द खुलासा होने की उम्मीद जताई जा रही है।

चर्चाकारों का कहना है कि भाजपा अब टिकट के लिए पार्टी द्वारा भेजे गए प्रवेक्षक और जिला प्रधान की रिपोर्ट को आधार बनायेगी। भिवानी के प्रवेक्षक पूर्व विधायक नायब सिंह सैनी कल होने वाली चुनावी बैठक में अपनी रिपोर्ट पेश कर देंगे। वहीं पर जिला प्रधानों से भी रिपोर्ट मांग ली जायेगी। बताया तो यह गया है कि जिला प्रधान अपनी सूची आलाकमान को भेज चुके हैं पर अब बदले हालातों में इनसे जीताऊ प्रत्याशियों के नाम मांगेे जायेगे।

इसी को लेकर जिला प्रधान शंकर धूपड़ ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है और उन्होने अपने सूत्रों से दमदार प्रत्याशियों के नाम जानने शुरू कर दिए हैं। धूपड़ का प्रयास है कि चेयरमैन भाजपा का बने। वहीं, इन्ही तेजी से बदलते हालातों में हरियाणा युवा आयोग के चेयरमैन मुकेश गौड़ ने भी अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। अभी तक मुकेश गौड़ इन चुनाव को लेकर अधिक सक्रिय नहीं थे। परन्तु बदले हालातों में उन्होने अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। मुकेश गौड़ के सक्रिए होने से भाजपा की राजनीति में हलचल बढ़ गई है। क्योकि मुकेश गौड़ के पार्टी के शीर्ष नेताओं से सम्बंध जगजाहिर है। बताया गया है कि अब गौड़ अपने उच्च सम्बंधों का लाभ उठाना चाहेंगे। कहा तो यह जा रहा है कि वें सांसद और विधायक के प्रत्याशियों के अलावा अन्य टिकटार्थी के लिए अपने सम्बंधों का लाभ लेना चाहेंगे। क्योकि इन तीनों की राजनैतिक राशि मेल नहीं खाती।  

अब कांग्रेस ने पार्टी के चुनाव चिंह पर चुनाव न लडऩे का ऐलान कर नए हालात पैदा कर दिए हैं। अब कोई भी प्रत्याशी आयेगा, वो कांग्रेस समर्थित हो सकता है। अभी तक कांग्रेस टिकट के लिये पहले नम्बर पर रही मीनू अग्रवाल को अब बदले हालातों में फिर से निर्णय लेना होगा। क्योकि पार्टी लाइन से हट कर होने के कारण जरूरी नहीं होता कि पार्टी के कार्यकर्ता चुनाव में उसी को वोट करेंगे। आप की प्रत्याशी इंदू शर्मा  की पहले से ही घोषणा हो चुकी है। अब भिवानी का मतदाता भाजपा की घोषणा का इंतजार कर रहा है। वहीं, भाजपा की सत्ता में सहयोगी पार्टी जेजेपी ने शमां मान को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। शमां मान जेजेपी के स्थानीय निकाय प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक ईश्वर मान की धर्मपत्नी है। जेजेपी से चुनाव मेें अलग होने से भाजपा की चुनावी राजनीति में बदलाव आना स्वभाविक है। देखना होगा कि भाजपा का अगला कदम क्या होगा?