भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। कल भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, तीन केंद्रीय मंत्री, अनेक सांसद, विधायक और भाजपा प्रदेश के नेताओं की उपस्थिति में गुरूकमल का उद्घाटन हुआ। उद्घाटन अवसर पर भाजपा कार्यकर्ताओं में भी खूब खुशी और उल्लहास की कमी नजर आ रही थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे वे आदेश पालन करने के लिए उपस्थित हो रहे हैं।

अब तक गुरुग्राम में भाजपा की ओर से यह नहीं बताया गया कि मुख्य रूप से इस कार्यालय में कितने कमरे, कितने हॉल, कितने शयन कक्ष, कितनी रसोई, कितनी मंजिल, कितने पार्क और कितने मैदान हैं। हमने यह बात भाजपा के कार्यकर्ताओं से जानने की चेष्टा की तो उनका कहना था कि हमें इसका इतना ज्ञान नहीं। गुरुग्राम कार्यालय को केवल ग्राउंड फ्लोर मिला है। ऊपर का हिस्सा प्रदेश के नेताओं के लिए सुरक्षित है।  वैसे निश्चित तौर पर कोई कार्यकर्ता बता नहीं पाया और अधिकारी आदतनुसार या तो फोन नहीं उठाते और उठा भी लेते हैं तो व्यस्तता जताते हुए वार्ता के लिए समय की कमी बताते हैं।

 वैसे आमतौर पर गुरुग्राम की जनता से जो आवाज निकलकर आ रही है, वह भाजपा के लिए कुछ सुखद नहीं है। जनता की ओर से कहा जा रहा है कि गुरुग्राम में अधिकारी आजाद हैं। भ्रष्टाचार का बोलबाला है। किसी से कोई शिकायत कर लो, उसकी सुनवाई नहीं है। जिसका कारण यह बताया जाता है कि यहां जो अधिकारी लगे हैं, वह किसी न किसी बड़े नेता के कृपा पात्र हैं। अत: आजाद हैं।

गुरुग्राम में कहा जा रहा है कि फरीदाबाद, भिवानी, रेवाड़ी, नारनौल, पंचकूला और अन्य नगर परिषद/पालिकाओं में भ्रष्टाचार पकड़े जा रहे हैं। लोगों का मानना है कि जितने भ्रष्टाचार उन सबमें मिलाकर होंगे, उससे अधिक अकेले गुरुग्राम में नगर निगम, जीएमडीए और हूडा में मिल जाएंगे।

कारण यह बताया जाता है कि मुख्यमंत्री का गुरुग्राम में अधिकांश प्रवास होता ही रहता है। वह यहां की कष्ट निवारण समिति के चेयरमैन भी हैं। अत: अन्य कोई नेता मुख्यमंत्री के कारण बोलता नहीं, क्योंकि वह सोचते हैं कि मुख्यमंत्री स्वयं देख रहे हैं और मुख्यमंत्री के पास सारे प्रदेश का भार है। वह क्या-क्या देखें? कहावत चरितार्थ हो रही है कि दिया तले अंधेरा।

अब तो इस कार्यालय में और बड़े नेताओं का प्रवास होने की संभावना है। देखना होगा कि आगे होगा क्या?

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