उमेश जोशी हरियाणा में प्राइवेट नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण देने के सरकार के फैसले पर रोक लगने से प्रदेश के उद्योगों ने राहत की साँस ली है। साथ ही, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के रोक लगाने के फैसले से खट्टर सरकार के मंसूबों पर पानी फिर गया है। सरकार युवकों को रोजगार देने का वायदा कैसे पूरा कर पाएगी। विपक्ष का मानना है कि हरियाणा बेरोज़गारी के मामले में पिछले तीन साल से सर्वोच्च स्थान पर है। सरकारी विभागों में बेरोजगारों की इतनी बड़ी फौज को काम मुहैया कराना नामुमकिन है। प्राइवेट सेक्टर में नौकरियां देकर सरकार अपनी छवि सुधारना चाहती थी लेकिन अब यह रास्ता भी बंद हो गया। रोजगार माँगने वाले युवकों को अब सरकार क्या जवाब देगी। हालांकि जब खट्टर सरकार ने जब मार्च 2021 में यह अधिसूचना जारी की थी तभी उद्योगों ने भारी विरोध किया था। हरियाणा के उद्योग जगत से जुड़े लोगों की दलील थी कि हरियाणा में काम करने वाले 70 प्रतिशत लोग बाहर से आते हैं और सिर्फ 30 प्रतिशत हरियाणा से हैं। लेकिन सरकार इसका उल्टा करने के लिए बोल रही है। इन सभी सवालों से दीगर बड़ा सवाल यह है कि क्या प्राइवेट सेक्टर में स्थानीय लोगों को आरक्षण देना संवैधानिक है? क्या राज्य सरकार ऐसा कर सकती है? संविधान के आर्टिकल 19 के मुताबिक हर नागरिक देश में कहीं भी जाकर किसी भी तरह की नौकरी, व्यापार करने का अधिकार रखता है। हमारे देश में राज्यों की नागरिकता की कोई व्यवस्था नहीं है। राज्य ऐसा कोई प्रतिबंध लागू नहीं कर सकते जिससे एक से दूसरी जगह जाने, किसी पेशे को अपनाने और व्यवसाय करने की स्वतंत्रता खत्म होती हो। उद्योग निकायों ने साफ साफ कहा था कि आरक्षण प्रतिस्पर्धा को रोकता है लिहाजा स्थानीय भर्ती को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार उद्योगों को 25 प्रतिशत सब्सिडी दे सकती है। उद्योग जगत का मानना था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के विजन के साथ हमें ऐसी प्रतिबंधात्मक प्रथाओं को बिल्कुल भी बढ़ावा नहीं देना चाहिए। भारतीय उद्योग जगत ने राज्य सरकार से कहा कि इस फैसले की वजह से हरियाणा में काम कर रही कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां राज्य से बाहर चली जाएंगी इसलिए हरियाणा सरकार को अपने फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए। लेकिन खट्टर सरकार अपने फैसले पर अडिग रही इसलिए उद्योगों को पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट की शरण में जाना पड़ा था। प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण लागू करने के मकसद से हरियाणा राज्य स्थानीय व्यक्ति रोजगार अधिनियम 15 जनवरी 2020 को लागू किया गया था। इसकी अधिसूचना मार्च 2021 में जारी कर दी गई थी। इस फैसले पर भारतीय उद्योग जगत बिल्कुल भी खुश नहीं था।हाई कोर्ट ने हरियाणा डोमिसाइल जॉब रिजर्वेशन पर रोक लगा दी है। हरियाणा सरकार के प्राइवेट नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण लागू करने के फैसले के खिलाफ हरियाणा उद्योग संघ ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। Post navigation हरियाणा पुलिस ने व्यापारी से 10 लाख की रंगदारी मांगने के मामले में तीन को किया गिरफ्तार हरियाणा में निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत रोजगार आरक्षण मामला, हरियाणा सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट