भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम। काफी समय से हरियाणा के राजनैतिक हल्कों में चर्चाएं चल रही हैं कि हरियाणा की राजनीति में पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आने के बाद कुछ बदलाव होना अवश्य संभव है। प्रथम तो केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव की हरियाणा में उपस्थिति और चर्चा का विषय बनी हुई है विशेष रूप से भाजपाईयों में। कुछ का कहना है कि भूपेंद्र यादव का हरियाणा में आना राव इंद्रजीत को कमजोर करने के लिए है, क्योंकि भाजपा की राजनीति में केंद्र से मिले हुए आदेशों को आंख बंद कर मानने का विधान है। उस पर मनन या चर्चा करने की इजाजत नहीं है। यह नियम मुख्यमंत्री, राज्य के मंत्री और सांसदों पर भी लागू होता है। यदि कोई इनके आदेश पर चर्चा या मनन करता है तो वह भाजपा के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता और ऐसा ही कुछ राव इंद्रजीत करते रहते हैं, इसीलिए कहा जा रहा है कि वह राव इंद्रजीत के विकल्प हो सकते हैं, लेकिन अनेक दूसरे भाजपाइयों का कहना है कि भूपेंद्र यादव केंद्र सरकार में मंत्री हैं और प्रधानमंत्री , गृहमंत्री से उनकी निकटता है। ऐसे में वह एक संसदीय क्षेत्र की ओर क्यों आकर्षित होंगे? वह तो देखेंगे तो मुख्यमंत्री पद की ओर देखेंगे। वैसे भी पिछले काफी समय से हरियाणा में मुख्यमंत्री बदलने की चर्चाएं चलती ही रही हैं। वर्तमान में हरियाणा में जनता द्वारा कुछ आंदोलन तो केवल इसलिए चलाए जा रहे हैं कि मुख्यमंत्री अपने वादे पूरे करें। कहा जाता है कि मुख्यमंत्री वादे तो कर देते हैं परंतु बाद में अनेक बार ऐसा होता है कि वह धरातल पर किसी न किसी कारण से संभव नहीं होते। अत: वह कार्य नहीं होते। अब मुख्यमंत्री ने जनता या कर्मचारियों से जो वादा कर दिया, वह तो उसे पूरा चाहेगा न। इसी प्रकार की अनेक बातें हैं जो मुख्यमंत्री के बदलने की चर्चाएं चल रही हैं तो कुछ भाजपाइयों का कहना यह है कि वह मुख्यमंत्री के विकल्प हो सकते हैं। यूं देखें तो आरंभ से ही मुख्यमंत्री और राव इंद्रजीत में अनबन के समाचार आते ही रहे हैं। उन बातों को अनेक बार मुख्यमंत्री और राव इंद्रजीत की कार्यशैली से बल मिलता रहता है। अगर देखें तो राव इंद्रजीत को भाजपा में सम्मिलित हुए लगभग आठ वर्ष होने को हैं लेकिन इतना समय बीतने के पश्चात भी भाजपाई राव इंद्रजीत को अपना नहीं पाए, जिसके प्रमाण बार-बार मिलते रहते हैं कि राव इंद्रजीत के जहां कार्यक्रम होते हैं, वहां राव इंद्रजीत के समर्थक ही दिखाई देते हैं। केंद्रीय मंत्री होने के नाते प्रोटोकॉल के तहत भाजपा जिला कार्यकारिणी की ओर से उन्हें पर्याप्त सम्मान नहीं मिलता। 23 सितंबर 2021 को राव तुलाराम के शहीदी दिवस कार्यक्रम में भी यह दूरियां खुलकर नजर आईं। वह कार्यक्रम हालांकि शहीद राव तुलाराम का था और जबकि शहीद सारे प्रांत के नहीं, सारे देश के होते हैं लेकिन उसमें भाजपाइयों की दूरी स्पष्ट देखी गई। यद्यपि उसमें भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अवश्य शामिल थे और मुख्यमंत्री को उस कार्यक्रम में आमंत्रण भी नहीं था। इस घटना का असर व्यापक हुआ ऐसा हमारे भाजपा के सूत्र बताते हैं। मुख्यमंत्री ने भाजपा के प्रकोष्ठों की बैठक अपने आवास पर ली। चर्चाएं तो होती ही हैं। उनसे यह माना गया कि यह बैठकें प्रदेश अध्यक्ष को कमजोर करने के लिए हैं। इसी प्रकार प्रदेश अध्यक्ष, स्वास्थ और गृहमंत्री अनिल विज व अनेक वरिष्ठ भाजपाइयों की मुख्यमंत्री से तालमेल की कमी नजर आती रही हैं।अभी 9 मार्च को नितिन गडकरी जी को 1407 करोड़ रूपए के कार्यों का उद्घाटन पचगांव में कर गए थे। उस कार्यक्रम की ओर नजर डालें तो उसमें कई केंद्रीय मंत्री, हरियाणा के मुख्यमंत्री और अन्य मंत्री तथा अन्य प्रदेशों के भी महत्वपूर्ण व्यक्ति उपस्थित थे। अत: यह कार्यक्रम सरकार का होना चाहिए लेकिन जिस प्रकार से इस कार्यक्रम का प्रचार राव इंद्रजीत द्वारा किया गया और जगह-जगह उन्होंने अपील की कि जनता को इस कार्यक्रम में आने के लिए। तो इस प्रकार की बातें भी अनेक प्रश्न खड़े कर देती हैं। इन चर्चाओं में यह कहा जा रहा था कि इन बातों पर कार्यवाही पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आने के बाद होगी। अब चर्चाएं बिना सिर-पैर तो चलती नहीं। उनके पीछे कोई न कोई कारण तो अवश्य होता है। और इन चर्चाओं को सुनकर मेरा अनुमान यह है कि केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का कद स्वयं में इतना बड़ा है कि वह राव इंद्रजीत या मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का विकल्प बनना पसंद नहीं करेंगे, क्योंकि उनकी नजदीकियां प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से हैं। जब वह देश के सभी मुख्यमंत्रियों को निर्देश दे सकते हैं तो वह एक हरियाणा में बंधना क्यों पसंद करेंगे। इसी बात को सोच मेरा मानना है कि जिस प्रकार हरियाणा में भाजपाइयों में आपस में सामंजस्य की कमी नजर आ रही है, जनता और कर्मचारियों के धरने प्रदर्शन हो रहे हैं, उन सब चीजों का और हरियाणा भाजपा की राजनीति का आंतरिक विश्लेषण करने के लिए भूपेंद यादव हरियाणा में रूचि ले रहे हैं। तो यह माना जा सकता है कि भूपेंद्र यादव के निर्देश पर हरियाणा की राजनीति में बहुत बड़े बदलाव होने संभव हैें। Post navigation उपायुक्त निशांत कुमार यादव की अध्यक्षता में जिला स्तरीय विजिलेंस कमेटी की पहली बैठक आयोजित शुक्रवार को जिला में वैक्सीनेशन अभियान के तहत 53 टीकाकरण केन्द्रों पर लगेगी कोविशिल्ड की पहली, दूसरी व बूस्टर डोज