डॉ मीरा सहायक प्राध्यापिका

इसमें कोई संदेह नहीं है कि देश में बढ़ते बाजारवाद के दौर में उपभोक्ता संस्कृति में निखार आया है, लेकिन अभी भी उपभोक्ता में  जागरूकता की काफी कमी है।आधुनिक भौतिक युग में  अर्थव्यवस्था को शोषण मुक्त बनाना कठिन कार्य तो है, लेकिन असंभव नहीं। शोषण मुक्त समाज में जागरूक उपभोक्ता की अहम भूमिका होती है। यह भी सच है कि हम सब उपभोक्ता है और जो व्यक्ति अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति सचेत है वही जागरूक उपभोक्ता है और जो जागरूक है वह सफल उपभोक्ता भी है।

विश्व भर में 15 मार्च  को विश्व उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है इसका उद्देश्य ग्राहकों को धोखाधड़ी से बचाना और उन्हें जागरुक बनाना है। हर देश में अपने उपभोक्ताओं की सुरक्षा एवं संरक्षण के नियम बनाये गये है। प्रत्येक 15 मार्च को उपभोक्ता आंदोलन वैश्विक स्तर पर उपभोक्ताओं के सामने आ रही गंभीर समस्याओं को उजागर करने के लिए एकजुट होता है। इस साल करीब 100 देशों से 200 के लगभग उपभोक्ता समूहों ने ‘निष्पक्ष डिजिटल फाइनेंस’ को विषय के रूप में चुना है। कंज्यूमर इंटरनेशनल विश्व उपभोक्ता दिवस पर  निष्पक्ष डिजिटल वित्त को लेकर विचार विमर्श करके डिजिटलाइजेशन में आ रही दिक्कतों के निपटान पर जोर दे रहा है।भारत सरकार देश में ग्राहकों को जागरूक करने के लिए लंबे समय से ‘जागो ग्राहक जागो’ अभियान से  प्रत्येक उपभोक्ता को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक कर रही है। कई बार उपभोक्ताओं को जमाखोरी, कालाबाजारी, मिलावट और नापतोल में अनियमितता जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

सर्वप्रथम   पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी ने 15 मार्च, 1983 को अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया था। कैनेडी ने अपने भाषण में पहली बार उपभोक्ता अधिकारों को प्रकाश में लाकर  औपचारिक रूप से ‘उपभोक्ता अधिकारों’ को परिभाषित किया। इसके बाद प्रतिवर्ष इसे 15 मार्च को मनाया जाने लगा। भारत में 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है क्योंकि 1986 में इस दिन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम लागू किया गया था। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत उपभोक्ताओं को  सुरक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार, पसंद का अधिकार , सुनवाई का अधिकार, शिकायत निवारण का अधिकार और उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार प्रमुख हैं। 2019  में सरकार ने ई-कॉमर्स विक्रेताओं के लिए भी नए नियम लागू कर दिए है। नए नियमों को कंज्यूमर प्रोटेक्शन रूल्स 2020 नाम दिया गया है। जिसके तहत उपभोक्ताओं को नए अधिकार मिले हैं.

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 में सीसीपीसी की स्थापना का प्रावधान है, जो उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करने के लिए अनुचित व्यापार प्रथाओं, भ्रामक विज्ञापनों और उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित मामलों को देखेगा।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 में उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा के लिए राष्ट्रीय राज्य और जिला स्तर पर उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग कार्यरत हैं,जो ग्राहकों से संबंधित समस्याओं जैसे अधिक मूल्य वसूली, अनुचित व्यापार व्यवहार,जीवन के लिए खतरनाक वस्तु को बेचना और भ्रामक विज्ञापन प्रदर्शित करना आदि को प्राथमिक आधार पर निपटारा करने में कार्यरत हैं। राष्ट्रीय विवाद निवारण आयोग 10 करोड़ रुपए से अधिक की शिकायतों को सुनता है तो वहीं राज्य विवाद निवारण आयोग 10 करोड़ से कम लेकिन एक करोड रुपए से अधिक की शिकायतों को तथा जिला विवाद निवारण आयोग एक करोड़ रुपए से कम की शिकायतों का निपटारा करता है।

अब उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के दायरे को पहले से काफी व्यापक बनाया गया है। जिसमें भ्रामक विज्ञापनों के लिए सेलिब्रिटी की जवाबदेही सुनिश्चित की गई है।जो पहले नहीं थी तथा वही बढ़ा चढ़ाकर विज्ञापन देने वाले विक्रेताओं को दंडित करने का प्रावधान भी है। इसके अलावा इस अधिनियम के दायरे में ही शॉपिंग कंपनियां को भी शामिल किया गया है।अब ग्राहक पहले से ज्यादा ताकतवर हुआ है।

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