कृष्णा जैमिनी की दो पुस्तकें पहले भी प्रकाशित हो चुकी हैं
शब्द शक्ति साहित्यिक संस्था ने किया आयोजन

गुरुग्राम – शब्द शक्ति साहित्यिक संस्था , गुरुग्राम के तत्वावधान में लोकार्पण समारोह एवं पुस्तक चर्चा का आयोजन आर्य समाज मंदिर, मॉडल टाउन, गुरुग्राम में शुक्रवार , 15 अप्रैल 2022 को सायं 530 बजे किया गया । डॉ अशोक दिवाकर, डॉ मुक्ता, डॉ घमंडी लाल अग्रवाल , डॉ सुरेश वशिष्ठ, डॉ सरोज गुप्ता ने मंच को सुशोभित किया । अशोक शर्मा अक्स ने स्वागताध्यक्ष की भूमिका निभाई । अतिथिगण द्वारा दीप प्रज्जवलन एवं वीणा अग्रवाल के मधुर कंठ द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से विधिवत कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ । संस्थापक अध्यक्ष नरेंद्र गौड़ ने मंच का सहज संचालन किया ।

डॉ कृष्णा जैमिनी की पुस्तक ‘अनहद प्रेम (कविता संग्रह)’ एवं ‘घर आया मेरा चाँद ( कहानी संग्रह )’ को अतिथि गण द्वारा लोकार्पित किया गया ।

‘घर आया मेरा चाँद’की समीक्षा कृष्णलता यादव एवं अनहद प्रेम की विस्तृत समीक्षा डॉ मनोज तिवारी ने की ।

डॉ मनोज तिवारी ने कहा , “कविताओं में कवयित्री का मनोवेग छलकता सा दिखाई देता है । इसमें भक्त कवि की झलक है । 91 कविताओं को उपखंडों में बांटकर प्रस्तुत किया गया है । ब्रजमंडल का चित्र जो कवयित्री ने खींचा है वो मनोरम बन पड़ा है । कृष्णा जी के व्यक्तिगत जीवन का दुःख कहीं -कहीं झुंझझलाहट के रुप मे दिखाई देता है । कृष्ण के प्रति सखा भाव कविताओं में स्पष्ट है । भाषा की लाक्षणिकता देखते बनती है ।अलंकारिक भाषा काव्यगत सौंदर्य बढ़ाते हैं ।”

कहानी संग्रह की समीक्षा करते हुये कृष्णलता यादव ने कहा,” इसमें साक्षी भाव की कहानियां हैं । लेखक जब रचनाएं लोक को अर्पित करता है तो उसका मन अनायास ही गुनगुना उठता है । सभी कहानियां पाठक मन पर अमिट छाप छोड़ने में सक्षम है । कहीं कहीं पंक्तियां कुठाराघात भी करती हैं । भावनाओं के बवंडर का प्रभावी चित्रण है । ‘बिरवा तुलसी का’ नारी केंद्रित कहानी है जबकि ‘प्रेम की पाती’ सुखांत कहानी है । पुस्तक पठनीय व संग्रहणीय है यद्यपि भाषा के स्तर पर थोड़ी गुंजाइश है ।”

रचनाकार कृष्णा जैमिनी ने पुस्तक के संपादन व प्रकाशन का श्रेय घमंडी लाल अग्रवाल को दिया । उन्होंने कहा मैंने रचनाओं को सहज भाव से अभिव्यक्त किया है । डॉ मुक्ता ने कहा कि कृष्णा जी का भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति, समर्पण , निष्ठा के कारण ही ये संभव हो पाया है । उन्होंने सुझाव दिया कि कहानियों के किरदार भले ही समाज से लें लेकिन पात्रों की वास्तविक पहचान उसमें न हो ।

घमंडी लाल अग्रवाल ने पुस्तक की रचना प्रक्रिया , संपादन व प्रकाशन के अनुभव को साझा करते हुए परिवार के योगदान की सराहना की । उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय, प्रान्तीय व जनपद स्तर पर महिलाओं ने अपनी रचनाधर्मिता का लोहा मनवाया है । ये पुस्तक भी उसी का एक उदाहरण है । डॉ सुरेश वशिष्ठ ने कहा कि यह एक वैचारिक प्रक्रिया है जो रचनाकार को समाज मे दिखाई या सुनाई देता है उसे कहानी के रूप में प्रस्तुत करता है । जबकि कविताएं कागज पर तब उकेरी जाती हैं जब मन मे उच्छ्वास फूटता है । उक्त कविताओं में अध्यात्म का पक्ष भी है । सरोज गुप्ता ने कृष्णा जी को दोनो संग्रह के लिये बधाई दी । ज्योत्सना जैमिनी, राजपाल यादव, राधा शर्मा ने भी कृष्णा जी के प्रति अपने विचार व भाव प्रकट किए । मनोज जैमिनी ने आमंत्रित अतिथिगण एवं श्रोताओं के प्रति हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित किया । इस अवसर पर त्रिलोक कौशिक, नरेंद्र खामोश, तारकेश्वर राय, मोनिका शर्मा, सुनील शर्मा, बी. एल. सिंगला, राजेन्द्र शर्मा, सुनीता शर्मा, सविता स्याल, शशांक शर्मा, मोहन कृष्ण भारद्वाज, अनुज जैमिनी, सुरिंदर मनचन्दा , अनिल श्रीवास्तव सहित कई कवि व साहित्य प्रेमी उपस्थित थे ।

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