पटौदी नगर पालिका के डंपिंग यार्ड में ही क्यों लग रही बार-बार आग.

एनजीटी के आदेश और निर्देशों को ठेंगा दिखाने का सिलसिला है जारी

कूड़े करकट की आग के धुए और बदबू से आसपास के लोग हुए परेशान

दमकल विभाग की प्राथमिकता किसानों की फसल और फाने को बचाना

डंपिंग यार्ड में लगने वाली आग का पालिका प्रशासन के पास नहीं जवाब

फतह सिंह उजाला
पटौदी । एनजीटी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के स्पष्ट आदेश और निर्देश है कि नगर पालिका, नगर परिषद, नगर निगम क्षेत्र में कूड़े करकट के ढेर में आग लगना या लगाना एनजीटी के आदेशों की अवहेलना है। लेकिन पटौदी नगर पालिका प्रशासन के द्वारा एनजीटी के इस प्रकार के आदेश और निर्देशों को ठेंगा दिखाने का सिलसिला लगातार बना हुआ है । लाख टके का सवाल यह है कि ऐसा क्या कारण है कि पटौदी नगर पालिका के मोती डूंगरी के पास बने डंपिंग यार्ड अर्थात कूड़ा घर में ही बार-बार आग क्यों लगती है या फिर किसी योजनाबद्ध तरीके से साजिश के तहत यहां जमा कूड़े करकट के ढेर को आग लगाई जा रही है ? इन सब बातों का जवाब और रहस्यों का खुलासा करने की जिम्मेदारी पटौदी नगर पालिका के सचिव राजेश मेहता की सीधी सीधी बनती है ।

हैरानी इस बात को लेकर है कि पालिका अधिकारी डंपिंग यार्ड अर्थात कूड़ा करकट के ढेर में लगने वाली आग पर पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए, उफनते पारे के बावजूद मजे से अपने हाथ देखने का ही काम करते दिखाई दे रहे हैं । जानकारी के मुताबिक पटौदी नगर पालिका प्रशासन के द्वारा डंपिंग यार्ड साइट पर देखभाल के लिए एक कर्मचारी नियुक्त कर जिम्मेदारी तय की गई है । कर्मचारी की नियुक्ति डंपिंग यार्ड में और ड्यूटी होने के बावजूद यहां जमा कूड़े क्रिकेट में लगातार आग लगना या फिर लगाया जाना भी किसी रहस्य से कम नहीं है ? बीते 6 अप्रैल को भी पटौदी नगरपालिका के डंपिंग यार्ड में सुलगती आग को दमकल विभाग की टीम के द्वारा कड़ी मशक्कत के बाद बुझाया गया। 2 दिन पहले भी इसी डंपिंग यार्ड साइट पर पड़े कूड़े करकट के ढेर में आग लगी या लगाई गई ? कारण जो भी हो दमकल विभाग को फिर मौके पर पहुंचे कूड़े करकट में सुलगती आग को बुझाना पड़ा । कथित रूप से बुधवार को भी डंपिंग यार्ड साइड में सुलगती आग से धुआं निकलता बताया गया ।

इतना सब होने के बावजूद पटौदी नगर पालिका प्रशासन और संबंधित अधिकारी इस बात को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है कि डंपिंग यार्ड अथवा कूड़ा करकट घर में सुलगने वाली लगातार आग पर काबू पाने के लिए अपने स्तर पर ही प्राथमिक उपाय किए जाएं । इस मामले में आसपास के रहने वाले लोगों का भी कहना है कि कूड़े करकट के ढेर में अक्सर मृतक पशु और मवेशियों के अवशेष लाकर डाले जा रहे हैं । पटौदी में अनेक दुकानों पर या फिर रेहड़ी पर गोश्त या फिर मांस की बिक्री होती है । कथिम रूप से पटौदी शहर में ही बड़ी संख्या में कट्टी का भी काम किया जाता है । इसके बाद मांस अथवा गोश्त की बिक्री दुकानों पर होती है । ऐसे में जो भी कोई मृतक मवेशियों के अवशेष बचते हैं वह तमाम अवशेष डंपिंग यार्ड में ही पहुंचते हैं । डंपिंग यार्ड में कूड़े करकट के साथ मवेशियों पशुओं के अवशेष फेंके जाने के कारण जन स्वास्थ्य विभाग भी परेशानी का सामना करने के लिए मजबूर है । इस संदर्भ में विभाग के ही अधिकारियों की माने तो कई बार पटौदी नगर पालिका प्रशासन को कहा जा चुका है कि कूड़ा करकट इत्यादि डंपिंग यार्ड के अंदर दूर तक लाकर डाला जाए। लेकिन कई बार डंपिंग यार्ड के गेट पर ही कूड़े करकट को फेंक दिया जाता है ।

डंपिंग यार्ड में सुलगती आग को बुझाने के लिए कथित रूप से दमकल विभाग और कर्मचारियों पर इस बात का जवाब बनाया जा रहा है कि सबसे पहले डंपिंग यार्ड में सुलगने वाले कूड़े करकट की आग को बुझाया जाए।  कथित रूप से कई बार तो मौखिक रूप से पालिका के ही सफाई संबंधित कर्मचारियों के द्वारा धमकाने वाली शब्दावली का प्रयोग दमकल विभाग के कर्मचारियों के साथ भी किया जाने के मामले प्रकाश में आ चुके हैं । वही शहर के ही प्रबुद्ध नागरिकों का तर्क है कि जब लगातार डंपिंग यार्ड या फिर पूरा घर में आग सुलगती रहती है या लगती है तो ऐसे में आग लगने के आरंभिक सर पर ही आग को बुझाने के लिए डंपिंग यार्ड पर स्थाई रूप से नगर पालिका प्रशासन को एक पानी का टैंकर भी 24 घंटे उपलब्ध करवाया जाना चाहिए ।

किसान की फसल बचाना प्राथमिकता
इस मामले में बीते कुछ दिनों की आगजनी की घटनाओं पर ध्यान दिया जाए तो बीते 1 सप्ताह से लगातार किसी ने किसी गांव में किसानों की फसल या फिर फसल के बाद बचे अवशेष में अपरिहार्य कारणों से आग लगने की शिकायतें लगातार दमकल विभाग पटौदी के पास पहुंच रही है । दमकल विभाग के पास एक ही वाहन उपलब्ध है और कई बार तो एक ही दिन में दो से तीन अलग-अलग गांव में आगजनी की घटना की शिकायत दमकल विभाग के पास पहुंचती है । बुधवार को भी गांव फरीदपुर में निवर्तमान सरपंच संजय के यहां खेत मैं अचानक आग लग गई । यहां लगी आग के कारण फसल कटने के बाद पशु चारे के लिए बचा अवशेष भी आग की भेंट चढ़ गया। फिर भी दमकल विभाग और कर्मचारियों ने मौके पर पहुंचकर सुलगती आग के बीच में बने कमरों जो आग की चपेट में आने से बचाने का काम किया। इस घटना से एक दिन पहले भी अलग-अलग दो गांवों में किसानों की फसल के अवशेष या फिर पशु चारा के लिए तूडा में अचानक आग लग गई । सूत्रों के मुताबिक जिस समय यह सब आगजनी की घटना हुई नगर पालिका पटौदी के कारिंदे दमकल विभाग के कर्मचारियों पर इस बात के लिए दबाब डालते रहे कि पहले डंपिंग यार्ड में लगी आग को बुझाया जाए, यदि ऐसा नहीं किया तो उच्च अधिकारियों को शिकायत की जाएगी ।

कूड़ा से ज्यादा कीमती है फसल और अवशेष
मौजूदा वर्ष में जिस औसत में गेहूं की फसल की पैदावार किसानों के द्वारा बताई जा रही है , इन बातों को देखते हुए किसान की गेहूं की उपज अथवा फसल और फसल कटाई के बाद में बचे अवशेष या फिर फाने, कूड़ा-करकट से अधिक जरूरी और कीमती हैं । फसल के अवशेष, फाना से बना तूड़ा पशु चारा के काम में आता है । गेहूं की फसल साल भर की मेहनत के बाद में तैयार होती है, गेहूं की फसल मंडी में बेचकर किसान दो पैसे कमाता है और इसके बाद में साल भर अपना खर्चा परिवार का भरण पोषण व अन्य कार्य भी करता है । किसान की प्राथमिकता यही है बनी हुई है कि किसी भी प्रकार से उसकी फसल या फिर फसल कटाई के बाद खेत में बचे अवशेष को आग लगने के कारण किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचे । दूसरी तरफ कूड़ा करकट तो कूड़ा करकट का ढेर ही है , नगर पालिका प्रशासन दावे तो कई बार कर चुका की डंपिंग यार्ड में रीसायकल कर कूड़ा करकट से पालिका प्रशासन की इनकम बढ़ाई जाएगी। लेकिन यहां तो पटौदी नगर पालिका प्रशासन डंपिंग यार्ड में आग की आड़ में दमकल विभाग की टेंशन बढ़ाने में लगा दिखाई दे रहा है।

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