सपने बेचने वाले जुमलेबाजों ने बजट सत्र में एम्स जमीन अधिग्रहण, अहीर रेजिमेंट व एसवाईएल नहर के मुद्दे का जिक्र तक नही किया सदन में

8/3/2020 : हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर द्वारा बतौर वित्त मंत्री के रूप में पेश किए गए वर्ष 2022 – 23 के बजट पर कॉंग्रेस नेत्री सुनीता वर्मा ने टिप्पणी करते हुए इसे निराशाजनक बताया। उन्होनें प्रेस के नाम जारी विज्ञप्ति में कहा कि मनोहर सरकार द्वारा पेश किए गए अपने पहले बजट में 1 लाख 1 हजार 709 करोड़ के कर्ज को बढा कर अब खट्टर ने उसे 2 लाख 43 हजार 779 करोड़ रुपए के घाटे तक पहुंचा दिया, इस एक वर्ष में ही प्रदेश पर 20 हजार 11 करोड़ रुपए का कर्ज बढा है। इस बीजेपी सरकार ने हर बार प्रदेश को घाटा ही दिया है और ये बेशरमाई से जुमलेबाजी करते हैं प्रदेश के राजस्व बढने की।
वर्मा ने बताया कि वर्ष 2014 में हरियाणा पर जो 70931 करोड का कर्ज था, अब खट्टर राज के इन 7 वर्षों मे बढ़कर 223768 करोड ₹ हुआ, मतलब हरियाणा सरकार ने 152837 करोड ₹ का कर्ज लिया।

कांग्रेस नेत्री ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन पेश किए गए बजट में गृहणियों की झोली खाली रही, उनके रसोई के बिगडे बजट को सुधारने के लिए व महंगाई से निजात दिलाने के लिए कोई बड़ी घोषणा बजट में नही की गई.

उन्होनें कहा कि किसान आन्दोलन के समय अपनी नफरती राजनीति के चलते एसवाईएल का मुद्दा उठाने वाली खट्टर सरकार अपनी पूर्व में की गई 100 करोड की बजट घोषणा से जेब भरके दक्षिण हरियाणा की जीवन दायिनी इस नहर का जिक्र करना भी भुल गई तथा राजनीतिक फुटबाल बनी एम्स व अहीर रेजिमेंट का जिक्र तक न करना इनकी क्षेत्रिय भेदभाव की सोच को उजागर करता है।

महिला कांग्रेस नेत्री ने कहा की जिस प्रकार से इन्होनें बजट को बेहतरीन होने का ढोल पीटा उससे तो लगा की वो ढोल इनका फट गया। उन्होनें खट्टर सरकार के बजट को मुंगेरीलाल के हसीन सपनों वाला बताते हुए कहा कि सपने बचने वाले जुमलेबाजों ने गौ माता के नाम पर भी झूठ की राजनीति ही कि है, ये गौशालाओं के नाम बजट तो आवंटित करती है किंतु बाद में इस पैसे से अपने चहेतों की जेबें ही भरती है, तभी तो सैंकड़ों नंदीशालाएं खोलने के बावजूद सड़कों पर गायों की तादाद कम नही हो रही।
वर्मा ने कहा कि सीएम खट्टर ने अपने दिशाहीन छः साल के कार्यकाल में प्रदेश को करोडों के कर्जे में डुबो दिया। सीएम द्वारा वित्तमंत्री के रूप में पेश किए गए इस बजट में से कुल बजट का 60 प्रतिशत कर्मचारियों को वेतन देने में खर्च हो जाएगा वहीं इसका 20 प्रतिशत प्रदेश पर चढ़े कर्ज के ब्याज में चला जायेगा, शेष बचे 20 प्रतिशत में जनता को हसीन सपने दिखा कर बेवकूफ बनाया जाएगा।

हरियाणा सरकार द्वारा पेश किए गए इस बजट में अनुसूचित जाति के लोगों, महिलाओं, किसानों तथा विद्यार्थियों के लिए भी कोई नई योजना इस बजट में नही है। इसलिए ये बजट सभी वर्गों के लिए निराशाजनक ही है।

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