ऋषि प्रकाश कौशिक

यकीन नहीं होता है कि जनता को देशभक्ति का पाठ सिखाने वाली बीजेपी महान देश भक्त और स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे को ही भूल गई। गुरुग्राम के सजग, जागरूक और देशभक्ती की भावना में डूबे नागरिकों ने स्वतंत्रता आंदोलन की पहली लौ जलाने वाले मंगल पांडे की उपेक्षा को अक्षम्य भूल बताया है।   

कल यानी 8 अप्रैल शुक्रवार को महान स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे का शहीदी दिवस था। काले पानी तक जाकर शहीदों के लिए प्रेम उड़ेलने वाली बीजेपी से उम्मीद की जा रही थी कि महान स्वतन्त्रता सेनानी के शहीदी दिवस पर धूमधाम से बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। लेकिन, देश की आजादी के लिए बहुत छोटी उम्र में फांसी पर झूल जाने वाले देशभक्त को किसी नेता या कार्यकर्ता ने एक सेकंड के लिए भी याद नहीं किया।    

कल बीजेपी की देशभक्ति का ढोंग सबके सामने आ गया। ठीक 24 घंटे बाद यानी 9 अप्रैल को हरियाणा बीजेपी के बड़े नेता गुरुग्राम इकट्ठे हुए। इसका मतलब है कि गुरुग्राम में आने से किसी को परहेज नहीं है। परहेज था तो मंगल पांडे को याद करने से। आज इकट्ठा होने की वजह थी कि बाबा साहब आंबेडकर के सम्मान में 14 अप्रैल को कार्यक्रम कैसे आयोजित किया जाए। इस दिन एक पंथ दो काज होंगे। पार्टी के पांच सितारानुमा कार्यालय ‘गुरुकमल’ का उद्घाटन किया जाएगा और बाबा साहब आंबेडकर को याद कर आंबेडकरवादियों को रिझाया जाएगा।

कार्यालय उद्घाटन का दिन 14 अप्रैल रखा ही इसलिए है कि पूरा कार्यक्रम बाबा साहब आंबेडकर को समर्पित किया जाएगा। वोट बैंक बनाने के लिए मंगल पांडे की अपेक्षा बाबा साहब अधिक महत्त्वपूर्ण लगे इसलिए पार्टी का सारा ध्यान कार्यालय उद्घाटन और उसकी आड़ में बाबा साहब को याद करने पर अधिक है। शायद इसी व्यस्तता में पार्टी मंगल पांडे को भूल गई।

कार्यालय उद्घाटन की तैयारियों के लिए बुलाई गई बैठक में आज केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर, केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, हरियाणा के मंत्री मूलचंद शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, पूर्व सांसद सुधा यादव, संगठन महामंत्री रविंद्र राजू समेत फरीदाबाद और गुरुग्राम लोकसभा में आने वाले पांच जिलों गुरुग्राम, फरीदाबाद, नूहं, पलवल और रेवाड़ी के पदाधिकारी उपस्थित थे। यही लोग महज 24 घंटे पहले इकट्ठे हो जाते और दो मिनट के लिए मंगल पांडे को याद कर लेते तो बीजेपी इस अक्षम्य भूल से बच जाती। लेकिन, किसी को मंगल पांडे याद होता तभी तो भूल सुधार होती। ऐसा लगता है कि कार्यालय के उद्घाटन कार्यक्रम की तैयारियों में सारे नेता सब कुछ भूले हुए थे।