-सेकेंडरी शिक्षा निदेशक, सिविल सर्जन भिवानी व डीईओ भिवानी को किया नोटिस, 28 फरवरी को होगी सुनवाई -स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने दी थी आयुक्त को शिकायत -डीईओ भिवानी अजीत सिंह ने गणित अध्यापक रहते हुए बनवाया था सीएमओ कार्यालय से दिव्यांग प्रमाण पत्र -प्राचार्य की भर्ती में भी दिव्यांग कोटे से किया था आवेदन, आरटीआई की जानकारी में सीएमओ कार्यालय ने बताया रिकार्ड उपलब्ध नहीं भिवानी, 06 फरवरी। पहले से ही धोखाधड़ी के मामलों से घिरे भिवानी के जिला शिक्षा अधिकारी की मुश्किलें अब और बढ़ गई हैं। क्योंकि फर्जी प्रमाण पत्र बनवाने के मामले की जांच अब खुद हरियाणा राज्य दिव्यांग आयुक्त करेंगे। हरियाणा राज्य दिव्यांग जन आयुक्त राजकुमार मक्कड़ ने जिला शिक्षा अधिकारी अजीत सिंह को दिव्यांग प्रमाण पत्र मामले में दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 के सेक्शन 80 और 82 के तहत नोटिस देकर तलब किया है। वहीं इस मामले में दिव्यांग जन आयुक्त ने हरियाणा स्कूली शिक्षा निदेशक सेकेंडरी व भिवानी के सिविल सर्जन को भी नोटिस जारी किया है। आयुक्त मामले की सुनवाई 28 फरवरी को करेंगे। स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने मामले की शिकायत हरियाणा राज्य दिव्यांग जन आयुक्त के समक्ष की थी। इससे पहले उन्होंने भिवानी सिविल सर्जन कार्यालय से भी आरटीआई में अजीत सिंह को जारी किए गए दिव्यांग प्रमाण पत्र से जुड़ी जानकारी मांगी थी, जिसके जवाब में सिविल सर्जन कार्यालय ने इसका रिकार्ड उपलब्ध नहीं होने की बात कही है। जिसके बाद इस मामले में सिविल सर्जन भिवानी कार्यालय के स्वास्थ्य अधिकारियों की मिलीभगत की भी आशंका बनी है। स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने हरियाणा राज्य दिव्यांग जन आयुक्त राजकुमार मक्कड़ को दी शिकायत में आरोप लगाया कि अजीत सिंह ने 30 जुलाई 1996 को राजकीय उच्च विद्यालय छपार राघढाण में बतौर गणित अध्यापक के पद पर कार्यरत रहते हुए भिवानी सिविल सर्जन कार्यालय से दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाया गया। विद्यालय में कार्य करते हुए इस प्रमाण पत्र के जरिए दिव्यांग भत्ता भी लिया। अजीत सिंह ने प्राचार्य पद के लिए 2002 में सीधी भर्ती के लिए हरियाणा लोक सेवा आयोग चंडीगढ़ में आवेदन दिव्यांग कोटे से किया। बृजपाल सिंह परमार ने सिविल सर्जन कार्यालय से सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत अजीत सिंह व अन्य को जारी दिव्यांग प्रमाण पत्र से जुड़ी जानकारी मांगी गई। जिसमें अजीत सिंह के दिव्यांग प्रमाण पत्र से संबंधित कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं होने का जवाब दिया है। बृजपाल सिंह परमार का आरोप है कि अजीत सिंह को फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी किए जाने में सिविल सर्जन कार्यालय भिवानी के स्वास्थ्य अधिकारियों की भी सीधी मिलीभगत की आशंका है। क्योंकि इन स्वास्थ्य अधिकारियों ने अजीत सिंह के दिव्यांग नहीं होने के बावजूद भी उन्हें दिव्यांग सर्टिफिकेट जारी किया है। तीन सप्ताह में देना होगा शपथ पत्र बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि उनकी शिकायत पर हरियाणा राज्य दिव्यांग जन आयुक्त राजकुमार मक्कड़ ने कड़ा संज्ञान लेते हुए सेकेंडरी शिक्षा निदेशक के साथ साथ भिवानी सिविल सर्जन को भी नोटिस दिया है। जबकि जिला शिक्षा अधिकारी अजीत सिंह को नोटिस देकर जवाब तलब किया है। जिसकी 28 फरवरी को सुनवाई होगी। उनकी शिकायत पर अजीत सिंह को आयोग के समक्ष नोटिस प्राप्ति के तीन सप्ताह बाद शपथ के साथ अपना जवाब देना होगा। इस जवाब से शिकायतकर्ता को भी अवगत कराना होगा। इसके बाद आयुक्त ने शिकायतकर्ता को यह भी स्वतंत्रता दी है कि इस पर दो सप्ताह में अपना रिमांइडर आयुक्त को दे सकता है। बृजपाल सिंह ने दिव्यांग जन आयुक्त के समक्ष यह भी मांग उठाई है कि अजीत सिंह का दोबारा से चंडीगढ़ पीजीआई में विडियोग्राफी की निगरानी में मेडिकल भी कराया जाए। जिसके बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। Post navigation किसान, कमेरे के मसीहा दीनबंधु चौधरी छोटूराम की जयन्ती पर नमन एवं बसंत पंचमी की दी हार्दिक शुभकामनाएं, डाक्टर गाफिल ने अपने गजल संग्रह गर याद रहे लता मंगेशकर को समर्पित किया