प्रशासक ने संभाला चार्ज लेकिन अभी अध्ययन कर रहे
थोड़े समय में प्रिंसिपल बदलते गये
असंवैधानिक प्रिंसिपल कैसे , सरकार से पूछो
समझौते के आसार नहीं

कमलेश भारतीय

हिसार के जाट काॅलेज के बाहर धरना दे रहे 112 एक्सटेंशन लैक्चरर्स का धरना आज चौथे दिन भी जारी रहा । दूसरी ओर सामाजिक व राजनैतिक प्रतिनिधियों का समर्थन भी बढ़ता जा रहा है । आज समर्थन देने वालों में जाट काॅलेज के पूर्व प्राध्यापक राजबीर मोर , अत्तर सिंह व मनदीप मलिक , भाकियू से रणबीर सिंह मलिक , हवा सिंह झाजड़िया , आप की हांसी इकाई से मनोज राठी , रामबिलास जांगड़ा, माकपा से दिनेश सिवाच , सामाजिक तौर पर बलराज सिंह मलिक व करतार सिंह मलिक , किसान संघर्ष समिति से भरत सिंह , सर्वकर्मचारी संघ से सुरेन्द्र मान , सिंचाई विभाग से रामपाल धारीवाल , भारतीय किसान संघर्ष समिति से विकास सीसर आदि शामिल थे । जाट बीएड काॅलेज के एक्सटेंशन लैक्चरर्स भी धरने में शामिल हुए ।

प्रशासक ने संभाला कार्यभार : इसी बीच अतिरिक्त उपायुक्त स्वप्निल पाटिल ने प्रशासक के तौर पर जाट काॅलेज का कार्यभार तो संभाल लिया लेकिन अभी सारे मामले का अध्ययन करने का समय ले रहे हैं । उसके बाद ही कोई कार्यवाही करने का आश्वासन दिया है एक्सटेंशन लेक्चरर्स को ।

असंवैधानिक प्रिंसिपल कैसे ? जाट काॅलेज की कार्यवाहक प्रिंसिपल डाॅ नीलम लांबा से जब पूछा कि आपको असंवैधानिक प्रिंसिपल कहते हटाये जाने की मांग भी शामिल है तो उनका जवाब था कि असंवैधानिक कैसे ? यह सवाल तो सरकार से किया जाये , मुझसे क्यों ?

जल्दी जल्दी बदलते प्रिंसिपल : उल्लेखनीय है कि जाट काॅलेज से आई एस लाखलान के प्रिंसिपल पद से सेवानिवृत्ति के बाद से जल्दी जल्दी प्रिंसिपल बदलते जा रहे हैं जिससे माहौल अच्छा नहीं रहा । पहले बलवीर सिंह प्रिंसिपल बने लेकिन सेवानिवृत हो गये । फिर प्रेम सिह बने लेकिन अपने निजी कारणों से पद छोड़ दिया । फिर आर एस धांगड़ प्रिंसिपल बने जिनका मामला कोर्ट में है और दिसम्बर से डाॅ नीलम लाम्बा कार्यवाहक प्रिंसिपल हैं ।

लगातार चौथे दिन भी धरने प्रदर्शन के बावजूद कोई समझौते के आसार नजर नहीं आ रहे । क्या आपके पास कोई ऐसी पेशकश आई ?

इसके जवाब में डाॅ नीलम लाम्बा ने कहा कि कुछ किसान समिति के प्रतिनिधि मिलने आए थे और पांच प्रतिनिधियों से बात करने का सुझाव रखा था और सहमति भी दे दी थी लेकिन कोई प्रतिनिधिमंडल नहीं आया ।

इन सब बातों से ऐसा लग रहा है कि यह संघर्ष लम्बा चल सकता है ।

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