क्या आप की धमक हरियाणा में भी सुनाई देगी?
“आप” के लिए नेताओ का दिल धड़कना शुरू

अशोक कुमार कौशिक

 हरियाणा की राजनीति में जींद को हरियाणा का दिल कहा जाता है और जींद हरियाणा की राजनीति में बदलाव का सबसे बड़ा केंद्र रहा है। पंजाब में आम आदमी पार्टी ने 92 सीट जीतकर ऐतिहासिक उपस्थिति दर्ज की है, जिसकी धमक हरियाणा तक आनी स्वाभाविक है।

दक्षिणी हरियाणा में पिछले काफी दिनों से राव इंदरजीत सिंह प्रदेश नेतृत्व और पार्टी के साथ अपनी नाराजगी दिखाते चले आ रहे थे पर पांच राज्यों के चुनाव परिणाम से पूर्व ही उनके बगावती तेवर यकायक धराशाई हो गए और वह मुख्यमंत्री से दोस्ती करने पर विवश हो गए शायद इसका एक कारण यह हो सकता है कि उनको आभास हो गया था कि उत्तर प्रदेश के साथ अन्य राज्यों में भाजपा बेहतर स्थिति में होने जा रही है। पांच राज्यों में केवल पंजाब को छोड़ दें तो भाजपा ने मैदान मारा ही है।

( राव राजा इंद्रजीत सिंह को लेकर हम कल के आलेख में चर्चा करेंगे)

हरियाणा में अभी से राजनीतिक सुगबुगाहट तेज हो गई है और नेताओं का मन आम आदमी पार्टी के लिए धड़कना शुरू भी हो गया है। आगामी 25 मार्च को चौधरी बीरेंद्र सिंह के कार्यक्रम में दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल मुख्यातिथि के तौर पर आ रहे हैं। हालांकि अभी तक बीरेंदर सिंह इसे एक सामाजिक कार्यकम बता रहे हैं।

राजनीतिक चर्चाएं है कि चौधरी बीरेंद्र सिंह अपने संघर्ष के पुराने साथियों के साथ आम आदमी पार्टी की तरफ कदम बढ़ा सकते हैं। कांग्रेस और भाजपा से दो दर्जन के करीब नेता अपनी उपेक्षा से परेशान हैं और उन्हें आम आदमी पार्टी से अब नई उम्मीदें जग गई हैं। 

जींद की धरती पर अपने शक्ति प्रदर्शन में चौधरी बीरेंद्र सिंह डूमरखां ज्यादा से ज्यादा नेताओं की उपस्थिति दिखाकर केजरीवाल व भाजपा दोनों को अपनी अहमियत दिखाना चाहते हैं। चौधरी बीरेंद्र सिंह के साथ काफी नेताओं के आम आदमी पार्टी में शामिल होने की चर्चाएं चली हुई हैं। कांग्रेसी भाजपा में आए अनेक लोकसभा सांसद प्रदेश नेतृत्व के साथ पार्टी से भी नाखुश बताए जा रहे हैं। अब इनमें से कितने लोग चार राज्यों में भाजपा को मिले प्रबल बहुमत के बाद उसे छोड़कर आम आदमी पार्टी में जाने का साहस करेंगे यह समय ही बताएगा। क्योंकि पंजाब और उत्तर प्रदेश में दलबदलूओ की स्थिति अच्छी नहीं रही। पार्टी से नाराज होकर दूसरी पार्टियों का दामन थामने वाले तथा पार्टी से नाराज होकर अपनी अलग डफली बजाने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह हो या नवजोत सिंह सिद्धू दोनों को हार का सामना करना पड़ा। इधर उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय दल कांग्रेस के साथ क्षेत्रीय दलों की स्थिति बेहद दयनीय रही है।

अब देखना यह होगा कि किन-किन नेताओं को चौधरी बीरेंद्र सिंह आम आदमी पार्टी के पाले में ले जाने में सफल होते हैं।

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