सुरेश गोयल धूप वाला

विश्व के सभी धर्मों -मतों का यही सार है कि समस्त मानव जाति का कल्याण हो। प्राकृतिक संतुलन व उत्तम जीवन शैली के साथ मनुष्य सर्वोच्च जीवन जिए । भारत मे भी इसके लिए श्रेष्ठ संविधान की रचना की गई है, परंतु धर्म के नाम पर अलग अलग कानून यह हमेशा से विवाद का ही विषय रहा है।

समान नागरिक संहिता को लेकर उत्तराखंड की पुष्कर सिंह की नई गठित सरकार ने सबके लिए समान कानून को लेकर समिति के गठन का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है , जो स्वागत योग्य है। देश के दुसरो राज्यो में भी इसको लेकर प्रेरणा मिलेगी व दूसरे राज्य भी समितियों का गठन कर कानून बनाने पर अवश्य ही विचार करेंगे।

पिछले दिनों देश की सर्वोच्च न्यायलय में भी मामला काफी गंभीर हुआ है। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल हुई है , जिसमे दिल्ली उच्चन्यायालय में लंबित समान नागरिक सहिंता लागू करने वाली मांग वाले प्रार्थना पत्र को सुप्रीम कोर्ट में स्थान्तरित करने की मांग रखी गई है ।

विश्व के लगभग सभी विकसित और उन्नत देशो में उस देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून लागू है , जो धर्म , पंथ , सम्प्रदाय में कोई बाधा उत्पन्न नही करते।

यदि देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून लागू नही होंगे तो तो राष्ट्र की एक जुटता की कल्पना कैसे की जा सकती है। देश मे कुछ तत्व ऐसा चाहते ही हैं कि धर्म -संप्रदायों जातियों के नाम पर देश को बांटे रखा जाए, ताकि उनकी वोट बैंक की राजनीति चलती रहे ।यह स्थिति बहुत ही दुर्भाग्य पुर्ण है।

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने साफ तौर पर अपना मत जाहिर किया है कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नही है , परंतु फिर भी अधिकतर मुस्लिम संगठन उच्च न्यायलय के फैसले को मानने के लिए तैयार नही है ।अधिकतर राजनीतिक पार्टियां उनको समझाने या उनकी मानसिकता बदलने की बजाय उन्हें प्रोत्साहित करने में ही जुटी है । वह इसी बात में अपना राजनैतिक हित देख रही है । जिस देश की राजनीतिक पार्टियां या राजनैतिक व्यक्ति अपने देश का भला न सोचकर केवल अपनी राजनीतिक वजूद के लिए कार्य करेगी तो उस देश का कैसे भला होगा ?

देश मे अलग अलग धर्मो के अलग अलग कानून होने से न्याय प्रक्रिया भी प्रभावित होती है। समान नागरिक संहिता लागू होने से अदालतों में लंबे समय से लंबित पड़े मामलों से निजात मिलेगी। कानून बनने से विवाह, विरासत ओर उत्तराधिकार समेत विभिन्न मुद्दों से सम्बंधित जातिलताएँ स्वयं ही समाप्त हो जाएगी। शादी तलाक, गोद लेना व जायदाद बटवारें में सब के लिए एक जैसा कानून होगा। इसका सबसे बड़ा फायदा तो यह होगा कि जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने भी आसानी होगी, जो समय की बहुत बड़ी आवश्यकता है।

(लेखक हरियाणा के निकाय मंत्री डॉ कमल गुप्ता के मीडिया प्रभारी है।)

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