..उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 पर विशेष श्रृंखला-3

-अमित नेहरा

उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 14 फरवरी को 9 जिलों सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, बदायूं और शाहजहांपुर, की 55 विधानसभा सीटों पर कुल 586 प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में बन्द हो गई। इस क्षेत्र में पश्चिमी यूपी के तीन और रुहेलखंड के 6 जिले आते हैं।

इन नौ जिलों में मुरादाबाद ग्रामीण, मुरादाबाद नगर, कुन्दरकी, बिलारी, चंदौसी, असमोली, संभल, सुआर, चमरुआ, बिलासपुर, रामपुर, मिलक, धनेरा, नौगाव सादत, बेहट, नाकुर, सहारनपुर नगर, सहारनपुर, देवबंद, रामपुर-मनिहरण, गंगोह, नाजिबाबाद, नगीना, बरहापुर, धामपुर, नेहटौर, बिजनौर, चांदपुर, नूरपुर, कांठ, ठाकुरद्वारा, अमरोहा, हसनपुर, गुन्नौर, बिसौली, सहसवान, बिलसी, बदायूं, शेखपुर, दातागंज, बहेरी, मीरगंज, भोजीपुरा, नवाबगंज, फरीदपुर, बिथारी चैनपुर, ओनला, कतरा, जलालबादतिहार, पोवायण, शाहजहांपुर और ददरौल नामक 55 विधानसभा सीटें हैं।

विधानसभा चुनाव 2017 में इस चरण वाली सभी 55 सीटों में से बीजेपी को 38, समाजवादी पार्टी को 15 और कांग्रेस को 2 सीटें मिली थीं जबकि बसपा कोई भी सीट नहीं जीत पाई थी। उस समय कांग्रेस व सपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था। इस बार बीजेपी, सपा, बसपा और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि सपा ने गठबंधन के तहत 52 सीटों पर जबकि रालोद ने तीन सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं।

सबसे महत्वपूर्ण और मजेदार बात यह है कि इस चरण में 54 सीटों पर भाजपा और एक सीट पर अपना दल (सोनेलाल) के उम्मीदवार मैदान में है और अपना दल (सोनेलाल) ने अपना एकमात्र उम्मीदवार एक मुस्लिम को बनाया है। जबकि बीजेपी ने अपने कमल के निशान पर कोई भी मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा नहीं किया है।

दूसरे चरण के 55 विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है। इसलिए हर पार्टी ने मुसलमानों को रिझाने का हर सम्भव प्रयास किया। यही वजह रही कि इस चरण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सहारनपुर में 11 फरवरी को हुई रैली में कर्नाटक के हिजाब विवाद को उत्तरप्रदेश चुनाव से जोड़ दिया। मोदी ने कहा कि मेरी तारीफ में मुस्लिम बहनों के बयान को देखकर इन ठेकेदारों को लगा कि इन बेटियों को रोकना होगा। ये ठेकेदार मुस्लिम बहन-बेटियों का हक रोकने और उनकी आकांक्षाओं को रोकने के लिए नए-नए तरीके खोज रहे हैं। वो लोग मुस्लिम बहनों को बरगला रहे हैं, ताकि मुस्लिम बेटियों का जीवन हमेशा पीछे ही रहे। हमारी सरकार, हर मजलूम, हर पीड़ित मुस्लिम महिला के साथ खड़ी है। मोदी ने कहा कि कोई मुस्लिम महिलाओं पर जुल्म न कर सके, योगी सरकार इसके लिए जरूरी है। जाहिर सी बात है नरेन्द्र मोदी किसी भी तरह मुस्लिम वोटरों को बीजेपी की तरफ आकर्षित करने का प्रयास कर रहे थे। लेकिन मोदी की इस अपील से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 30 जनवरी 2022 को धमकी दे चुके थे कि “ये गर्मी जो अभी कैराना में और मुजफ्फरनगर में कुछ जगह दिखाई दे रही है न… …मैं मई और जून की गर्मी में भी ‘शिमला’ बना देता हूँ…”

योगी, यहीं नहीं रुके उन्होंने दूसरे चरण की वोटिंग से ऐन पहले एक और बयान दे दिया “लड़ाई अब 80 और 20 की हो चुकी है, जो लोग सुशासन और विकास का साथ देते हैं वो 80 फीसदी भाजपा के साथ हैं।”

इन दोनों बयानों को एक वर्ग विशेष के खिलाफ माना गया। लेकिन इस तरह के बयानों के खिलाफ कोई खास प्रतिक्रिया नहीं हुई। उससे बीजेपी के मनमुताबिक कोई खास एजेंडा बन नहीं पाया।

इसकी वजह एक ही थी, हाल ही में एक साल से ज्यादा समय तक चला किसान आंदोलन। यह क्षेत्र भी पहले चुनावी चरण की तरह मूलतः किसानी क्षेत्र है। किसानों ने नारा दे रखा था कि ‘जिन्ना हारेगा-गन्ना जीतेगा’ और हुआ भी वही। मतदाताओं ने किसी धार्मिक या जातीय समीकरण को सीरियसली नहीं लिया। अतः कहा जा सकता है कि उत्तरप्रदेश के इस दूसरे चरण में भी वोटिंग पहले चरण के पैटर्न पर ही हुई। जाहिर सी बात है कि जहाँ इससे सत्ताधारी पार्टी की चिंता बढ़ी है, वहीं सपा-रालोद गठबंधन अपने आपको आरामदायक स्थिति में पा रहा है। रही बात कांग्रेस की वह तो किसी तरह अपने आपको मैदान में बनाये रखने के लिए हाथ-पैर मारती दिखाई दे रही है, ऐसा ही हाल बीएसपी का भी है। कहने को तो ओवैसी की एएमआईएमआई भी यहाँ चुनाव लड़ रही है मगर मतदाताओं ने उसे भी कोई खास तवज्जो नहीं दी। लगता तो यही है कि 2022 के मतदान के इस चरण में चुनावी नतीजे 2017 से बिल्कुल अलग होंगे।

अगर मतदान के प्रतिशत को देखा जाए तो इन 55 सीटों पर 62.52 प्रतिशत मतदान हुआ है जबकि 2017 के चुनाव में यहाँ 65.53 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। इस तरह से इस बार तीन प्रतिशत कम वोटिंग हुई है। गौर करने की बात है कि 2017 के चुनाव में जब मतदान के प्रतिशत में इजाफा हुआ था तब इसका सियासी फायदा बीजेपी को मिला था। वहीं, सपा और बसपा को नुकसान उठाना पड़ा था। अब देखना है कि ये प्रतिशत वोटों की कमी किसको कितनी सीटें दिलाती हैं और किसको तरसाती हैं। काबिलेगौर है कि इस चरण में बीजेपी नेताओं की बॉडी लैंग्वेज से लगा नहीं कि उनमें कोई खास उत्साह है।

चलते-चलते

ये यूपी है मेरी जान!

दूसरे चरण की वोटिंग के दौरान गजरौला में एक पीठासीन अधिकारी मतदान को छोड़ गुटखा लेने चला गया। मतदाताओं की शिकायत पर एसडीएम धनौरा मौके पर पहुंचे। उन्होंने गायब रहे पीठासीन अधिकारी से नाराजगी जताते हुए उन्हें हिदायत दी। पूरी घटना यह थी कि तिगरी गांव के जूनियर हाईस्कूल में एक मतदान केंद्र बना हुआ था। मंडी धनौरा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत तिगरी के जूनियर हाईस्कूल में मतदान चल रहा था कि अचानक पीठासीन अधिकारी गायब हो गया। अतः काफी देर तक मतदाताओं की पंक्ति आगे नहीं बढ़ी तो पता चला कि पीठासीन अधिकारी अपनी सीट पर ही नहीं है। जिससे हड़कंप मच गया। ये सूचना एसडीएम अरुण कुमार को दी गई। तभी पीठासीन अधिकारी भी गुटखा लेकर वापस आ गया। एसडीएम ने उससे नाराजगी जताई और भविष्य में उसे ऐसा नहीं करने की हिदायत भी दे दी।

जारी…….(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक, लेखक, समीक्षक और ब्लॉगर हैं)

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