-कमलेश भारतीय पांच राज्यों के चुनाव अनुमान क्या सामने आये कि रणनीतिकारों ने कमान संभाल ली । कैसी कमान ? बिना परिणाम के ही तैयारियां सरकार बनाने की । पहले खबर आई थी कि पंजाब कांग्रेस प्रत्याशियों को राजस्थान व छत्तीसगढ़ में भेज दिया गया है । इसी तरह ‘आप’ के लोगों को दार्जिलिंग की सैर पर भेजा गया है । अब नयी खबर यह है कि देहरादून में भाजपा के रणनीतिकार कैलाश विजयवर्गीय ने पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के घर डेरा डाल दिया है ताकि त्रिशंकु सरकार बनने की आशंका हो जाये तो कांग्रेस या अन्य दलों के नेताओं को अपने पाले में लाकर सरकार बनायी जा सके । उत्तराखंड में अनुमान यह बता रहे हैं कि भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर है । पंजाब में आप और कांग्रेस में तो गोवा में भी त्रिशंकु सलकार के आसार बताये गये हैं । उत्तर प्रदेश में वैसे तो समाजवादी पार्टी के चर्चे हैं लेकिन अनुमान भाजपा के ही वापस आने की बात कह रहे हैं । अब अनुमान तो अनुमान ठहरे । फिर भी हरियाणा में कहते हैं कि संभाल तो रखनी ही चाहिए और हर दल अब अपने अपने प्रत्याशियों को चुनाव परिणाम से पहले ही संभालने लगे हैं । यह खेल सन् 2014 के बाद से बहुत तेजी से लोकप्रिय हुआ है । अब यह खेल बिना परिणाम के ही शुरू होने लगा और पहले भाजपा किसी दल को समझने और संभलने का मौका ही नहीें देती थी और विरोधी दल सरकार बनाते बनाते विपक्ष में जा बैठता था लेकिन अब हर दल इस खेल को समझ कर अपनी अपनी रणनीति बनाने लगा है और कहीं न कहीं भाजपा देखती रह जायेगी । ऐसा लग रहा है । महाराष्ट्र में यही हुआ और आज तक पछता रही है भाजपा की आधा आधा राज ही मान लेते तो क्या हर्ज था । अब पछताये होत क्या जब शरद पवार ले उड़े सरकार । कोई कह रहा है कि ये परिणाम कांग्रेस के जी 23 समूह में जान डाल देंगे और इसमें शामिल नेताओं को हाईकमान को कोसने का सुनहरी अवसर मिल जायेगा । कांग्रेस पंजाब में सत्ता खो सकती है । यह बहुत बड़ा झटका होगा । और ये हालात खुद कांग्रेस हाईकमान ने पैदा किये सिर्फ छह माह पहले कैप्टन अमरेंद्र सिंह को नवजोत सिद्धू के कहने पर हटा कर । नहीं तो कांग्रेस ही वापसी करती । अब पछताये होत क्या , जब अरविंद केजरीवाल जीतने जा रहे खेत यानी यहां मैदान । उत्तराखंड और गोवा में भी आप के प्रत्याशी हैं और वे किसके पक्ष में जायेंगे जीतने पर कहना जल्दबाजी होगी । उत्तर प्रदेश में बसपा अपना आधार खोने जा रही है और कांग्रेस को भी प्रियंका गांधी की कोशिशों का ज्यादा फल मिलता दिखाई नहीें देता । बेशक इस बार समय से जुट गयी थी लेकिन पार्टी का ढांचा ही खड़ा नहीं कर पाईं । सिर्फ नारों से क्या होगा ? जिन्हें टिकट दिये वे भी दूसरे दलों में भविष्य तलाशने चले गये । ऐसी बुरी हालत है कांग्रेस की । जो रायबरेली में अदिति सिंह विधायक थी वह भी भाजपा में शामिल हो गयी । ऐसे ऐसे दलबदल से कांग्रेस और बसपा बिल्कुल नीचे से किसे हरायेगीं यह देखना दिलचस्प होगा । अब रणनीतिकारों का खेल देखिए । बयानबाजी और कयासबाजी छोड़िए ।-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation उत्तर प्रदेश चुनावों के परिणाम चौंकाने वाले होंगे ! प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगा बजट 2022-23 : डॉ कमल गुप्ता