पंजाब और हरियाणा के बीच पानी की लड़ाई दोनों राज्यों की सियासत पर व्यापक असर
क्या एसवाईएल पानी रोकेगा आप का विस्तार हरियाणा में?
हरियाणा राजभवन में होली खेलने आए भगवत मान के सामने मनोहर लाल खट्टर ने एसवाईएल की कि थी मांग
क्या जेपी दलाल ने सोमवार को पंजाब के नए सीएम के समक्ष एसवाईएल का निर्माण कराने की मांग इसी रणनीति के चलते की ?

अशोक कुमार कौशिक 

एसवाईएल के निर्माण को लेकर हरियाणा पंजाब के बीच लंबे अर्से से चल रही लड़ाई एक बार फिर उफान पर आने को है। हरियाणा राजभवन में होली खेलने आए पंजाब के नए मुख्यमंत्री भगवत मान के सामने हरियाणा के मुख्यमंत्री ने एसवाईएल की बात छोड़ कर इस विवाद को फिर से हवा दे दी है। खट्टर के बयान के बाद पंजाब के अकाली नेता सुखबीर बादल ने बयान दे दिया की खट्टर की मांग के बाद भगवत मान क्यों चुप है। 

पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद केजरीवाल के सिपहसलार हरियाणा में पार्टी के स्वर्णिम भविष्य के सपने देखने लगे हैं। पंजाब और हरियाणा के बीच पानी की लड़ाई दोनों राज्यों की सियासत पर व्यापक असर डालती रही है।
प्रदेश में सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभाने वाले दक्षिणी हरियाणा को नहरी पानी की सर्वाधिक दरकार है। पंजाब में आप की सरकार बनने के बाद प्रदेश के नेताओं ने सीएम भगवंत मान पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। ऐसे में केजरीवाल अगर प्रदेश में आम आदमी पार्टी के पांव जमाना चाहेंगे, तो उन्हें पहले प्रदेश की जनता के समक्ष एसवाईएल पर अपना स्टैंड क्लियर करना होगा।

पंजाब में एसवाईएल नहर का पानी सरकार बनाने और गिराने में बड़ी भूमिका अदा करता रहा है। केजरीवाल ने वर्ष 2016 में एक चुनावी सभा के दौरान स्पष्ट कर दिया था कि हरियाणा को देने के लिए पंजाब के पास एक बूंद पानी भी फालतू नहीं है। केजरीवाल के इस बयान के बाद प्रदेश, खासकर दक्षिणी हरियाणा के लोगों में केजरीवाल के प्रति रोष पैदा हो गया था। उनके इस बयान को लेकर प्रदेश के भाजपा, कांग्रेस और दूसरे दलों ने निंदा करना शुरू कर दिया था। अपने इस बयान के बाद केजरीवाल ने भी हरियाणा की राजनीति की ओर कदम बढ़ाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए थे। उनकी नजर हरियाणा की बजाय पंजाब में पार्टी के पैर मजबूत करने पर थी। पंजाब में सत्ता मिलने के बाद केजरीवाल के हरियाणवी समर्थकों में नया जोश तो भर चुका है, परंतु पार्टी के प्रदेश प्रभारी सुशील गुप्ता की जुबान पर एक बार भी एसवाईएल का जिक्र नहीं आया है।

पानी के नाम पर भाजपा बिगाड़ेगी खेल
पंजाब में आप की जीत के बाद भले ही कुछ दलों के नेता उसके हरियाणा में मजबूत होने की भविष्यवाणी करने में लगे हुए हों, लेकिन हकीकत यह है कि भाजपा के पास एसवाईएल का मुद्दा प्रदेश में बनने से पहले ही केजरीवाल का खेल बिगाड़ने के लिए काफी है। भाजपा सरकार 2020-21 के बजट में एसवाईएल के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रावधान कर चुकी है। केजरीवाल की नजरें हरियाणा की ओर पड़ने के साथ ही उन्हें एसवाईएल नहर के मुद्दे पर घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। प्रदेश के कृषि मंत्री जेपी दलाल की ओर से सोमवार को पंजाब के नए सीएम के समक्ष एसवाईएल का निर्माण कराने की मांग रखने की बात भाजपा की इसी रणनीति का हिस्सा माना जा सकता है।

एसवाईएल नहर पर अब पंजाब की दोहरी जवाबदेही – मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने पंजाब में नई सरकार बनने पर सतलुज-यमुना लिंक नहर का मामला उठाया है। उन्होंने कहा कि पंजाब की नई सरकार की अब दोहरी जवाबदेही है, क्योंकि हमने पंजाब से पानी लेना है और दिल्ली को पानी देना है। ऐसे में एसवाईएल के लिए पानी देने की उनकी जवाबदेही ज्यादा है, क्योंकि अब दोनों राज्यों में आम आदमी पार्टी की सरकार है। 
भाजपा हरियाणा में अपने जनाधार को बरकरार रखने के लिए इस मामले को जोर-शोर से उठाने में लग गई है। यह मामला अब आम आदमी पार्टी के गले की फांस बनता दिखाई दे रहा है क्योंकि हरियाणा के पास सीधा तक है कि दिल्ली को देने के लिए उसके पास फालतू पानी नहीं है यदि एसवाईएल का पानी उसे उपलब्ध करवाया जाता है तो वह दिल्ली की प्यास बुझा सकता है। प्रदेश के कृषि मंत्री जेपी दलाल की ओर से सोमवार को पंजाब के नए सीएम के समक्ष एसवाईएल का निर्माण कराने की मांग रखने की बात भाजपा की इसी रणनीति का हिस्सा माना जा सकता है। एसवाईएल का यह दबा हुआ भूत एक बार फिर आम आदमी पार्टी को हरियाणा में विस्तार के लिए रोक सकता है।

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