12 फरवरी 2022 – क्रांतिकारी, समाज सुधारक, परम वैदिक विद्वान एवं आर्य समाज के प्रवर्तक महर्षि दयानंद सरस्वती की जयंती पर स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने अपने कार्यालय में उनके चित्र पर पुष्पाजंली अर्पित करके उन्हे नमन किया। कपिल यादव, अजय कुमार, अमन यादव, कुमारी वर्षा, प्रदीप कुमार ने भी स्वामी दयानंद सरस्वती को अपने श्रद्धासुमन अर्पित किये। विद्रोही ने कहा महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे क्रांतिकारी समाज सुधारक, युग प्रवर्तक, परम वैदिक विद्वान सदियों में एक-आध बार जन्म लेते है। स्वामी जी ने आर्य समाज की स्थापना करके देश-दुनिया में पाखंडवाद, साम्प्रदायिकता व धर्म के नाम पर चलने वाली दुकानों के खिलाफ ऐसा शंखनाद किया जिससे पूरी मनुवादी व्यवस्था हिल गई थी और शोषित, वंचित, कमेरे वर्ग में भारी चेतना पैदा हुई और उनमें पांखड, अंधविश्वास, सामाजिक कुरूतियों से लडने का जोश पैदा हुआ।                  

 विद्रोही ने कहा कि जब मनुवादी ताकतों का वर्चस्व था और धर्म के नाम पर पांखड चरम पर था, तब महर्षि दयानंद सरस्वती ने धार्मिक मठाधीशों को ना केवल खुली चुनौती दी अपितु हिन्दू धर्म, सभ्यता, संस्कृति और वेदों के ज्ञान का सही परिचय देश-दुनिया को दिखाया। सत्यार्थप्रकाश पुस्तक लिखकर स्वामी जी ने ऐसा ज्ञान दुनिया को दिया जिसके चलते लोग धर्म व अधर्म में अंतर समझकर लोग मानवतावादी बने। मूर्ति पूजा के खिलाफ शंखनाद करके स्वामी जी ने पांखडियों पर चोट करके ईश्वर की सही व्याख्या व वेदों का सही ज्ञान आमजनों तक पहुंचाने का जो अभियान शुरू किया, उसी के परिणाम स्वरूव पिछड़े, दलितों, आदिवासियों, मेहतनकशों ने पांखड, धार्मिक गैरबराबरी, छुआछूत के खिलाफ लडने की जो शक्ति पैदा हुई। आज उसी का परिणाम है कि धार्मिक-सामाजिक रूप से शोषित तबका आज भी बराबरी व सभी समान है, इस अवधारणा के लिए लड़ रहा है।     

 विद्रोही ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा स्थापित आर्य समाज के अनुयायियों की न केवल समाज सुधारने में विशेष योगदान रहा है अपितु आजादी आंदोलन में भी आर्य समाजी सदैव आगे रहे है। आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जिस तरह साम्प्रदायिक उन्माद, नफरत, बटवारे की धु्रवीकरण राजनीति करके समाज को बाट व तोड़ रहा है व पांखड फैलाकर मनुवादी व्यवस्था को पुर्नर्जीवित करने का जो कुप्रयास कर रहा है, उसके खिलाफ स्वामी दयानंद सरस्वती से प्ररेणो लेकर आर्य समाजियों को फिर से संघर्ष करने का संकल्प आज स्वामी जीे की जयंती पर लेने की जरूरत है।