-बोर्ड परीक्षाओं में लगभग सभी पेपर लीक- शिक्षा बोर्ड हो भंग, शिक्षामंत्री को बर्खास्त किया जाए
खट्टर सरकार का नक़ल व पेपर लीक माफिया से गठजोड़ साफ़

6 अप्रैल 2022 – वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि खट्टर-चौटाला सरकार ने प्रदेश में शिक्षा का बंटाधार करके छात्रों को नकल माफिया पर आश्रित कर दिया है और इसके लिए शिक्षामंत्री को बर्खास्त किया जाना चाहिए।

श्री सुरजेवाला ने कहा कि हरियाणा सरकार ने हरियाणा के बच्चों का भविष्य बर्बाद करके रख दिया है। सरकार ने पहले बच्चों को उचित शिक्षा नहीं उपलब्ध करवाई जिससे प्रदेश के होनहार विद्यार्थी पेपर लीक व नकल का सहारा लेने पर मजबूर हैं। इसके लिए प्रदेश सरकार सीधे तौर पर जिम्मेवार है।

श्री सुरजेवाला ने कहा कि पिछले आठ साल में शिक्षा की लगातार अनदेखी हुई है, कोरोना महामारी के दौरान तो पिछले दो साल में सरकारी स्कूलों में शिक्षा न के बराबर रही है। सरकार ने बच्चों की शिक्षा और पाठ्यक्रम की और उचित ध्यान नहीं दिया और पढ़ाई को रामभरोसे छोड़ रखा है। कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा देने की बात कहकर सरकार ने अपनी वाहवाही लूटने का प्रयास तो किया, पर साधनों के अभाव में प्रदेश के विद्यार्थी पढ़ाई नहीं कर पाए। उन्होंने बताया कि सरकार ने अपनी ग़लतियों पर पर्दा डालने के लिए पहले तो बच्चों को बिना परीक्षा दिए ही पास कर दिया गया, उनको ग्रेड भी अपने हिसाब से दे दिए गए। उन्होंने कहा कि अब जब बोर्ड परीक्षाएं शुरू हुई तो छात्रों को नकल माफिया का सहारा लेना पड़ा है और छात्रों का भविष्य अंधकार में धकेला जा रहा है।

श्री सुरजेवाला ने कहा कि पिछले एक सप्ताह में हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के पाँच पेपर लीक हुए। 30 मार्च को बारहवीं का हिंदी का पेपर लीक हुआ, 31 मार्च को दसवीं का सोशल साइंस पेपर, 2 अप्रैल को बारहवीं की भौतिक विज्ञान का पेपर, 4 अप्रैल को दसवीं कक्षा का पेपर व 5 अप्रैल को बारहवीं का गणित का पेपर लीक हो गए। ऐसे में साफ जाहिर हो गया है कि हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड और शिक्षा मंत्री अपने काम में पूरी तरह से नाकाम रहे हैं।

श्री सुरजेवाला ने कहा कि इस मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर और उपमुख्यमंत्री श्री दुष्यंत चौटाला को जवाब देना चाहिए कि उनकी सरकार की पेपर लीक-नक़ल माफिया से क्या मिलीभगत है? उन्हें बताना चाहिए कि जब रोज़ पेपर बिकते हैं तो हरियाणा शिक्षा बोर्ड को भंग क्यों नहीं किया जा रहा और शिक्षा मंत्री की जिम्मेवारी निश्चित कर बर्खास्त क्यों नहीं करते?

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