सोहना बाबू सिंगला

सोहना राष्ट्रीय राजमार्ग पर ग्राम घामडोज में बाँध पर निर्माणाधीन टोल प्लाजा व दो विश्राम स्थलों का मामला एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण न्यायालय) पहुँच गया है। गुरुग्राम के गाँव हाजीपुर निवासी युवा समाज सेवी प्रेम मोहन गौड़ ने बताया की उन्होंने वर्ष 2020 में भी एनजीटी में केस दायर करवाया था।  जिसमें उन्होंने घामडोज बाँध को तोड़कर जरुरी कानूनी अनुमति के अभाव में बनाये जा रहे विश्राम स्थलों पर सवाल उठाये थे।

तब एनजीटी ने आदेश जारी कर उपायुक्त गुरुग्राम, वन विभाग व हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, गुरुग्राम को शिकायत पर गौर करके कानून की अनुपालना करते हुए निर्णय लेकर निरिक्षण रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद बाँध को नष्ट होता देख, एक शिकायत केंद्रीय सचिव भारत सरकार  को भेजी गई।  केंद्रीय सचिवालय भारत सरकार ने मामले की गंभीरता को समझते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को मोके का निरीक्षण करने के आदेश जारी किये। अगस्त 2021 में हुए निरिक्षण में यह निकलकर आया की एनएचएआई ने टोल प्लाजा व विश्राम स्थलों के निर्माण हेतु किसी भी प्रकार की वन भूमि के लिए आवेदन नहीं किया था।  जबकि मौके पर बाँध की संरक्षित वन भूमि में विश्राम स्थल का निर्माण कर दिया गया।

कानूनी दस्तावेज़ों के अध्ययन से पता चला की घामडोज टोल प्लाजा भी अनुचित रूप से संरक्षित वन भूमि में निर्माणाधीन है।  वन संरक्षण अधिनियम, 1980 का उल्लंघन होता देख पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग -248ए के स्ट्रेंग्थेनिंग व अपग्रेड के बाद बची संरक्षित वन भूमि को लौटाने के आदेश जारी कर दिये। सितम्बर 2021 से लंबित आदेशों की अनुपालना ना होता देख मामले को दोबारा एनजीटी में दर्ज करवाया गया है।  जिसके चलते न्यायालय ने  मुख्य सचिव, हरियाणा सरकार, उपायुक्त-गुरुग्राम, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, हरियाणा, सचिव – पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार व एनएचएआई के चेयरमैन से जवाब तलब किये हैं।

प्रेम मोहन ने यह भी बताया की एनएचआई के रोड चौडाने व टोल प्लाजा-विश्राम स्थल के प्रोजेक्ट के लिए लगभग 16000 पेड़ो को काटा गया जिसके एवज में लगभग सवा-लाख पेड़ लगाए जाने थे परन्तु प्रशासन की लापरवाही के कारण आजतक एक भी पेड़ का पौधरोपण नहीं किया गया है। जिस से क्षेत्र में भारी मात्रा में प्रदूषण बढ़ा है।  उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया की बाँध न केवल वर्षा के पानी से भूजल के स्तर को बढ़ाने का एक अमूल्य साधन है बल्कि वर्षा ऋतू में सड़को व क्षेत्र में भरे पानी से भी निजात दिलाता है। 

गुरुग्राम में 108 बाँध हुआ करते थे जिसमें से केवल अब 30 ही बचे है।  समाज को एकजुट होकर बांधो के संरक्षण के लिए आगे आना होगा तभी आने वाली पीढ़ी को जल संकट से बचाया जा सकता है।

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