इस सांठगांठ से भीषण गर्मी में अघोषित बिजली कटौती को ‘‘भुगत रहे हैं हरियाणवी’’! रणदीप सिंह सुरजेवाला
सरकार के खजाने पर पड़ने वाले सालाना ₹51,282 करोड़ का जिम्मेवार कौन? रणदीप सिंह सुरजेवाला

चंडीगढ़ – हरियाणा भीषण बिजली कटौती के दौर से गुजर रहा है। असहनीय गर्मी लोगों को झुलसा रही है और 12 घंटे तक की बिजली कटौती ने जीवन दुश्वार कर दिया है। खेती सूखे की कगार पर है व पूरे प्रांत में उद्योग ठप्प पड़े हैं (अंबाला, यमुनानगर, कुंडली, फरीदाबाद, गुड़गांव, मानेसर)।
मई महीने में प्रांत को 9500 मेगावॉट बिजली की आवश्यकता है।

जुलाई से सितंबर, 2022 तक हर महीने प्रांत में बिजली की मांग लगभग 12,000 मेगावॉट होगी। इस मांग के मुकाबले में जून से सितंबर तक हर महीने 3000 मेगावॉट से 4000 मेगावॉट बिजली की कम आपूर्ति हो पाएगी। कारण – अडानी पॉवर, मुंद्रा, गुजरात से मिलने वाली 1424 मेगावॉट बिजली का 1 यूनिट भी न मिलना व प्रांतीय सरकार की विफलता के चलते खुद के बिजलीघरों में उत्पादन न हो पाना।

हरियाणा के लोग भुगत रहे हैं क्योंकि खट्टर सरकार की प्राईवेट बिजली उत्पादकों से मिलीभगत साफ है। हरियाणा के लोगों पर दोहरी मार पड़ रही है। पहला, हरियाणा को सस्ते रेट पर मिलने वाली कॉन्ट्रैक्टेड बिजली सप्लाई नहीं मिल पा रही। दूसरा, बिजली की कम आपूर्ति को पूरा करने के लिए हरियाणा को दोगुने रेट पर बिजली खरीदनी पड़ रही है। सरकार के खजाने को चूना लगाया जा रहा है और सत्ता में बैठे मठाधीश एक नए किस्म के क्रोनी कैपिटलिज़्म को बढ़ावा दे रहे हैं।

अकाट्य तथ्य

(i) 24-11-2007 – अडानी पॉवर ने 25 साल के लिए 1424 मेगावॉट बिजली ₹2.94/Kwh हरियाणा को सप्लाई करने के लिए कंपटिटिव बिड दी।
(ii) 31-07-2008 – अडानी पॉवर की बिड मंजूर कर ली गई। 07 अगस्त, 2008 को हरियाणा की बिजली कंपनियों द्वारा 1424 मेगावॉट बिजली ₹2.94प्रति यूनिट के रेट से 25 साल के लिए खरीदने हेतु अडानी पॉवर से ‘बिजली खरीद समझौता’ (PPA) कर लिया गया, जिसके तहत मुंद्रा से महेंद्रगढ़ तक अडानी पॉवर द्वारा बिजली की लाईन भी बिछाई गई।
(iii) 2010-11 – इंडोनेशिया में कोयले के रेट बारे कानून में बदलाव हुआ। इसके आधार पर अडानी पॉवर ने हरियाणा के साथ हुए पीपीए को सिरे से खारिज करने या बढ़ी हुई कोयले की कीमतें हरियाणा द्वारा दिए जाने की मांग रखी।
(iv) 11-04-2017 – Central Electricity Regulatory Commission (CERC) से सुप्रीम कोर्ट तक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अडानी पॉवर द्वारा पीपीए को सिरे से खारिज किए जाने या फिर इंडोनेशिया के कोयले की बढ़ी हुई कीमत हरियाणा द्वारा दिए जाने की मांग को सिरे से खारिज कर दिया (Energy Watchdog Vs CERC and Others 2017 Vol. 14 Supreme Court Cases 80)। सुप्रीम कोर्ट से स्पष्ट निर्णय दिया …
44. …Rise in the price of Indonesian coal, according to them, was unforeseen inasmuch as the PAs have been entered into sometime in 2006 to 2008, and the rise in price took place only in 2010 and 2011. Such rise in price is also not within their control at all and, therefore, Clause 12.3 read with Clause 12.7 would apply…

46…..This clause makes it clear that changes in the cost of fuel, or the agreement becoming onerous to perform, are not treated as force majeure events under the PPA itself.

47. We are, therefore, of the view that neither was the fundamental basis of the contract dislodged nor was any frustrating event, except for a rise in the price of coal, excluded by clause 12.4, pointed out…..Consequently, we are of the view that neither clause 12.3 nor 12.7, referable to Section 32 of the Contract Act, will apply so as to enable the grant of compensatory tariff to the respondents….Dr. Singhvi, however, argued that even if clause 12 is held inapplicable, the law laid down on frustration under Section 56 will apply so as to give the respondents the necessary relief on the ground of force majeure. Having once held that clause 12.4 applies as a result of which rise in the price of fuel cannot be regarded as a force majeure event contractually, it is difficult to appreciate a submission that in the alternative Section 56 will apply.

(v) साल 2021 से ही इंडोनेशिया के कोयले की बढ़ी हुई कीमतों को कारण बताकर अडानी पॉवर ने हरियाणा की बिजली कंपनियों को बिजली सप्लाई रोक रखी है। अडानी पॉवर को पीपीए के मुताबिक बिजली सप्लाई करने के लिए बाध्य करने की बजाय खट्टर सरकार ने रहस्यमयी चुप्पी साध रखी है। उल्टा खट्टर सरकार हरियाणा के खजाने पर सैकड़ों करोड़ रुपये का बोझ डालकर ₹5 से ₹8 प्रति यूनिट तक की शॉर्ट टर्म बिजली की खरीद कर रहे हैं।
(vi) कमाल की बात यह है कि खट्टर सरकार यह महंगी बिजली अडानी पॉवर की ‘रिस्क एवं कॉस्ट’ पर नहीं कर रही। यहां तक कि HERC ने भी खट्टर सरकार द्वारा महंगी बिजली की खरीद अडानी पॉवर की ‘‘रिस्क एंड कॉस्ट’’ पर न करने पर सवाल उठाया है। HERC के 6 अप्रैल, 2022 के आदेश की प्रतिलिपि संलग्नक A1 है।
(vii) हरियाणा सरकार ने अब 15 अप्रैल, 2022 से 14 अप्रैल, 2025 – 3 साल के लिए 500 मेगावॉट बिजली एमबी पॉवर, मध्यप्रदेश से ₹5.70 प्रति यूनिट की दर से व आरकेएम पॉवर, छत्तीसगढ़ से ₹5.75 प्रति यूनिट की दर से खरीदने का निर्णय किया है।
(viii) गौरतलब है कि अडानी पॉवर के पीपीए में जो बिजली हरियाणा को ₹2.94 प्रति यूनिट मिलनी थी, वह उपरोक्त दोनों PPA’s में ₹5.75 प्रति यूनिट की दर से मिलेगी। इसका मतलब हरियाणा को ₹2.81 प्रति यूनिटी कीमत अधिक देनी होगी। केवल 500 मेगावॉट बिजली खरीद पर, अतिरिक्त देय राशि ₹140.50 करोड़ प्रति दिन या ₹51,282 करोड़ सालाना होगी। ज्ञात रहे कि इसके अलावा भी हरियाणा शॉर्ट टर्म पॉवर के नाम पर और अधिक महंगी बिजली खरीद रहा है, क्योंकि अडानी पॉवर की बिजली उपलब्ध नहीं।
(ix) कमाल की बात यह है कि 22 अप्रैल, 2022 को ही मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर ने गुड़गांवां में बयान देकर कहा कि वह प्राईवेट बिजली उत्पादक कंपनियों को अनुरोध करेंगे कि वे ‘‘रीज़नेबल रेट’’ पर बिजली दें। अगर अडानी पॉवर को कोयले की बढ़ी हुई कीमतें दी गईं, तो सरकारी खजाने पर सालाना 2200 करोड़ रु. का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। कुछ इसी तरह की बात देश के बिजली मंत्री ने 19 अप्रैल, 2022 की बैठक में कही है।

खट्टर सरकार से जनता के सवाल

1. साल 2021 से लगातार 1424 मेगावॉट बिजली सप्लाई न करने पर भाजपा-जजपा सरकार द्वारा अडानी पॉवर के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई। मुख्यमंत्री व सरकार भविष्य में यह 1424 मेगावॉट बिजली सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए क्या कार्रवाई करेंगे?
2. खट्टर सरकार महंगी बिजली की खरीद अडानी पॉवर के ‘रिस्क व कॉस्ट’ पर क्यों नहीं कर रही?
3. 500 मेगावॉट महंगी बिजली ₹5.75 प्रति यूनिट खरीदने से सरकार के खजाने पर पड़ने वाले सालाना ₹51,282 करोड़ के बोझ की रिकवरी खट्टर सरकार कब तक और कैसे करेगी?
4. मुख्यमंत्री व केंद्रीय बिजली मंत्री अडानी पॉवर को पीपीए में निर्धारित ₹2.94 प्रति यूनिट के रेट के अलावा अतिरिक्त रेट देने की चर्चा बार-बार क्यों कर रहे हैं? क्या यह सही नहीं कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोयले की बढ़ी हुई कीमतों का मुआवज़ा हरियाणा सरकार द्वारा दिए जाने बारे अडानी पॉवर की दलील को पहले ही रद्द कर दिया गया है? क्या अडानी पॉवर को कोयले की बढ़ी कीमतों के भुगतान के कारण हरियाणा सरकार को 2200 करोड़ का अतिरिक्त चूना नहीं लगेगा? इसके लिए कौन जिम्मेवार होगा?

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