*नप घोटाले मे स्टेट विजिलेंस की ताबड़तोड़ कार्यवाही,नगर परिषद के चैयरमैन रणसिंह यादव व ईओ संजय यादव को किया गिरफ्तार
* ईओ संजय यादव है महेंद्रगढ़ कांग्रेस विधायक राव दान सिंह का भतीजा
*दोनो चार दिन के रिमांड पर,घोटाले की मोटी मुर्गियां अभी भी है शिंकजे से बाहर
*बैंक मैनेजर नितेश ने रिमांड के पहले ही दिन उजागर किए थे दोनों के नाम*l
*घोटाले मे सत्ता पक्ष व विपक्ष के बडे लोगों के साथ बडे अधिकारी भी है शामिल
*घोटालो को छिपाने के लिए खोल दिए नगर परिषद के नाम अनेक खाते
*एक करोड ट्रांसफर के बदले 20 – 25 हजार का कमीशन
*आरोपियों मे से गबन के रूपयों से किसी ने मकान बनाया तो किसी ने किए ऐशोआराम के सामानों की खरीदारी
*जिन कंपनियों ने काम ही नहीं किया उनके नाम काटे फर्जी चेक
*तीन चेकों में 88 लाख 43 हजार रुपये का घोटाला किया गया
*अमरूत सिक्योरिटी खाते तक को नहीं बख्शा गया
*अमरूत खाते से राशि निकाली, ईओ विवाद में वापस जमा, बाद में फिर निकाली राशि
*अंडर गारमेंट्स घोटाला – 22 लाख रुपये से ज्यादा रूपयों के खरीदे गए महिला अंडरगारमेंट्स
*रसीद घोटाला – पार्षद के भतीजे ने फर्जी रसीदें काट कर लगाया लाखों रूपयों का चुना
*कचरा उठान घोटाला – गाड़ी खाली होती नहीं, उसी की बार-बार हो रही तुलाई, 10 करोड़ का दिया है ठेका
*जोहड जीर्णोद्धार घोटाला – 18-18 लाख में निकाला जोहड़ो का पानी
*सडक निर्माण घोटाला – सडक बनाई ब्लाक की दिखा दी तारकोल से बनी

भिवानी। शहर में काेराेना बम की तरफ नगरपरिषद में घाेटालाें का बम फट चुका है। चेक और रसीद ही नहीं जोहड़ों के सुंदरीकरण, कचरा सेग्रीगेशन, गली निर्माण में भी बड़े घोटालो ने भिवानी की सत्ता पक्ष व विपक्ष की राजनीति को हिला कर रख दिया है।घोटाला भी कोई लाख दो लाख का नहीं लगभग 450 करोड़ रूपये का बताया जा रहा है। शहर मे काफी दिन से लोग सडकों पर उतर कर गबन व भ्रष्टाचार के आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग कर रहे है। जिसके चलते पहले इस मामले की जांच इकनोमिक सेल जांच कर रही थी।इकनॉमिक सेल ने मामले मे जहां एक्सिस बैंक मैनेजर को गिरफ्तार किया था,जिसने कई आरोपियों के नाम पुलिस के सामने उजागर किए।लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के सफेदपोश नेताओं का वरदहस्त हासिल होने के कारण पुलिस मुख्य आरोपियों तक पहुंचने मे हिचक रही थी,जिसके कारण शहर मे हर रोज जनता सडकों पर उतरकर आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग कर रही थी। मामले मे जहां एक तरफ धीमी कार्यवाही के चलते शहर के लोगों मे गुस्सा था वही कही ना कही सरकार की फजीहत भी हो रही थी। भ्रष्टाचार मुक्त सरकार का दावा करने वाले मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पर भी भ्रष्टाचार का साथ देने के आरोप लग रहे थे।

सरकार की होती फजीहत को देखते हुए इस मामले की जांच स्टेट विजिलेंस को सौंपी गई है।जिसके बाद भिवानी में स्टेट विजिलेंस ने ताबड़तोड़ छापेमारी करते हुए नगर परिषद के  चेयरमैन रणसिंह और ईओ संजय यादव को गिरफ्तार कर न्यायालय मे पेश किया जहां से दोनो को चार दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा गया है।आपको बता दे कि भिवानी नगर परिषद के चेक घोटाले में सीआइए-1 पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी हैं। स्टेट विजिलेंस टीम व सीआइए-1 टीम ने संयुक्त रूप से कार्रवाई करते हुए  नप के निवर्तमान नप चेयरमैन रणसिंह यादव व तत्कालीन कार्यकारी अधिकारी संजय यादव को गिरफ्तार किया हैं। स्टेट विजिलेंस ने मंगलवार अल सुबह भी ताबड़तोड़ छापेमारी कर पूछताछ के लिए चार अन्य पार्षदों को भी हिरासत में लिया हैं।

पुलिस इन पार्षदों के अभी नाम उजागर करने को तैयार नहीं है। पुलिस को इनके खिलाफ ठोस सबूत हाथ लगे थे। पुलिस द्वारा दोनों न्यायालय में पेश किया जाना है। इस मामले में पुलिस ने सखी साड़ी पैलेस संचालक नितिन व दादरी निवासी अरूण को तीन दिन के और रिमांड पर लिया हैं। पुलिस ने जेल में बंद एक्सेस बैंक के तत्कालीन मैनेजर मुख्य आरोपित नितेश अग्रवाल को अदालत से दो दिन के प्रोडक्शन वारंट पर लिया हैं।

इकनोमिक सेल की जांच धीमी
नगर परिषद का चेक घोटाला की जांच अब स्टेट विजिलेंस को साैंप दी गई है। इससे पहले इकनोमिक सेल जांच कर रही थी, लेकिन इकनोमिक सेल की जांच धीमी होने व मुख्य आरोपितों तक ना पहुंच पाने पर जांच स्टेट विजिलेंस को सौंपी गई है। स्टेट विजिलेंस व सीआइए-1 के इंस्पेक्टर कुलवंत सिंह ने सोमवार देर रात को त्वरित कार्रवाई करते हुए कहा कि नप के निर्वतमान चेयरमैन रणसिंह यादव व महेंद्रगढ़ जिले के रहने वाले भिवानी नप के तत्कालीन कार्यकारी अधिकारी संजय यादव को गिरफ्तार किया हैं। 

बैंक मैनेजर नितेश ने रिमांड के पहले ही दिन उजागर किए थे दोनों के नाम
पुलिस द्वारा इस मामले में सबसे पहले एक्सेस बैंक के तत्कालीन मैनेजर चिडिपाल गली निवासी नितेश अग्रवाल को काबू किया था। रिमांड अवधि के पहले ही दिन उसने सबूत सहित चेयरमैन रणसिंह यादव व तत्कालीन ईओ संजय यादव के नाम उजागर किए थे, लेकिन इसके बावजूद इकनोमिक सेल इंचार्ज सतपाल सिंह उन्हें गिरफ्तार करने में देरी करते रहे। अब स्टेट विजिलेंस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर पुख्ता सबूत जुटाए है। 

चार पार्षद भी लिये हिरासत में
विजिलेंस टीम ने शहर में मंगलवार अल-सुबह कई पार्षदों के घरों पर छापे मारी की। चार पार्षदों को पूछताछ के लिए थाने लाया गया। अभी उनसे पूछताछ की जा रही हैं। हालांकि अभी तक पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार नहीं दिखाया है और ना ही नाम उजागर किए हैं। 

बैंक मैनेजर नितेश ने उगले कईयों के नाम
चिड़िपाल गली निवासी नितिन व दादरी निवासी अरुण से पूछताछ में नितेश को फिर से रिमांड पर लिया है। मैनेजर नितेश ने नप के कई अधिकारी व यहां तक की चेयरमैन के पीए का नाम उजागर किया है।

घोटाले मे सत्ता पक्ष व विपक्ष के बडे लोगों के साथ बडे अधिकारी भी है शामिल
अगर घोटाले की गहनता और इमानदारी से जांच की जाएगी तो नप चैयरमैन के साथ साथ मामले मे सत्ता पक्ष व विपक्ष के कई मंत्री लेवल के नेताओं और आईएएस अधिकारी दोषी पाएंगे।शहर मे इतना बडा घोटाला बिना राजनैतिक व प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है।

क्या है पूरा मामला
आपको बता दे कि 28 फरवरी को नगर परिषद के पूर्व पार्षद सुदर्शन जिंदल ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय में शिकायत देकर नगर परिषद में करीब दो करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप लगाए थे। आरोपों में बताया था कि ऐसी कंपनियों को लाखों के चेक काटकर भुगतान किया गया है, जिन्होंने कोई काम ही नहीं किया। शिकायत में बताया कि दो से तीन करोड़ रुपये सरकारी खाते से प्राइवेट पार्टियों के खातों में ट्रांसफर किए गए हैं। नगर परिषद भिवानी का सरकारी पैसा दिल्ली की प्राइवेट फर्मों के खातों में ट्रांसफर किया हुआ है। पुलिस ने शिकायत के बाद व्यापारी विनोद गोयल, बैंक मैनेजर नितेश अग्रवाल, अन्य व्यक्ति विकास व नप कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज किया है।

नगर परिषद में पूर्व पार्षद सुदर्शन की शिकायत के बाद उठा घोटाले का भूचाल लगातार गहराता जा रहा है। नए-नए खुलासे हो रहे हैं और घोटाला की राशि भी बढ़ती जा रही है। शुरूआत में दो करोड़ का घोटाला बताया जा रहा थे, लेकिन अब संख्या बढ़ती जा रही है। नगर परिषद के अलग-अलग अनेक खातों से फर्जी फर्मों के खातों में लाखों रुपये ट्रांसफर किए गए। नगर परिषद के तीन खातों से ही 12 से 15 करोड़ ट्रांसफर किए गए हैं। 

एफआईआर में दी जानकारी के अनुसार जांच में सामने आया कि नगर परिषद भिवानी का खाता नंबर 917020083396703 और जिसकी चेक नंबर 001076 से 001100 नगर परिषद भिवानी में लेखाकार के पास चेकबुक रहती थी। 4 जून 2018 को उक्त खातों में 160846 रुपये की राशि बकाया थी। उसको तत्कालीन लेखाकार संजय बंसल ने उक्त खाते से एक्सिस बैंक खाता नंबर 918010049839938 में ट्रांसफर करने के लिए शाखा प्रबंधक एक्सिस बैंक भिवानी को दरखास्त लिख कर उक्त खाते में राशि शून्य करवाई थी। उसके बाद 29 मार्च 2019 को नगर परिषद भिवानी के खाता नंबर 918020049827181 से 2 करोड़ रुपये उक्त खाते में ट्रांसफर करवाकर खाता नंबर 917020083396703 से चेक नंबर 1094, 18 जून 2019 को 25 लाख रुपये, चेक नंबर 1096 के माध्यम से 30 अगस्त 2019 को 34,42,232 रुपये, चेक नंबर 1095 से 10 सितंबर 2019 को 35,47,438 रुपये, चेक नंबर 1098 से 04 अक्तूबर 2019 को 37,55,300 रुपये, चेक नंबर 1099 से 05 अक्तूबर 2019 को 33,46,400 रुपये, चेक नंबर 2477 से 09 अक्तूबर 2019 को 33,46,400 रुपये, चेक नंबर 1097 से 09 अक्तूबर 2019 को 33,98,300 रुपये निकलवाने पाए गए है। जिनका लेखाकार शाखा नगर परिषद भिवानी की कैशबुक मे कोई इंद्राज नहीं होना पाया गया।

उक्त चेकों व पैसों के बारे में नगर परिषद भिवानी के रिकॉर्ड में कोई इंद्राज नहीं है। जो विनोद गोयल, विकास, बैंक मैनेजर नितेश अग्रवाल व नगर परिषद के अधिकारी व कर्मचारियों के साथ मिलकर नगर परिषद के खाता नंबर 917020083396703 से लगभग 2 करोड़ रुपये निकलवाकर सरकारी रुपयों का गबन किया है।

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