पटौदी बार एसोसिएशन के द्वारा सर्वसम्मति से लिया गया फैसला. 23 मार्च और 4 अप्रैल को प्रशासनिक न्यायिक अधिकारी से की मुलाकात. एक अप्रैल को पटौदी बार के समर्थन में पूरे हरियाणा में की हड़ताल. न्यायिक अधिकारी और बार एसोसिएशन के विवाद का नहीं हुआ समाधान फतह सिंह उजालागुरुग्राम । पटौदी बार एसोसिएशन बनाम जज विवाद का मामला अब एक प्रकार से दोनों पक्षों के बीच प्रतिष्ठा का प्रश्न बनता दिखाई दे रहा है । पटौदी बार एसोसिएशन के द्वारा पटौदी कोर्ट के ही न्यायिक अधिकारी मोहम्मद सगीर के द्वारा एक एडवोकेट के खिलाफ लिखे गए फैसले में व्यक्तिगत टिप्पणी और शब्दों को लेकर इस प्रकार के फैसले को न्यायिक अधिकारी के अधिकार क्षेत्र से बाहर का ठहराते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट, जिला एवं सत्र न्यायाधीश, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के प्रशासनिक न्यायिक अधिकारी, पटौदी एसडीजेएम के पास शिकायत भेजकर अपना विरोध दर्ज करवाते हुए बहिष्कार संदर्भ में अवगत करा दिया गया था। 10 मार्च को पैरंटरल बार एसोसिएशन गुरुग्राम बार एसोसिएशन, सोहना बार एसोसिएशन , पटौदी बार एसोसिएशन आौर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट बार काउंसिल के मेंबर की ओपन हाउस बैठक में सभी मुद्दों पर चर्चा के बाद सर्वसम्मति से फैसला किया किया गया कि पटौदी कोर्ट के न्यायिक अधिकारी मोहम्मद सगीर की अदालत का उस वक्त तक बहिष्कार जारी रहेगा, जब तक उनका यहां से ट्रांसफर नहीं हो जाता । जिस प्रकार के संकेत मिल रहे हैं इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता की पटौदी बार एसोसिएशन के द्वारा जिस न्यायिक अधिकारी के तबादले की मांग की जा रही है, उनकी अदालत कक्ष को लेकर बेहद चौकाने वाले मामले भी सामने आ सकते हैं । यदि यह खुलासे मीडिया में सुर्खियां बने तो इस बात से भी इनकार नहीं की मीडिया की भी परेशानी बढ़ सकती हैं । वही पटौदी बार एसोसिएशन सहित वरिष्ठ और अनुभवी एडवोकेट का कहना है कि जब देश की सर्वाेच्च अदालत के वरिष्ठ और माननीय न्यायाधीशो को भी अपनी पीड़ा-बात सार्वजनिक रूप से मीडिया के सामने आकर कहनी पड़ी, ऐसे में मीडिया ही एकमात्र ऐसा माध्यम है जो शासन-प्रशासन सहित विभिन्न व्यवस्थाओं और विवादों के समाधान के लिए एक प्रकार से पीड़ित पक्ष की बात पहुंचाता आ रहा है । इसी बीच जिला एवं सत्र न्यायाधीश सूर्य प्रताप सिंह भी न्यायिक अधिकारी और पटौदी बार एसोसिएशन के बीच उपजे विवाद को सुलझाने के लिए पहुंचे , लेकिन समाधान नहीं हो सका । दूसरी ओर जिले के विभिन्न बार एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के प्रशासनिक न्यायिक अधिकारी अगस्टाइन जॉर्ज मसीह से 23 मार्च को समय लेकर उनसे मुलाकात कर पूरे घटनाक्रम से अवगत करा चुका है । इसके बाद 1 अप्रैल को पटौदी बार एसोसिएशन के द्वारा पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट बार एसोसिएशन, हरियाणा की सभी जिला और उपमंडल स्तरीय बार एसोसिएशन से समर्थन की अपील करते हुए अपनी मांग के समर्थन में न्यायिक अधिकारी मोहम्मद सगीर के ट्रांसफर के मुद्दे को लेकर एक दिन की हड़ताल भी की गई। इसी बीच विवाद का समाधान हो जाए तथा वादी और प्रतिवादी यों को किसी प्रकार की परेशानी ना हो, उनके मामलों का निपटारा होने के साथ न्याय मिले, इस बात को प्राथमिकता देते हुए एक बार फिर से चार अप्रैल को बार एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल न्यायिक प्रशासनिक अधिकारी के पास अपना पक्ष रखने और न्यायिक अधिकारी के ट्रांसफर की मांग को लेकर मिला । कथित रूप से किसी भी प्रकार का कोई भी ठोस आश्वासन या फिर किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं होता देख पटौदी बार एसोसिएशन के द्वारा अपने आंदोलन को अब और अधिक विस्तार दिया जा चुका है । पटौदी बार एसोसिएशन के द्वारा पटौदी जुडिशल कोर्ट कंपलेक्स में सभी तीनों अदालतों का बीते 1 अप्रैल से लगातार बहिष्कार का मोर्चा खोला जा चुका है । सीधे और सरल शब्दों में पटौदी कोर्ट में तीनों अदालतों में एक अप्रैल से कोई भी एडवोकेट अपनी मांगों के समर्थन में और विरोध स्वरूप प्रस्तुत नहीं हुआ है। इन हालात में पटौदी में प्रत्येक सप्ताह बुधवार को लगने वाली फैमिली कोर्ट भी शामिल है, इस प्रकार सप्ताह में 1 दिन पटौदी कोर्ट में पटौदी बार एसोसिएशन के द्वारा चार अदालत का बहिष्कार जारी है । दूसरी ओर न्यायिक अधिकारी के ट्रांसफर के मुद्दे को लेकर यह विवाद जितना लंबा खींचता चला जा रहा है, विभिन्न अदालतों में विचाराधीन और सुनवाई से संबंधित मामलों को लेकर वादी और प्रतिवादी दोनों ही पक्ष की परेशानियां भी बढ़ती चली जा रही हैं। बीते 4 अप्रैल को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के प्रशासनिक न्यायिक अधिकारी माननीय अगस्टाइन जॉर्ज मसीह के द्वारा प्रतिनिधि मंडल के समक्ष बहिष्कार वापस लेने का प्रस्ताव रखा गया, साथ ही कथित रूप से इस मामले में कार्रवाई का भी आश्वासन दिया गया । पटौदी बार एसोसिएशन सहित एडवोकेट के प्रतिनिधिमंडल को यह प्रस्ताव नामंजूर रहा । इसके बाद से पटौदी जुडिशल कोर्ट कंपलेक्स में सभी तीनों अदालत और बुधवार की फैमिली कोर्ट को मिलाकर चार अदालत का बीते एक अप्रैल से पूरी तरह से बहिष्कार जारी है । अब देखना यह है कि इस पूरे विवाद का क्या और किस प्रकार का समाधान वरिष्ठ न्यायिक अधिकारियों के द्वारा जनहित में निकालकर आम लोगों राहत उपलब्ध करवाई जा सकेंगी। Post navigation बेटे ने बुजुर्ग मां को चाकुओं से गोद-गोद कर मौत के घाट उतारा झारखंड से समर्थन देने पहुंची युवाओं की टीम का मोर्चा ने किया सम्मान