हिसार: 26 मई – जीवाणु प्रतिरोधकता 21वीं सदी की गंभीर समस्या है जो कृषि वातावरण को निरतंर प्रभावित करके कृषि उत्पादन के लिए चुनौती पैदा कर रही है।  इस समस्या से निपटने के लिए अनुसंधान की नवीनतम विधियों का उपयोग करके उनकी रोकथाम की दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है। यह बात चौधरी चरण ंिसंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने कही। वे इजराइल के वालकेनी रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक डॉ. एडी साइट्रिन  द्वारा विश्वविद्यालय के इंटरनेशनल सैल की ओर से आयोजित ऑनलाइन व्याख्यान में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे।

कुलपति ने कहा आज देश खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर है परन्तु फसलों पर कीटों व रोगों का प्रकोप जैसे अनेक जैविक व अजैविक दबाव कृषि पैदावार के लिए गंभीर चुनौती बने हुए है। इस परिस्थिति में निरंतर बढ़ रही जनसंख्या को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए कृषि उत्पादन को प्रभावित करने वाले घटकों से निपटना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा विश्वविद्यालय विश्व के प्रतिष्ठित शोध संस्थानों के साथ अनुसंधान व अकादमिक सहयोग मजबूत करने की दिशा में बढ़ रहा है ताकि उनके सहयोग से कृषि की चुनौतियों से सरलता से निपटा जा सके।  उन्होंने कहा यह व्याख्यान भी अनुसंधान और अकादमिक सहयोग को आगे बढ़ाने की दिशा में एक कदम है।

इस अवसर पर इजराइल के वैज्ञानिक डॉ. एडी साइट्रिन  ने एंटीबायोटिक रजिस्टेंस एग्रो एनवायरमेंट विषय पर दिए गए व्याख्यान में नेक्सट जनरेशन सिकवेनसिंग का उपयोग करके एंटी बायोटिक प्रतिरोधक जीवाणु का मापदंड करने की विधि और दूषित जल को जीवाणु प्रतिरोधक करके उसको कृषि के लिए उपयोगी बनाने के बारे में प्रकाश डाला। उन्होंने कहा इस विधि से जहां जल की क्षति पूर्ति करने में बहुत सहायता मिलेगी वहीं वातावरण को स्वस्थ रखने में मदद मिलेगी जिससे रोग प्रतिरोधक जीवाणु को और आगे प्रतिरोधक होने से रोका जा सकेगा।

इस मौके पर स्नातकोत्तर शिक्षा अधिष्ठाता, डॉ. के.डी. शर्मा ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और इंटरनेशनल सैल की प्रभारी, डॉ. आशा क्वात्रा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय मामलों के संयोजक  डॉ. अनुज राणा की ओर से किया गया था। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक, अधिकारी एवं अन्य कर्मचारी भी मौजूद रहे ।

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