-राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र(एनआईसी) ने डिफॉल्टर जन सूचना अधिकारियों के वेतन से जुर्माना राशि काटने के लिए बनाया मॉड्यूल
-2.27 करोड़ रुपये की जुर्माना राशि डिफॉल्टर जन सूचना अधिकारी वर्षों से दबाए बैठे हैं ।

चंडीगढ़ 13 मार्च – लोकायुक्त कोर्ट में मामला जाने पर प्रदेश सरकार ने सूचना आयोग के आदेशों के बावजूद जुर्माना राशि जमा न कराने वाले जनसूचना अधिकारियों से जुर्माना राशि वसूली का पक्का बंदोबस्त किया है ।अब जुर्माना राशि डिफॉल्टर्स जन सूचना अधिकारियों के वेतन से ऑटोमैटिक तरीके से कटेगी ।

इसके लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र(एनआईसी)ने मॉड्यूल विकसित किया है ।लोकायुक्त जस्टिस हरि पाल वर्मा केस की आगामी सुनवाई 20 अप्रैल को करेंगे ।

आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने 21 जुलाई 2020 को सबूतों सहित लोकायुक्त कोर्ट में शिकायत दर्ज करके बताया कि प्रदेश में जन सूचना अधिकारी न तो सूचना देते हैं और न ही जुर्माना राशि जमा करवाते हैं । वर्ष 2006 से दिसम्बर 2019 तक सूचना न देने के दोषी जन सूचना अधिकारियों पर राज्य सूचना आयोग ने आरटीआई एक्ट के सेक्शन 20 (1) के तहत कुल 3,50,54,740 रुपए का जुर्माना लगाया था ।लेकिन वर्षों बीत जाने पर भी 2.27 करोड़ रूपये जुर्माना राशि 1726 डिफॉल्टर्स जन सूचना अधिकारियों ने जमा नहीं कराई । डिफॉल्टर्स की लिस्ट में कई एचसीएस अधिकारी भी शामिल हैं । इससे सरकार को राजस्व हानि हो रही है व प्रदेश में आरटीआई एक्ट मज़ाक बन कर रह गया है ।

शिक़ायत पर लोकायुक्त के नोटिस पर प्रदेश सरकार ने 18 जनवरी 2021 को पहले तो प्रदेश सरकार ने चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में इस जुर्माना राशि वसूली के लिए हाई पॉवर मॉनिटरिंग कमेटी गठित की । अब 21 फरवरी को केस की सुनवाई के दौरान प्रशासनिक सुधार विभाग के डिप्टी सेक्रेट्री राकेश संधू ने लोकायुक्त जस्टिस हरि पाल वर्मा को सूचित किया कि जुर्माना राशि वसूली के लिए एनआईसी ने मॉड्यूल विकसित कर लिया है । इसके तहत जुर्माना राशि को जन सूचना अधिकारियों की ई- सैलरी से लिंक करके सूचना आयोग को यूज़र्स आईडी व पासवर्ड दे दिए हैं ।

मॉड्यूल के सुचारू होने पर डायरेक्टर जनरल( ट्रेज़री एवं अकाउंट्स) द्वारा सभी वेतन जारी करने वाले अधिकारियों को डिफॉल्टर्स जन सूचना अधिकारियों के वेतन से जुर्माना राशि कटौती करने के निर्देश जारी कर दिए जाएंगे ।

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