सुरेश गोयल धूप वाला

ज्ञान वापी या अन्य धार्मिक स्थलों का विवाद हिन्दू-मुस्लिम नजरिये से नही देखा जाना चाहिए।ज्ञानवापी सहित अन्य विवादित धार्मिक पूजा स्थल विदेशी आक्रांताओं द्वारा जानबूझ कर सोची समझी साजिश के तहत उन्हें गिराया गया उन्हें तहस- नहस किया गया ।ताकि गौरवशाली भारत की जनता का मनोबल तोड़ा जा सके । उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया सके। उनको भयभीत रखा जा सके । इतना ही नही वे इसके लिए अपने आपको गौरान्वित भी महसूस करते थे । वे मंदिरों को ध्वस्त करने के साथ साथ ऐसे प्रमाण भी छोड़ते गए जिससे भविष्य में यह सिद्ध किया जा सके ये कुकृत्य उन्होंने ही किए थे।ताकि हिन्दू जनमानस हमेशा ग्लानि महसूस करता रहे। और इतिहास कार उन्हें महान कह कर संबोधित करें।

अपने इतिहासिक धार्मिक व अपनी आस्था के प्रतिक रहे स्थलों को पुर्नस्थापना के लिए भारत का जनमानस अब पूरी तरह से जागृत हो चुका है। अब इसे कानूनी तरीके से हासिल करने में सक्रिय भी हो चुका है ।

धार्मिक स्थल के इस विवाद में हिन्दू- मुस्लिम विवाद का कोई अर्थ है ही नही।यह तो केवल कुछ लोग राजनीतिक लाभ पाने के उद्देश्य से इसे राजनीतिक रंग देने का प्रयास कर रहे हैं।

वास्तव में भारतीय मुसलमानों का तो मंदिरों को ध्वस्त कर मस्जिदो का रूप देने में कोई भूमिका रही ही नही, उनके तो खुद के पूर्वज हिन्दू ही थे।मंदिरों के निर्माण भी उनके पूर्वजों द्वारा हुआ होगा।

भारत के अधिकतर तो हिन्दुओ को जबरन धर्म परिवर्तन करा कर मुसलमान बनाया गया है। ये तो वे लोग है जो विदेशी आक्रांताओं के सताए है , जिन्हें अपनी जान माल की सुरक्षा व अपनी इज्जत बचाने के लिए इस्लाम स्वीकार करना पड़ा।

पाकिस्तान में 1947 से हिंदुओं- सिखों अन्य धर्मो के अनुयायियों के साथ आज तक जो जुल्म ढाए जा रहें हैं उसको आसानी से समझा जा सकता है ।

यह विवाद वास्तव में हिन्दू-मुसलमानों के बीच का है ही नहो। यह विवाद तो भारत राष्ट्र और विदेशी आक्रमनकारियों अरब ,तुर्क मुगलो के बीच का है । मुगल काल के शासकों ने विशेषकर औरंगजेब ने भारत की जनता पर कितने अत्याचार किये कितने बेगुनाहों का खून बहाया गया। हिन्दू धार्मिक स्थलों को या तो ध्वस्त कर दिया गया अथवा उनके स्थान पर मस्जिदों का निर्माण करवाया गया।हिन्दुओ के लिए बेहद कठोर कानून बनाये गए। हिंदुओं के धार्मिक स्थलों पर भारी टैक्स लगाए गए।विदेशी आक्रांताओं द्वारा भारत की धन-संपदा को लूटा गया।

यह समय तो भारत के मुस्लिम वर्ग के जन जागरण का है।वे वोट बैंक का हिस्सा न बनकर व उन्हें बरगलाने वालो का साथ न देकर समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए कार्य करें ।

अब तो ज्ञानवापी में शिवलिंग मिलने के साथ ही अन्य पुख्ता प्रमाण भी मिल ही चुके है।वैसे भी मुस्लिम समाज को ही पहल करनी चाहिए की वे ज्ञानवापी को काशी विश्वनाथ मंदिर का हिस्सा बनवाने में अपना पूरा पूरा सहयोग करे । ओवेशी जैसे वोट के सौदागरों को दूर का रास्ता दिखाने में ही उनकी स्वयं की ही भलाई भी है ।

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