भाजपा-जजपा सरकार ने ग्रामीणों के लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन करने के लिए पंचायत चुनावों को 14 महीने लटकाया – सुरजेवाला

गावों में विकास कार्य पूरी तरह से ठप्प
ग्राम विकास का 2,400 करोड़ रुपए लैप्स हुआ

चंडीगढ़, 19 अप्रैल, 2022 – वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पार्टी के महासचिव, रणदीप सिंह सुरजेवाला ने हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार पर ग्रामीणों के लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन करते हुए पंचायतों के अधिकारों को सरकारी प्रशासकों के हाथों में सौंपे रखने के लिए पंचायत चुनावों को 14 महीने लटकवाने का आरोप लगाया है।

सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के प्रति दुर्भावनापूर्वक व्यवहार कर रही है, जिसके कारण प्रदेश की 6,200 से अधिक पंचायतें पिछले 14 महीने से भंग चल रही हैं और ग्राम विकास के लिए आवंटित 2,400 करोड़ रुपए का बजट 2021-22 में इस्तेमाल ना होने के कारण लैप्स हो गया। उन्होंने कहा कि पंचायतों के अधिकारों को भाजपा-जजपा नेताओं के इशारों पर चंद अधिकारी और कर्मचारी ही इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे विकास कार्यों में भ्रष्टाचार का बोलबाला है और गावों में विकास कार्य पूरी तरह से ठप्प पड़ गए हैं।

सुरजेवाला ने कहा कि प्रदेश में खंड विकास अधिकारियों के आधे पद और ग्राम सचिवों के लगभग 70 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं, जिसके अभाव में ग्रामीणों को अपने छोटे-छोटे कामों के लिए भी प्रशासकों से मिलने के लिए दूर-दराज के गावों और नजदीकी शहरों में चक्कर काटने पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्थानीय मुद्दों के अलावा पंचायत प्रतिनिधियों के पास पुलिस सत्यापन, चरित्र प्रमाण पत्र बनवाने, मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड आदि विभिन्न दस्तावेजों में त्रृटि सुधार, सत्यापन के लिए अधिकार होते थे, लेकिन पंचायत ना होने के कारण आम लोगों को प्रशासकों के पास जाना पड़ रहा है, जो ज्यादातर उनके गावों में उपलब्ध नहीं होते। पंचायती प्रतिनिधि लोगों के द्वारा चुने होते हैं इसलिए वे स्थानीय लोगों की प्राथमिकताओं के हिसाब से फैसले लेते हैं परन्तु अफ़सरशाही केवल भाजपा-जजपा नेताओं के इशारों और अपनी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के आधार पर फैसले ले रही है पर सरकार के रवैये के कारण प्रदेश के ग्रामीण दिन प्रतिदिन बढ़ती समस्याओं के बीच अफ़सर शाही के भरोसे जीने पर मजबूर हैं।

सुरजेवाला ने कहा कि हमारे संविधान के आर्टिकल 243 ई के मुताबिक सरकार पंचायती चुनावों को समय पर करवाने के लिए बाध्य है। उन्होंने कहा कि ऐसे एक मामले पर वे स्वयं सर्वोच्च न्यायालय में गए थे, जहाँ उनके पक्ष में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया था कि पंचायती चुनावों को किसी भी कोर्ट द्वारा न हीं टाला जा सकता, न हीं रोका जा सकता है। खट्टर-चौटाला सरकार ने पंचायती चुनावों को 14 महीने टालकर संवैधानिक प्रावधानों की उल्लंघना की है।

सुरजेवाला ने कहा कि हाल ही में प्रदेश के अनेक जिलों में सैंकड़ों करोडों रुपए के घोटाले और भ्रष्टाचार के अनेक मामले सामने आ चुके हैं और अनेक अधिकारी निलंबित भी चल रहे हैं। सरकार की अगर नीयत ठीक होती, तो कानूनी पेचीदगियों के बावजूद रास्ते निकाले जा सकते थे, लेकिन ऐसा लगता है कि यह सरकार सारी शक्तियों को अपने पास केंद्रित रखना चाहती है और इसीलिए जानबूझकर चुनाव ही नहीं करवाए जा रहे।

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