सूरजमुखी उत्पादक किसानों को मुआवजा दे सरकार- हुड्डा
गेहूं के किसानों को एमएसपी पर 500 रुपये बोनस दे सरकार- हुड्डा
मंडियों से उठान और किसानों को भुगतान किया जाए शुरू- हुड्डा
ढांड और आसपास की मंडियां बंद कर सरकार ने किसानों की आशंका को सच साबित किया- हुड्डा
सभी मंडियों को खोले सरकार, फसल की नियमित बिक्री करे शुरू- हुड्डा

12 अप्रैल, अंबालाः पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरकार से सूरजमुखी उत्पादक किसानों का संज्ञान लेने की मांग की है। उनका कहना है कि प्रदेश के सूरजमुखी उत्पादक किसान इसबार कम उत्पादन की आशंका से घिरे हैं। क्योंकि इस बार सरकार की तरफ से वक्त पर बेहतर बीज उपलब्ध नहीं करवाया गया। इसके चलते किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। बीज किल्लत के चलते कुछ निजी विक्रेताओं ने कई गुना महंगे रेट पर किसानों को बीज बेचे और जो बीज बेचा गए वह भी निम्न श्रेणी के निकले। इसलिए इस बार उत्पादन पर इसका असर देखने को मिलेगा।

हुड्डा आज अंबाला में कई कार्यक्रमों में शिरकत करने पहुंचे थे। यहां बयान जारी कर उन्होंने कहा कि किसानों को वक्त पर बढ़िया बीज मुहैया करवाना सरकार की जिम्मेदारी थी। साथ ही बाजार में नकली बीज की बिक्री और ब्लैक मार्केटिंग पर रोक लगाना भी सरकार का काम है। लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। इसका खामियाजा आखिरकार सूरजमुखी के किसानों को भुगतना पड़ा। प्रत्येक किसान को हजारों रुपए का घाटा उठाना पड़ रहा है। सूरजमुखी उत्पादक किसानों ने नेता प्रतिपक्ष से मुलाकात कर अपनी समस्याओं से अवगत करवाया है। उन्होंने मांग की है कि सरकार किसानों को उचित मुआवजा दे।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक बार फिर गेहूं के किसानों को एमएसपी पर ₹500 बोनस की मांग को दोहराया है। उनका कहना है कि गेहूं के किसानों पर इस बार बेमौसम बारिश और महंगाई की दोहरी मार झेलनी पड़ी है। पेट्रोल-डीजल व अन्य चीज़ों की आसमान छूती कीमतों के चलते किसान की लागत में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है। साथ ही फसल पर पहले बेमौसमी बारिश और फिर वक्त से पहले शुरू हुई गर्मी की मार पड़ी। इसकी वजह से प्रति एकड़ गेहूं का उत्पादन 5 से 10 क्विंटल कम हुआ है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह किसानों के नुकसान की भरपाई करे और उन्हें एमएसपी पर बोनस दे।

हुड्डा का कहना है कि 12 दिन से किसान लगातार मंडी में अपनी फसल लेकर पहुंच रहे हैं। लेकिन अब तक ना तो मंडियों से उठान शुरू हुआ है और ना ही किसानों को पेमेंट की जा रही है। सरकार को दोनों प्रक्रियाओं में तेजी लानी चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष ने ढांड और आसपास की मंडियों को बंद करने पर भी कड़ी आपत्ति दर्ज करवाई है। उनका कहना है कि सरकार ने इन मंडियों को बंद करके किसानों की आशंका को सही साबित कर दिया है। इस सीजन में सरकार ने कई मंडियों को बंद करके उनकी आशंका को सच साबित कर दिया है। पहले बाकायदा लैटर जारी करके सरकार ने उस सीजन में आधा दर्जन मंडियां बंद करने की बात कही थी। लेकिन किसानों और विपक्ष के विरोध के चलते उस लैटर को वापिस लिया गया व मंडियों के खुला रखना की बात कही गई। लेकिन सच्चाई यह है की किसानों को सीधे निजी गोदाम में फसल ले जाने के आदेश दिए गए हैं। वहां कई-कई घंटे लंबी कतारों में किसानों को इंतजार करना पड़ रहा है। इसकी वजह से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। इसलिए सरकार को अपनी मंडी विरोधी मानसिकता त्यागकर किसानहित में मंडियों को फिर से चालू करना चाहिए।

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