हरियाणा प्रदेश की भाषा, रहन-सहन, संस्कृति और संस्कार हमेशा से ही फिल्मी जगत को प्रभावित करता आया है। यही वजह है कि मुम्बई की फिल्मों में भी हरियाणवी कला और संस्कृति लगातार नज़र आ रही है। अब वक्त आ गया है कि प्रदेश सरकार भी हरियाणा से जुड़े फिल्मकारों को सरकार अधिक से अधिक प्रोत्साहन दे ताकि हरियाणा का सिनेमा भी मुम्बई और पंजाबी सिनेमा जैसा मुकाम हासिल करे। ये कहना है प्रसिद्ध फ़िल्म अभिनेता पंकज बेरी का। वे निर्माता निर्देशक राजिन्दर वर्मा यशबाबू के आवास पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। पंकज बेरी मूलरूप से पिंजौर के रहने वाले हैं। वे थिएटर, टीवी, सिनेमा से जुड़े हैं। ’48कोस’ हिंदी फिल्म में अहम किरदार निभा रहे पंकज बेरी ने कहा कि हरियाणा के असंख्य कलाकार, निर्माता, निर्देशक फिल्मों के निर्माण, निर्देशन में जुटे हुए हैं। जिन्हें शूटिंग के लिए अन्य राज्यों की ओर रुख करना पड़ता है यदि प्रदेश सरकार इन फिल्मकारों को आर्थिक रूप से प्रोत्साहन दे तो हरियाणवी सिनेमा बुलंदियों को छू सकता है। निर्माता-निर्देशक राजिन्दर वर्मा ने कहा कि वे अपनी फिल्मों के माध्यम से हरियाणवी सभ्यता और संस्कृति को दुनियाभर में प्रचारित करने की मुहिम चलाये हुए हैं ताकि दर्शकों का मनोरंजन के साथ-साथ हरियाणा के पर्यटन स्थलों के बारे में भी दुनियाभर के लोग अवगत हो सकते। वे अपनी फिल्मों ‘ए डॉटर्स टेल पंख’, ‘फोर्टी प्लस’, ‘कर्मक्षेत्र’ के माध्यम से हरियाणा को दुनियाभर में प्रचारित कर रहे हैं। अब उनके बैनर ‘यशबाबू एंटरटेनमेंट’ के बैनर तले बनी हिंदी फिल्म ’48कोस’ के माध्यम से भी उन्होंने प्राचीन गुरुकुल शिक्षा प्रणाली के साथ-साथ, बुजुर्गों के मान-सम्मान, सभ्यता, संस्कृति को दर्शाने की कोशिश की है। ’48कोस’ फ़िल्म आगामी माह 8 जुलाई को देशभर के सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने जा रही है। इस फ़िल्म में पंकज बेरी, अनिल धवन, अरुण बक्शी, पारुल कौशिक व अन्य कई कलाकार मुख्य भूमिका में हैं। Post navigation चंद्रावल से दादा लखमी तक का सुहाना सफर …….. हरियाणवी फिल्म के लिए उठी आवाज सप्तक कल्चरल सोसाइटी…. घर फूँक थियेटर फेस्टिवल में नाटक ‘हाशिया’ का हुआ मंचन