मानव सभ्यता के विकास में हस्तशिल्प का अहम योगदान- मनोहर लाल

सूरजकुंड मेला परंपरा, विरासत और संस्कृति की त्रिवेणी– मुख्यमंत्री

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने बतौर मुख्यातिथि की शिरकत, मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने की कार्यक्रम की अध्यक्षता

इस बार मेले का थीम राज्य केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और सहभागी देश है उजबेकिस्तान

चंडीगढ़, 19 मार्च- हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने आज फरीदाबाद में आयोजित 35वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला का उद्घाटन करते हुए कहा कि देश की हस्तशिल्प, हथकरघा परंपरा को प्रदर्शित करने वाले इस मेले में उपस्थित होना गर्व की बात है। उन्होंने आजादी के अवसर पर इस मेले के आयोजन के लिए हरियाणा और केंद्र सरकार को बधाई व शुभकामनाएं दी।        

 उन्होंने देश-विदेश से यहां पहुंचे शिल्पकार, बुनकरों और पयर्टकों का हरियाणा की पावन धरा पर स्वागत करते हुए कहा कि यह मेला 1987 से हर साल आयोजित किया जाता है। इस साल इस मेले में हजारों की संख्या में बुनकर भाग ले रहें हैं, जिन्हें अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने और बेचने का अवसर मिलेगा। 15 दिन चलने वाले इस मेले में लाखों की संख्या में पर्यटन पहंचेगे और इसके माध्यम से अन्य देशों के साथ संबंध और प्रगाढ़ होंगे।        

 इस समारोह में केन्द्रीय राज्य मंत्री श्री कृष्णपाल गुर्जर, उज्बेकिस्तान के राजदूत श्री दिलशाद अखातोव, प्रदेश के शिक्षा एवं पर्यटन मंत्री श्री कंवरपाल और परिवहन मंत्री श्री मूलचंद शर्मा भी उपस्थित रहे।

मानव सभ्यता और संस्कृति के विकास में हस्तशिल्प और हथकरघा का महत्वपूर्ण योगदान है        

 मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने मेले के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि मानव सभ्यता और संस्कृति के विकास में हस्तशिल्प और हथकरघा का महत्वपूर्ण योगदान है। शिल्प व हथकरघा मेले शिल्पकारों को अपनी पसंद व कला के आदान-प्रदान का अवसर प्रदान करते हैं। इस उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुण्ड हस्तशिल्प मेला पिछले 35 सालों से ऐसे ही शिल्पकार, हथकरघा कारीगरों को एक उचित मंच प्रदान कर रहा है।        

 उन्होंने कहा कि हर वर्ष इस मेले का आयोजन एक ‘ थीम स्टेट ‘ और एक सहभागी देश के साथ किया जाता है। इस वर्ष मेले का ‘थीम स्टेट’ केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर और सहभागी देश उज्बेकिस्तान है।

उन्होंने कहा कि आजादी का यह अमृतकाल एक ओर जहां मां भारती के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देने वाले हमारे अमर शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों की मधुर स्मृतियों को ताजा कर रहा है तो वहीं बसंत ऋतु की यह वासंती पवन हर देशवासी के मन में देशभक्ति के भाव और जोश का संचार कर रही है । कल ही हमने रंगों का त्योहार होली बड़ी धूमधाम से मनाया। आज 35 वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुण्ड हस्तशिल्प मेले का शुभारंभ हो रहा है। ऐसे मणिकांचन योग में, देश – विदेश के कलाकारों व शिल्पकारों की कल्पनाओं से सराबोर कलाकृतियों से सुसज्जित इस हस्तशिल्प मेले की छटा देखते ही बनती है ।

 उन्होंने कहा कि मानव सभ्यता और संस्कृति के विकास में हस्तशिल्प और हथकरघा का महत्वपूर्ण योगदान है। विश्व की सभी प्राचीन सभ्यताओं का इतिहास हस्तशिल्प और हथकरघा के इतिहास को भी दर्शाता है। इन कलाओं को आधुनिक युग में भी उतना ही पसंद किया जाता है , जितना प्राचीन काल में किया जाता था । अतः शिल्प , हथकरघा व ऐसे ही मेले शिल्पकारों को अपनी पसंद व कला के आदान – प्रदान का अवसर प्रदान करते हैं ।

हरियाणा हार्ट-टू-हार्ट कनेक्ट में विश्वास करता है        

 हरियाणा और उज्बेकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए मुख्यमंत्री ने उज्बेकिस्तान गणराज्य के राजदूत श्री दिलशाद अखातोव को आश्वासन देते हुए कहा कि हरियाणा बिजनेस टू बिजनेस या गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट रिलेशनशिप तक सीमित नहीं हैं, बल्कि हरियाणा हार्ट-टू-हार्ट कनेक्ट में विश्वास करता है।        

 मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन न केवल एक शुभ अवसर है बल्कि एक सांस्कृतिक अवसर भी है क्योंकि यह मेला वास्तव में इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में आयोजित भारत की सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि और विविधता के लिए एक श्रद्धांजलि है। दुनियाभर के शिल्पकार, कारीगर इस मेले में भाग लेने का बेसब्री से इंतजार करते हैं।

सूरजकुंड मेला परंपरा ,विरासत और संस्कृति की त्रिवेणी        

 श्री मनोहर लाल ने कहा कि सूरजकुण्ड अन्तर्राष्ट्रीय शिल्प मेला हमारे देश की विविधता में एकता की कड़ियों को मजबूत करने के साथ – साथ ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की अवधारणा को भी आगे बढ़ाता है। पिछले कई वर्षों से अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड मेले तथा अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव के माध्यम से हरियाणा की माटी की सौंधी महक विदेशों तक पहुंची है ।

उन्होंने कहा कि आज हम जो विकसित हरियाणा देख रहे हैं, इसका इतिहास भी बड़ा ही वैभवशाली और गौरवशाली रहा है। इस वैदिक भूमि को भारतीय संस्कृति और सभ्यता का ‘ पालना’ कहा जाता है। यहीं सरस्वती के पावन तट पर वेदों और उपनिषदों की रचना हुई। धर्मक्षेत्र – कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के रूप में कर्मयोग का दिव्य संदेश दिया।

इस मेले में दूसरी बार शामिल होना गौरव की बात- उज्बेकिस्तान के राजदूत        

 उज्बेकिस्तान के राजदूत श्री दिलशाद अखातोव ने अपने संबोधन में कहा कि मेरे लिए गर्व की बात है कि सुरजकुंड मेले के उद्घाटन समारोह में शामिल होने का अवसर मिला है। उज्बेकिस्तान के लिए एक बहुत बड़ी खुशी की बात है क्योंकि हम लगातार दूसरी बार इस मेले में भागीदार राष्ट्र के रूप में भाग ले रहे हैं। हम अपने सांस्कृतिक, पारंपरिक और आर्थिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए हमें इस मेले में आमंत्रित करने के लिए भारत सरकार और विशेष रूप से हरियाणा का आभार व्यक्त करता हूं।        

 उन्होंने कहा कि इस मेले के लिए 40 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल उज्बेकिस्तान की विरासत पर्यटन क्षमता का प्रतिनिधित्व करेगा। हमारे कारीगर और शिल्पकार सक्रिय रूप से इस मंच का उपयोग हरियाणा और अन्य राज्यों के लोगों से जुड़ने के सुनहरे अवसर के रूप में करेंगे।        

 उन्होंने 21 से 25 मई, 2022 तक बुखारा में आयोजित होने वाले स्वर्ण और कढ़ाई और आभूषण महोत्सव में भाग लेने के लिए हरियाणा तथा भारत के कारीगरों और शिल्पकारों को आमंत्रित किया। इसके अलावा, हरियाणा के साथ जी 2 जी और बी 2 बी संबंधों को विकसित करने के लिए समर्पित प्रयास किए जा रहे हैं।        

 इस अवसर पर विधायक श्रीमती सीमा त्रिखा, श्री नरेंद्र गुप्ता, श्री राजेश नागर, श्री घनश्याम दास और श्री नयन पाल रावत, मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल, सचिव, पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार श्री अरविंद सिंह, पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव श्री एमडी सिन्हा भी मौजूद रहे।

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