मनुष्य के द्वारा जीवन में अपने हाथों किया गया दान ही श्रेष्ठ माना गया.
साधु-संत, तपस्वी, सन्यासी ही हैं सनातन संस्कृति के रक्षक और वाहक.
यज्ञ-हवन, महायज्ञ, अनुष्ठान से होता है जन-जन सहित जीव कल्याण.
महंत लक्ष्मण गिरि गौशाला बूचावास में पांच दिनी श्रीनारायण महायज्ञ

फतह सिंह उजाला

पटौदी । यज्ञ-हवन, दान-धर्म, पुण्य कर्म, बुजुर्गों की सेवा, मात-पिता का आज्ञा पालन जैसे संस्कार केवल भारतीय सनातन संस्कृति की ही देन हैं । सही मायने में यज्ञ-हवन, दान-धर्म, पुण्य कर्म, गौ सेवा, जीव सेवा हमारे अपने सनातन संस्कार की जड़ और मजबूत स्तंभ है।ं अपने स्वयं के हाथों से किया गया दान जीवन में श्रेष्ठ दान माना गया है। वेद पुराणों और शास्त्रों में भी तीन प्रकार से दान का वर्णन और इसका पुण्य बताया गया है। साधु-संत, तपस्वी, ऋषि-मुनि और सन्यासी का जीवन केवल और केवल संस्कृति, संस्कार, धर्म-कर्म की परंपरा को अनवर चलाएं रखने के लिए ही समर्पित होता है। यह बात हरियाणा भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व शिक्षा मंत्री प्रोफेसर रामबिलास शर्मा ने दक्षिणी हरियाणा की महंत लक्ष्मण गिरि गौशाला बुचावास परिसर में आयोजित पांच दिवसीय श्रीनारायण महायज्ञ के समापन के मौके पर हवन कुंड में पूर्ण आहुति अर्पित करने के उपरांत उपस्थित श्रद्धालुओं के बीच में कहीं।

इससे पहले प्रोफेसर रामबिलास शर्मा ने यहां महंत लक्ष्मण गिरि गौशाला बुचावास परिसर में श्रीमती शकुंतला देवी इसराना महेंद्रगढ़ के द्वारा अपने पति स्वर्गीय श्री राधेश्याम शर्मा, ससुर स्वर्गीय श्री हरद्वारी लाल एवं सास स्वर्गीय श्रीमती संतरा देवी की याद में बनवाए गए भव्य सत्संग भवन का लोकार्पण किया। इस मौके पर गौशाला के संचालक एवं महाकाल संस्थान के अधिष्ठाता अज्ञातवास को प्रस्थान कर चुके महामंडलेश्वर ज्योति गिरी के शिष्य महंत विट्ठल गिरी, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ओम प्रकाश यादव, पूर्व मंत्री विक्रम यादव, विजय मुरथला कोसली, अश्वनी शर्मा, कनीना और महेंद्रगढ़ के एसडीएम व अन्य विशेष रुप से मौजूद रहे।

मात-पिता का सदैव आदर करें
इस भव्य और दिव्य श्रीनारायण महायज्ञ के मौके पर पूर्व शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा ने कहा कि हमें जीवन में अपने मात-पिता का सदैव आदर करना चाहिए, बुजुर्गों की सेवा करते हुए उनके अनुभवों को जीवन में आत्मसात करना चाहिए। साधु-संत, ऋषि, मुनि, महात्मा, तपस्वी, सन्यासी के द्वारा वेद-पुराणों, धर्म ग्रंथ में वर्णित, दिए जाने वाले ज्ञान का भी अवश्य लाभ उठाना चाहिए । उन्होंने कहा मानव जीवन बहुत सौभाग्य से मिलता है । भारतीय जीवन पद्धति भी पूरी तरह से धर्म-कर्म तथा सनातन संस्कारों पर ही आधारित है। उन्होंने कहा आग लगी आकाश में जल-जल पड़े अंगार, साधु संत नहीं होते तो जल जाता संसार। इन चार पंक्तियों में ही अध्यात्म का और हमारे अपने जीवन का गूढ़ रहस्य भी समाहित है। इस मौके पर महंत लक्ष्मण गिरि गौशाला के संचालक महंत विट्ठल गिरी महाराज ने कहा कि आध्यात्मिक ज्ञान देने वाले गुरु का स्थान सर्वश्रेष्ठ माना गया है। केवल और केवल गुरु के द्वारा दिए गए ज्ञान से ही परमपिता परमेश्वर अथवा परमात्मा को प्राप्त किया जाना संभव है। उन्होंने बताया श्रीनारायण महायज्ञ में धर्म नगरी काशी से पहुंचे आचार्य पंडित विशाल शास्त्री, पंडित रंजीत शुक्ला, पंडित विद्यांचल शास्त्री, पंडित शुभम शास्त्री द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के द्वारा 1 लाख 60 हजार आहुतियां सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय तथा समाज, राष्ट्र में भाईचारा एकता अखंडता के निमित्त सभी देवी देवताओं को प्रत्यक्ष मान अर्पित की गई। उन्होंने कहा इस दिव्य और भव्य महायज्ञ से पर्यावरण शुद्ध होगा, विभिन्न प्रकार के रोग अथवा बीमारियों का निवारण होगा। वही सबसे अधिक आत्मिक और आध्यात्मिक शांति सहित बल भी प्राप्त होगा।

गाय, जननी, जन्मभूमि का अनादर नही करें
महंत विट्ठल गिरी महाराज ने कहा हमें अपने जीवन में तीन माता, गौ माता, जननी और जन्मभूमि का कभी भी अनादर नहीं करना चाहिए। इस धार्मिक अनुष्ठान में खारा खेड़ी फतेहाबाद से स्वामी सच्चिदानंद गिरी, हरि नगर एवं हुसैनपुरा रेवाड़ी से स्वामी मुकुंद गिरी, सालावास के महंत गोपाल गिरी, अटेली के एमएलए सीताराम यादव, पूर्व राज्यसभा सांसद सुशील कुमार गुप्ता, एसडीएम सुरेंद्र सिंह, एसडीएम दिनेश कुमार, युवा भाजपा नेता यतेंद्र राव, प्रवीण व्यास बोहड़ाकला, रामजीवन मित्तल, गीतांजलि शर्मा, दलीप सिंह, दयाशंकर तिवारी, शिव कुमार अग्रवाल, महावीर सिंह, गुरदयाल सिंह, मयंक खेड़ा, पूर्व सरपंच मयंक पाथेड़ा, सुजान सिंह नंबरदार ,शिव कुमार, सुशील कुमार सहित अनेक श्रद्धालु मौजूद रहे।

श्रीनारायण महायज्ञ में पूर्ण आहुतियां
बुधवार को प्रातः काल श्रीनारायण महायज्ञ में पूर्ण आहुतियां अर्पित किया जाने से पहले अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्म स्थली पर भव्य राम मंदिर निर्माण के उपलक्ष पर विभिन्न हिंदू संगठनों के युवाओं के द्वारा भोजावास से बुचावास तक भगवा ध्वज लिए विशाल मोटर साइकिल यात्रा भी निकाली गई । इस दौरान जय श्री राम-जय श्री राम, हर हर महादेव, जय महाकाल-जय महाकाल, धर्म की जय हो-अधर्म का नाश हो जैसे जयघोष से वातावरण गूंजता रहा । महंत बिठ्ठल गिरी महाराज ने श्रीनारायण महायज्ञ के समापन के मौके पर भगवान श्री गणेश और माता श्री लक्ष्मी से सभी श्रद्धालुओं के यहां मौजूद रहने की प्रार्थना करते हुए अन्य देवी-देवताओं से अपने-अपने स्थान पर विसर्जन का विनम्र आग्रह करते हुए सभी के कल्याण की कामना की। इसी मौके पर श्रद्धालुओं के लिए भंडारा का आयोजन कर प्रसाद वितरण किया गया।

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