-बृजपाल सिंह परमार के तीन बच्चों के हलवासिया स्कूल में दाखिले की दी थी झूठी शिकायत – वर्तमान जिला शिक्षा अधिकारी की रिपोर्ट के बाद पुलिस ने झूठी शिकायत को किया दफ्तर दाखिल -आरटीआई में पुलिस ने उपलब्ध कराए बृजपाल सिंह परमार को झूठी शिकायत के दस्तावेज -हालवासिया स्कूल प्राचार्य विमलेश आर्य व शिकायतकर्ता मुरारीलाल ने षड्यंत्र के तहत दी थी पुलिस में झूठी शिकायत भिवानी, 26 मई। सांच को आंच नहीं। यह बात एक बार फिर से प्रमाणित हुई है। दरअसल आरटीआई कार्यकर्ता एवं स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार के तीन बच्चों के नियम 134ए के तहत मुफ्त दाखिलों को लेकर हलवासिया स्कूल के प्राचार्य विमलेश आर्य व शिकायतकर्ता मुरारीलाल गुप्ता ने सड्यंत्र के तहत पुलिस को झूठी शिकायत दी थी। जिसकी पुलिस ने जांच की तो यह सामने आया कि नियम 134ए के तहत 17 बच्चों के मुफ्त दाखिले पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश पर हुए थे। जिसकी पुष्टि भी वर्तमान जिला शिक्षा अधिकारी रामअवतार शर्मा के कार्यालय से मिले दस्तावेजों में हो गई। वहीं बृजपाल सिंह परमार ने भी पुलिस को जांच के दौरान तीनों बच्चों के दाखिला संबंधी सभी दस्तावेज उपलब्ध कराए थे। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की रिपोर्ट और बृजपाल सिंह परमार के दस्तावेजों की जांच के बाद पुलिस ने हलवासिया स्कूल के प्राचार्य विमलेश आर्य और मुरारीलाल गुप्ता की झूठी शिकायतों को दरफ्तर दाखिल कर दिया है। पुलिस ने बृजपाल सिंह परमार को भी आरटीआई में झूठी शिकायत को दफ्तर दाखिल किए जाने के दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं। बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के आदेश पर भिवानी जिले के 17 बच्चों के नियम 134ए के तहत दाखिले हुए थे। इन दाखिलों की रिपोर्ट जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से शिक्षा निदेशालय को ईमेल से भेजी गई थी। इसके बावजूद हलवासिया स्कूल के प्राचार्य विमलेश आर्य और मुरारीलाल गुप्ता ने किसी के कहने पर सड्यंत्र के तहत उसके बच्चों की झूठी शिकायत दबाव बनाने की नियत से पुलिस में दी गई थी। जिसकी जांच के बाद सच्चाई अब सबके सामने आ चुकी है। बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि निवर्तमान जिला शिक्षा अधिकारी अजीत सिंह श्योराण ने उसके बच्चों की दाखिलों की फर्जी जांच रिपोर्ट तैयार की थी। जिसमें बृजपाल सिंह का कोई पक्ष भी नहीं जाना गया था और न ही इस जांच में कोई अन्य शिक्षा अधिकारी शामिल किया गया। जबकि स्वयंभू जांच अधिकारी खुद जिला शिक्षा अधिकारी अजीत सिंह ही बन बैठै थे। इस जांच रिपोर्ट को आधार बनाकर हलवासिया स्कूल के प्राचार्य विमलेश आर्य और तथाकथित शिकायतकर्ता मुरारीलाल गुप्ता ने सड्यंत्र के तहत पुलिस अधीक्षक को झूठी शिकायत दे दी। स्कूल ने भी उसे 7 लाख 31 हजार 194 रुपये रिकवरी का नोटिस भेज दिया था। स्कूल प्राचार्य व तथाकथित मुरारीलाल ने झूठी शिकायत कर बृजपाल सिंह परमार की छवि को धूमिल करने की कोशिश की गई थी। बृजपाल ने बताया कि निवर्तमान जिला शिक्षा अधिकारी अजीत सिंह के खिलाफ हाई कोर्ट में एक ही समय में दो सरकारी नौकरी करने, फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने पर दिव्यांग आयुक्त के समक्ष मामले विचाराधीन चल रहे हैं। जबकि एक निजी स्कूल को फर्जी फायर एनओसी दिलाने के मामले में भी जूईकलां पुलिस थाना में बृजपाल सिंह परमार की शिकायत पर आरोपी निवर्तमान जिला शिक्षा अधिकारी अजीत सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी व मिलीभगत का केस दर्ज है। इन गंभीर मामलों में बृजपाल पर दबाव बनाने और शहर के एक निजी अस्पताल संचालक की सैय पर तथाकथित शिकायतकर्ता मुरारीलाल व हलवासिया स्कूल प्राचार्य विमलेश आर्य की मिलीभगत से सड्यंत्र के तहत ये पूरा चक्रव्यूह रचा गया था। जिसकी पुलिस की जांच के बाद शिकायत ही झूठी पाए जाने पर पोल खुल गई। फर्जी संगठन चलाने की भी दी थी झूठी शिकायत…………… बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि फर्जी संगठन चलाए जाने की झूठी शिकायत भी तथाकथित मुरारीलाल से दिलाई गई थी। जिसकी जांच जिला फर्म एंड सोसायटीज के रजिस्ट्रार द्वारा की गई। जांच के बाद ये शिकायत भी रजिस्ट्रार की रिपोर्ट के बाद झूठी पाई गई थी। बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि उसका संगठन स्वास्थ्य और शिक्षा को लेकर प्रदेश स्तर पर काम कर रहा है। आरटीआई में फर्म एंड सोसायटीज रजिस्ट्रार की जांच रिपोर्ट भी उनके पास आ गई। जिसमें संगठन पर गबन और फर्जी होने का आरोप लगाया था, इस शिकायत में भी बृजपाल परमार पर कोई भी आरोप सिद्ध नहीं हुआ था। ये शिकायत भी निराधार और झूठी पाई गई थी। मुरारीलाल, विमलेश आर्य व उसके सहयोगियों पर करेंगे मानहानि का दावा ……………….बृजपाल सिंह परमार ने कहा कि एक के बाद एक उनकी कई झूठी शिकायतें पुलिस व संबंधित विभागों को दी गई। जिनकी जांच में सभी शिकायतें झूठी और निराधार पाई गई हैं। उन पर नाजायज मानसिक दबाव बनाने और उनके संगठन को बदनाम करने की नियत से शिकायतों पर शिकायतें करने वाले तथाकथित मुरारीलाल व प्राचार्य विमलेश आर्य व उनके सहयोगियों के खिलाफ न्यायालय में मानहानि का दावा दायर किया जाएगा। ताकि भविष्य में वे संगठन को बदनाम करने की कुचेष्ठा न कर सकें। Post navigation क्वाड के पीछे का मकसद हिंद-प्रशांत में रणनीतिक समुद्री मार्गों को सैन्य या राजनीतिक प्रभाव से मुक्त रखना है। बिना मलकियत शामलात भूमि पर अधिकारियों से सांठगांठ कर अवैध अस्पताल भवन निर्माण मामले में हाई कोर्ट ने किया नोटिस