लोकतंत्र में परस्पर विरोधी नेता व राजनीतिक दल एक-दूसरे के वैचारिक, नीतिगत विरोधी होते है न की दुश्मन : विद्रोही

प्रधानमंत्री मोदीजी का इस कथन कि उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत का मतलब 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत है। यह सत्ता अहंकार का अपरिपक्कव कथन है : विद्रोही
लोकतंत्र में राजनीतिक विरोधी को दुश्मन मानकर व्यवहार करने वाले नेता की सोच लोकतंत्र की अवधारणा के ही खिलाफ है : विद्रोही
कांग्रेसी निजी महत्वकांक्षा वाली गुटबाजी की राजनीति को छोडकर एकजुटता से काम करना व चुनाव लडना नही सिखेंगे तब तक कांग्रेस का राजनीतिक पतन रूकने वाला नही : विद्रोही

12 मार्च 2022 – भाजपा की विधानसभा चुनावी जीत पर मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के विपक्ष व कांग्रेस नेता भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को अपने आवास पर लड्डू खिलाने व हुड्डा के लड्डू खाने पर राजनीतिक तंज कसने वाले विपक्षी दलों के नेताओं को स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने छोटी व संर्कीण मानसिकता का नेता बताया। विद्रोही ने कहा कि लोकतंत्र में परस्पर विरोधी नेता व राजनीतिक दल एक-दूसरे के वैचारिक, नीतिगत राजनीतिक विरोधी होते है न की दुश्मन। लोकतंत्र में राजनीतिक विरोधी को दुश्मन मानकर व्यवहार करने वाले नेता की सोच लोकतंत्र की अवधारणा के ही खिलाफ है। एक सरकारी बैठक में भाग लेने मुख्यमंत्री आवास गए भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने वाले दिन भाजपा की जीत पर मनोहरलाल खट्टर द्वारा लड्डू खिलाना व हुड्डा का उन लड्डूओं का खाने को एक सामान्य सामाजिक शिष्टाचार से अलग देखकर राजनीतिक लाभ के लिए तंज कसना बहुत ही गलत व संकीर्ण सोच है।

विद्रोही ने कहा कि राजनीतिक विरोधी को दुश्मन मानने की आजकल नेताओं की सोच ही देश के सामाजिक व राजनीतिक वातावरण को गंदला करने का बडा कारण है। जो नेता आज भूपेन्द्र सिंह हुड्डा पर भाजपा के जीत के लड्डू खाने पर सार्वजनिक तंज कस रहे है, क्या उन नेताओं ने कभी अपने राजनीतिक जीवन में विरोधियों के साथ समय-समय पर गलबाहियां नही की? भूपेन्द्र सिंह हुड्डा पर तंज कसने वाले नेताओं के बारे में यही कहा जा सकता है कि हुड्डा विरोध की अपनी निजी भडास सार्वजनिक रूप से प्रकट कर रहे है जो लोकतंत्र व लोकतांत्रिक परम्पराओं के लिए अच्छी बात नही है। 

वहीं विद्रोही ने भाजपा कार्यकर्ताओं के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदीजी का इस कथन कि उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत का मतलब 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत है। यह सत्ता अहंकार का अपरिपक्कव कथन है जो पीएम जैसे संवैद्यानिक पद पर बैठे व्यक्ति के मुंह से शोभा नही देता। एक चुनाव को आगे के चुनावी जीत की गारंटी समझने वाले का क्या हश्र हुआ, यह भी मोदीजी को इतिहास में झांककर देख लेना चाहिए। 

विद्रोही ने कहा कि दिसम्बर 2003 में राजस्थान, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली चुनावी जीत के भ्रम में अटल बिहारी वापपेयी व भाजपा छह माह पहले ही लोकसभा चुनाव 2004 करवाकर फिर से दिल्ली फतह का सपना पाला था, पर मई 2004 के चुनावों में मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद भी वाजपेयी-भाजपा को चुनाव हारकर सत्ता छोडनी पडी थी। मतदाता 2024 लोकसभा चुनावों में किसके पक्ष में जनादेश देगा, इसकी अभी से भविष्यवाणी करके अपने मुंह मियां मिठ्ठू बनना राजनीतिक अपरिपक्कवता व सत्ता अहंकार को ही दर्शाता है। विद्रोही ने कांग्रेसजनों से भी आग्रह किया कि वे विधानसभा चुनावों में मिली हार से हताश होने की बजाय अपना गंभीर आत्मविश्लेषण करके सांगठनिक व कार्यप्रणाली में धरातल की वास्तविकता के अनुसार तत्काल बदलाव करे। वहीं कांग्रेसी निजी महत्वकांक्षा वाली गुटबाजी की राजनीति को छोडकर एकजुटता से काम करना व चुनाव लडना नही सिखेंगे तब तक कांग्रेस का राजनीतिक पतन रूकने वाला नही।

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