एनजीटी द्वारा गठित जांच कमेटी ने अंतरिम रिपोर्ट में माना डाडम पहाड़ में किया गया खनन अवैध और अवैज्ञानिक था: अभय सिंह चौटाला

एनजीटी और माइनिंग विभाग द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का पूरी तरह से किया गया था उल्लंघन
खनन माफिया पूरे प्रदेश मेंं भाजपा सरकार के संरक्षण में काम कर रहा है
भाजपा सरकार को तुरंत खनन कंपनी का ठेका रद्द कर उनके व दोषी खनन विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए

चंडीगढ़, 5 फरवरी: इंडियन नेशनल लोकदल के प्रधान महासचिव एवं ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला ने कहा कि भिवानी के डाडम स्थित पहाड़ में हुए हादसे के कारणों का पता लगाने के लिए एनजीटी द्वारा बनाई गई जांच कमेटी के चेयरमैन जस्टिस प्रीतम पाल सिंह ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में माना है कि डाडम पहाड़ में अवैज्ञानिक और अवैध खनन हुआ था जिस कारण से पांच लोगों की जान चली गई और कई लोग घायल हो गए थे। जस्टिस प्रीतम पाल सिंह ने एनजीटी को दी अंतरिम रिपोर्ट में माना है कि जब उन्होंने विशेषज्ञों के साथ घटनास्थल का दौरा किया तो पाया गया कि खनन के दौरान खननकर्ताओं द्वारा डाडम पहाड़ में किया गया खनन अवैध और अवैज्ञानिक था। एनजीटी और माइनिंग विभाग द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार कोई भी खनन कर्ता निर्धारित की गई गहराई से अधिक और अलॉट किए गए क्षेत्र के बाहर खनन नहीं कर सकता, साथ ही जंगल के क्षेत्र में भी खनन नहीं कर सकता। लेकिन इस मामले में सभी दिशा-निर्देशों का पूरी तरह से उल्लंघन किया गया था।

अभय सिंह चौटाला ने कहा कि खनन माफिया पूरे प्रदेश में भाजपा सरकार के संरक्षण में काम कर रहा है। विधानसभा में वह पहले भी कई बार अवैध खनन का मुद्दा उठा चुके हैं। पूरे प्रदेश में खनन माफियाओं द्वारा खुलेआम अवैध खनन किया जा रहा है। डाडम गांव के लोगों ने खनन ठेकेदारों पर अवैध खनन और गुंडागर्दी करने के गंभीर आरोप लगाए हैं जिससे यह सिद्ध होता है कि खनन माफियाओं को भाजपा सरकार का संरक्षण प्राप्त है। खनन के इस खेल में खनन माफिया और सरकार में बैठे लोग हजारों करोड़ रुपए डकार गए हैं। अवैध खनन कर डाडम पहाड़ को खोद कर पाताल में मिला दिया गया है। अवैध खनन के दौरान पहले भी कई हादसे हुए हैं जिसमें लोगों की जाने जा चुकी है लेकिन अवैध खनन का खेल बदस्तूर जारी है।
अभय सिंह चौैटाला ने मांग करते हुए कहा कि भाजपा सरकार को तुरंत खनन कंपनी का ठेका रद्द कर उनके व दोषी खनन विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।

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