चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने नियम 134-ए को खत्म कर दिया है। अब गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में फ्री में दाखिला नहीं मिलेगा। इस नियम के तहत प्राइवेट स्कूलों को 10 प्रतिशत सीट रिजर्व रखनी होती थी। इस क्रम में विधिवत इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है, निजी स्कूल संचालकों ने इसका दिल खोलकर स्वागत किया है, क्योंकि इसके विरुद्ध आवाज उठाते हुए पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट भी गए थे। निजी स्कूल संचालकों ने रुल को लेकर सवाल खड़े करते हुए पहले शिक्षा विभाग के आला-अफसरों की शरण ली थी। बाद में इसके नियमों को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। यहां पर बता दें कि 134 राइट टू एजूकेशन एक्ट है, जिसमें बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिया गया है। इस क्रम में राज्य सरकार की ओर से 28 मार्च 2022 को इस आशय की अधिसूचना जारी कर दी गई है। हरियाणा राज्य स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण की ओर से इस आशय की सूचना भी जारी कर दी गई है। वैसे, इस नियम को लेकर निजी स्कूल संचालकों और अभिभावकों के बीच में भारी खींचतान राज्य के अधिकांश जिलों में चली आ रही थी, परेशान स्कूल संचालकों ने इस संबंध में बैठकें करने और अफसरों से गुहार लगाकर उनके सामने खड़ी चुनौती के बारे में बताया था लेकिन सुनवाई नहीं होने पर वे हाई कोर्ट का रुख कर गए थे। अब अधिसूचना जारी हो जाने के बाद में निजी स्कूल संचालक पहले से पढ़ने वाले बच्चों को लेकर भी स्थिति साफ करने की गुहार अफसरों से लगाने लगे हैं। स्कूल संचालकों ने किया फैसले का स्वागतहरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल्स कांफ्रेंस प्रदेश प्रवक्ता सौरभ कपूर और बाकी संचालकों का दावा है कि एचपीएससी द्वारा चलाई मुहिम का असर यह है कि उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार की तरफ से 28 मार्च 2022 को नोटिफिकेशन निकाल दी गई है। उन्हाेंने सीएम मनोहर लाल खट्टर के साथ-साथ शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुज्जर का धन्यवाद किया है। सौरभ ने कहा कि देर से ही सही, लेकिन सरकार ने रूल को खत्म करते हुए यह तो मान लिया कि इसको जबरन स्कूल संचालकों पर थोपा जा रहा था। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा रूल 134 ए को खत्म किए जाने के बाद अब स्कूल संचालकों और अभिभावकों के बीच चलने वाला गतिरोध भी समाप्त हो जाएगा। सौरभ कपूर ने कहा कि सालों से रूल के तहत निजी स्कूल संचालकों पर सरकार द्वारा गलत तरीके से मुफ्त एडमिशन देने का दबाव बनाया जाता था। उन्होंने कहा कि एचपीएससी के बैनर तले सभी निजी स्कूलों ने मिलकर विरोध किया और सरकार के फैसले को बताया था। जिसके बाद अब सरकार ने रूल 134 ए को खत्म किया है। प्रशांत मुंजाल ने कहा कि एचपीएससी ने हमेशा स्कूल संचालकों हितों की बात की है और हाईकोर्ट में भी रूल में कमियों की बात कर करते हुए तय नियमों के अनुसार रिइंबसमेंट मांगी थी, लेकिन सरकार ने नहीं दी। उन्होंने कहा कि मुफ्त एडमिशन न मिलने पर अभिभावक स्कूलों को दोषी ठहराते थे, लेकिन सच्चाई यह थी कि सरकार की पॉलिसी गलत थी। अब इस पॉलिसी के खत्म होने के बाद अभिभावकों व स्कूल संचालकों को राहत मिली है। सौरभ कपूर ने कहा कि सरकार ने 28 मार्च 2022 से रूल 134 ए को खत्म कर दिया है, लेकिन नोटिफिकेशन में कहीं यह स्पष्ट नहीं है कि जो पहले से पढ़ रहे स्टूडेंट्स हैं, उन्हें कैसे पढ़ाया जाएगा। सरकार की नोटिफिकेशन के अनुसार तो अब नए सत्र से सभी बच्चों को स्कूल के अनुसार फीस देनी होगी। साथ ही सौरभ ने कहा कि स्कूल संचालकों ने सालों से बच्चों को मुफ्त पढ़ाया है और स्कूल संचालकों का सरकार की तरफ लाखों रुपए बकाया है, लेकिन सरकार ने अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं किया कि आखिर बकाया कब तक दिया जाएगा। बच्चों की पढ़ाई की एवज में सरकार स्कूलों का भुगतान करे : निसा134ए को समाप्त करने पर प्रतिक्रिया देते हुए निसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा, हम कभी भी 134-ए के खिलाफ नही थे हमारा विरोध चयन प्रक्रिया और भुगतान प्रक्रिया को लेकर था, सरकार अगर 12(1)(C) के अनुसार चयन और नियमित रूप से कानून के अनुसार भुगतान करती रहती तो ना तो गरीब अभिभावकों को दिक्कत आती और ना ही खत्म करने की जरूरत पड़ती। कुलभूषण शर्मा ने कहा कि सरकार 134-ए को खत्म कर पुराने भुगतान से बच नही सकती उसे तुरंत प्राइवेट स्कूलों का लंबित भुगतान अदा करना चाहिए और उन्होंने स्पष्ट कहा कि सरकार यह भी स्पष्ट करें कि 75000 जो विद्यार्थी 134ए के तहत स्कूलों में पढ़ रहे है उनका क्या होगा और 9वी से 12वी कक्षा में 134ए के तहत पढ़ रहे विद्यार्थियों की भुगतान राशि भी सरकार घोषित करें ताकि उनके भुगतान के लिए भी स्कूल आवेदन कर सकें। Post navigation हैफेड चेयरमैन ने मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल को सौंपा 2 करोड़ रुपये का चेक नियम 134ए…भाजपा खट्टर सरकार व निजी स्कूल संचालकों की आपसी मिलीभगत पूरे प्रदेश के सामने बेनकाब : विद्रोही