उपायुक्त ने की पहल, अपनी गाड़ी से बत्ती को हटवाया 
जिले के आला अधिकारी भी उपायुक्त का अनुकरण करेंगे क्या?

भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल । भले ही देश की केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने वीआईपी कल्चर को खत्म करते हुए और सुप्रीम कोर्ट,हाईकोर्ट ने आदेश जारी करते हुए गाड़ियों के ऊपर लगी कुछ एक वाहनों को छोड़कर वीआईपी सभी प्रकार की बत्तियां को हटाने के आदेश दे दिए हो, लेकिन जिला महेंद्रगढ़ में इन आदेशों की सरकारी अधिकारियों के द्वारा जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। हाल ही में एडीजीपी ने भी इस प्रकार के आदेश जारी किए कि अवैध बत्तियों के खिलाफ पुलिस सख्त कार्रवाई करें।

तस्वीरो में आप देख सकते हैं कि किस प्रकार आगे प्लेट भी लगी है और ऊपर बत्ती भी लगी है जो कि सरासर गलत है। लेकिन कमाल की बात यह भी है यहां ऐसे ऐसे अधिकारियों की गाड़ियों पर भी ऐसी वीआईपी लाइटे लगी है जिन्हें अधिकार तक ही नहीं है। ऐसा नहीं कि किसी को दिखता नहीं हो लेकिन वह कहावत तो आपने सुनी होगी सांप के मुंह में हाथ दे कौन?

यहां सवाल यह खड़ा होता है कि जिन लोगों के ऊपर कानून की अनुपालना कराने का दायित्व होता है और वही लोग कानून का जमकर उल्लंघन करें इसे क्या कहा जाए। जिला उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक से लेकर अनेक अधिकारी बत्तियों को अपनी गाड़ियों पर लगाकर खुलकर दुरुपयोग ही नही कर रहे अपितु माननीय उच्च न्यायालय और अपने आला अधिकारियों के आदेश की अवमानना कर रहे है। आखिर जिला के प्रशासनिक अधिकारी और जिले की पुलिस आंख मूंद कर क्यों बैठी है?

जब एक आम आदमी अगर कानून की अवहेलना करता है तो उस पर तुरंत प्रभाव से कार्यवाही हो जाती है और वही जिन्हें कानून का ज्ञान भी है और स्वयं कानून की पालना भी करवाते हैं अगर खुद ही अवहेलना कर रहे हैं इन पर कारवाई आखिर करेगा कौन? हां इतना जरूर है कि अभी भी जिला महेंद्रगढ़ की सड़को पर वीआईपी कल्चर दौड़ता हुआ नजर आ रहा है।

शुक्रवार को जब पत्रकार वार्ता में इस बारे में जब पुलिस अधीक्षक से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि माननीय न्यायालय के आदेश का जो लोग उल्लघन कर रहे हैं वो वह अवमानना के दोषी हैं। पुलिस जल्द ही अवैध बत्तीयो के खिलाफ एक अभियान छेड़ेगी और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने मीडिया का आह्वान किया कि वह भी इस बारे में समाचार पत्रों के माध्यम से प्रशासन और सरकार के सामने ऐसे मामले को उठाए। 

वैसे सोशल मीडिया पर इस मुद्दे के उठाए जाने के बाद सबसे पहले उपायुक्त ने पहल की और उन्होंने अपनी गाड़ी से बत्ती को हटवा दिया। अब सवाल यह उठता है कि मामला पुलिस अधीक्षक के संज्ञान में आने के बाद और उपायुक्त की खुद की पहल के बाद अन्य अधिकारी भी उनका अनुकरण करेंगे क्या?

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