पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता चौधरी बिरेंदर सिंह और आप की चर्चाओं पर सुशील गुप्ता ने पहली बार दी खुली सफाई केजरीवाल से दरवाजे बंद होने के बाद हुड्डा की मुलाकात राहुल के साथ दीपेंद्र सिंह हुड्डा को मिल सकती कांग्रेस में जिम्मेवारी हुड्डा व राहुल की मुलाकात के बाद अटकलें तेज अशोक कुमार कौशिक हरियाणा की राजनीति में उथल पुथल को लेकर नित नई बातें सामने आ रही है। आप का दामन थामने को अनेक राजनेता आतुर हैं, वही अपनी-अपनी पार्टियों से नाखुश दिग्गज मौके के इंतजार में है। आज चौधरी बीरेंद्र सिंह डूमरखा की तरफ से एक वक्तव्य आया कि उन्होंने 25 मार्च के आयोजन के लिए केजरीवाल को कोई निमंत्रण नहीं दिया। तो वहीं दूसरी ओर केजरीवाल की पार्टी के दरवाजे बंद होने के बाद उहापोह में पड़े पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा राहुल गांधी से मुलाकात करने दिल्ली पहुंच गए। जी 23 के वह सदस्य हैं जो नेतृत्व परिवर्तन की बात करता है और उसकी बैठक बीते कल ही हुई थी। इस बैठक के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा का राहुल से मिलना नये कयासों को जन्म दे रहा है। दोनों की अपनी मजबूरियां व नीतियां हैं जो आने वाले समय में स्पष्ट होगी। दूसरी ओर भाजपा व जजपा गठबंधन के वक्तव्य बीच सरकार के बीच में तालमेल ने होने का संकेत दे रहे हैं। गठबंधन की लोकप्रियता में तेजी से गिरावट अंदेशे से चिंतित विधायक अब अपने क्षेत्र की जनता में अपनी साख बचाने के उद्देश्य से इलाके के विकास को लेकर सरकार से उलझते नजर आ रहे हैं। उपरोक्त बातें हरियाणा की राजनीति को संशयवादी बना रही है। क्या यह प्रदेश में सरकार के गिरने के पूर्व संकेत है? पांच राज्यों में करारी हाल झेल चुकी कांग्रेस लगातार हार की मंथन के लिए बैठकें कर रही है। आलाकमान मतदाताओं के बीच साख और पार्टी धुरंधरों की रस्साकशी से जूझ रहा है। जी 23 मैं शामिल धुरंधर गांधी परिवार पर रह रह कर परिहार कर रहे हैं। कांग्रेस आलाकमान ने हारे हुए सभी राज्यों में नेतृत्व प्रति परिवर्तन करने के उद्देश्य से सभी अध्यक्षों से इस्तीफे ले लिए हैं। शायद जिन प्रदेशों में चुनाव होने हैं उनमें भी नेतृत्व परिवर्तन किया जाए ऐसी आशंका जताई जा रही है। राहुल गांधी वह भूपेंद्र हुड्डा की मुलाकात राहुल गांधी के आवास पर हुई है। फिलहाल इस बैठक में किन मुद्दों पर बातचीत हुई ये अभी स्पष्ट नहीं हो पाया। संभावना व्यक्त की जा रही है की यदि बैठक में सकारात्मकता का संकेत भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मिलता तो वह बाहर आकर निश्चित ही कोई वक्तव्य जारी अवश्य करते। राहुल और हुड्डा की चुप्पी रहस्य बनी हुई है। कल तक हरियाणा प्रदेश कांग्रेश के सर्वेसर्वा बने रहने की जद्दोजहद में लगे प्रतिपक्ष नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ऊहापोह की स्थिति से घिरे नजर आ रहे हैं। दो दिन पूर्व केजरीवाल से मुलाकात के बाद मनमाफिक महत्व न मिलना शायद उनके मनोबल को तोड़ा। पांच राज्यों के चुनाव के बाद उनके पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने की मंशा को भी टूटी हो क्योंकि जनता अब छोटी राजनीतिक दलों को अस्वीकार कर रही है। जी 23 की बैठक के दूसरे दिन ही राहुल गांधी से मुलाकात निश्चय उनके अंतर्द्वंद को दर्शाती है। अब कहा ये जा रहा है कि राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा को हरियाणा कांग्रेस में अहम दायित्व दिया जा सकता है। माना जा रहा है कि कांग्रेस भूपेंद्र हुड्डा को G-23 से अलग करने के लिए फॉर्मूले के तौर पर उनके पुत्र दीपेंद्र सिंह हुड्डा को हरियाणा कांग्रेस की कमान सौंप सकती है। क्योंकि राहुल गांधी की सोच है की युवा पीढ़ी को आगे लाया जाए और अब चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा की विवशता रहेगी कि वह पुत्र मोह में आलाकमान की बातों को मान ले। कांग्रेस आलाकमान व हुड्डा दोनों की आपसी मजबूरियां है कि वह एक दूसरे से तालमेल बनाए रखें। बता दें कि हरियाणा की वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा और हुड्डा के बीच संगठन पर कब्जे को लेकर काफी दिनों से खींचतान चल रही है। कांग्रेस की कोशिश है कि अगले विधानसभा चुनाव से पहले हरियाणा में पार्टी के अंदर की गुटबाजी खत्म की जाए। दीपेंद्र सिंह हुड्डा को हरियाणा कांग्रेस प्रदेश कमेटी का अध्यक्ष बनाकर या अन्य कोई महत्वपूर्ण पद देकर कांग्रेस उनके पिता भूपेंद्र सिंह हुड्डा की नाराजगी भी दूर करना चाहती है, जो इस समय पार्टी में नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहे G-23 नेताओं के धड़े से जुड़े हैं। हमारी सोच से अगर ऐसा हो ना होता तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा स्वयं मुखर होते । इधर आज पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बिरेंदर सिंह डूमरखां ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उनके गोल्डन जुबली कार्यक्रम में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कोई नहीं न्यौता नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि पंजाब के चुनाव परिणामों को देखकर विभिन्न राजनैतिक लोग खुद ही कयास लगाने लगे तो उसका क्या किया जा सकता है। चौधरी बिरेंदर सिंह ने कहा कि इस आयोजन के संयोजक भाजपा के दिग्गज नेता व पूर्व मंत्री प्रोफेसर रामविलास शर्मा तथा सह संयोजक सांसद बृजेंद्र सिंह तथा शंकर भारद्वाज बनाए गए हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता चौधरी बिरेंदर सिंह और आप की चर्चाओं पर सुशील गुप्ता ने पहली बार दी खुली सफाई देते हुए कहा है कि चौधरी बिरेंदर सिंह से मुलाकात हुई थी। लेकिन चौधरी साहब मेरे मित्र हैं सिर्फ अपने जन्मदिन के कार्यक्रम का न्योता देने आए थे । चौधरी बिरेंदर सिंह और मेरे बीच सिर्फ उनके जन्मदिन के कार्यक्रम को लेकर बातचीत हुई है और मैं उस कार्यक्रम में शामिल होने जा रहा हूं। अभी आम आदमी पार्टी हरियाणा के लिए कोई अध्यक्ष नहीं चुनने जा रही है। जोन में बांटकर आम आदमी पार्टी हरियाणा में संगठन खड़ा कर अपना काम कर रही है। नवीन जयहिंद पहले आम आदमी पार्टी हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष थे। लेकिन अब एक सामान्य कार्यकर्ता की तरह काम कर रहे हैं। हरियाणा की राजनीति आने वाले समय में उथल-पुथल की रहेगी। भाजपा, जजपा, इनलो, आप, कांग्रेस के साथ साथ अपने-अपने दलों में घुटन महसूस कर रहे नेता क्या उलटफेर करते है इस पर राजनीतिक विश्लेषकों की पैनी नजर लगी हुई है। राजनीति संभावनाओं पर चलती है और हरियाणा का इतिहास रहा है कि यहां कुछ भी असंभव नहीं। Post navigation डायल 112 टीम ने ईमानदारी को परिचय देते हुए गुम हुए स्मार्टफोन को मालिक को लौटाया आप का हरियाणा में कोई वजूद नहीं है: रणजीत चौटाला