यह ( अमर अकबर एंथनी ) तीन नेता है पूर्व मंत्री और मौजूदा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु और पूर्व मंत्री रामविलास शर्मा।

धर्मपाल वर्मा

चण्डीगढ़। भारतीय जनता पार्टी के हरियाणा के कई नेता बेशक प्रदेश की राजनीति में अपनी चमक खोते जा रहे हैं परंतु हाल में पांच राज्यों के साथ उत्तर प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनावों में वे संकटमोचक बनकर अपनी राजनीति को चमकाने और हाईकमान में अपनी पैठ बढ़ाने के प्रयास में लगे हुए है।यहां उन्हें मुख्यमंत्री मनोहर लाल के हस्तक्षेप का अंदेशा भी नही रहेगा। उत्तर प्रदेश में इस बार भाजपा कुछ संकट में बताई गई है। वहां भाजपा से जाट नाराज है तो ब्राह्मण भी नाराज हैं। इसलिए हरियाणा के दो जाट नेता और एक ब्राह्मण नेता को विशेष तौर पर उत्तर प्रदेश भेजा गया है। इन नेताओं को हाईकमान के कारण उनके उत्तरप्रदेश के कार्यकलापों की कवरेज हरियाणा में मुफ्त में प्राप्त हो रही है। यह तीन नेता है पूर्व मंत्री और मौजूदा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ।
हरियाणा में राजनीति में रुचि रखने वाले लोग इस बात को अच्छे से समझ रहे हैं कि हरियाणा में भाजपा की दूसरी बार सरकार बनने के बाद बेशक सरकार बैसाखियों पर चल रही है, गठबंधन के आधार पर चल रही है लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल इतने मजबूत हो गए हैं कि उनके सारे विरोधी एक तरह से राजनीति के हाशिए पर आ गए हैं खासतौर पर वे जो जनाधार की कमी के बावजूद मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बनकर चलते रहे हैं। इनमें से दो तो एक ही बार बड़ी मुश्किल से विधायक बन पाए और एक ऐसे हैं जो हार की हैट्रिक के बाद एक बार जरूर जीते पर अगली बार फिर हार गए।

मुख्यमंत्री मजबूत इच्छाशक्ति क व्यक्ति हैं और विरोधियों पर पूरी नजर रखते हैं ।उपरोक्त तीन पूर्व मंत्रियों ने अपनी ड्यूटी अलग-अलग जगह लगवा रखी है  या लगाई गई है ।ओमप्रकाश धनखड़ मथुरा में विद्यमान है ।जाहिर है उस क्षेत्र में भी जाटों की अच्छी संख्या है परंतु पूरे उत्तर प्रदेश में मथुरा एकमात्र ऐसा विधानसभा क्षेत्र है जहां कांग्रेस के एकमात्र उम्मीदवार के चुनाव जीतने की गारंटी दी जा रही है। यदि इन परिस्थितियों में भी मथुरा से भाजपा का उम्मीदवार नहीं जीत पाया तो फिर ओमप्रकाश धनखड़ किस तरह का बयान देकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर पाएंगे, यह वक्त बताएगा।

श्री धनखड़ जिंदगी में एक चुनाव जीत पाए हैं वह भी विधानसभा का। पिछला चुनाव भी हार गए और अब उत्तर प्रदेश में स्थिति को बदलने पहुंच गए हैं। मथुरा क्षेत्र के मतदाताओं को जब यह पता चलता है कि हरियाणा के यह नेता ऐसे ऐसे चुनाव हार कर आए हैं और यूपी में भाजपा को मजबूत करने की कवायद पर काम कर रहे हैं तो वह क्या महसूस करेंगे इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। श्री धनखड़ को एक लाभ जरूर हो रहा है कि अब उनके प्रेस नोट उत्तर प्रदेश से जारी हो रहे हैं और हरियाणा के अखबारों में छप रहे हैं । आज के हालातों को देखते हुए तो यह उनके लिए बड़ी बात है। वैसे भी श्री धनखड़ आजकल हरियाणा से बाहर कार्यक्रम करने को प्राथमिकता देते आ रहे हैं। अब मथुरा जाकर कृष्णमयी हो राधे राधे करेंगे तो कोई तो लाभ होगा ही । देखना यह है कि उनके साथ पुरुषों के अलावा महिलाओं की टीम भी गई है या नहीं।

वैसे भाजपा ने हरियाणा में हारे हुए व्यक्ति को ही प्रधान (प्रदेश का) नहीं बनाया है बल्कि पीछे हुए संगठन के चुनाव में जिलों के प्रधानों की बागडोर भी ज्यादातर उन्हीं लोगों को सौंप दी गई जो अपने अपने चुनाव हार चुके थे। जबकि पहले ऐसी मान्यता थी कि भारतीय जनता पार्टी में चुनाव हार चुके लोगों को कोई अहमियत नहीं मिलती है।कहा भी जाता था कि भाजपा में जो हार गया वह बाहर गया।

प्रोफेसर रामविलास शर्मा और श्री धनखड़ में आजकल गाढी छनती है और इसका कारण भी मुख्यमंत्री मनोहर लाल को बताया जा रहा है।

रामविलास शर्मा भी चुनाव हार चुके हैं और उत्तर प्रदेश में मतदाताओं को भाजपा और जीत का संदेश देने पहुंचे हुए हैं। उनके भी प्रेस नोट हरियाणा में छपते हैं तो पाठकों को पता चल जाता है कि वह यूपी के मतदाताओं को क्या संदेश दे रहे हैं। 2014 के चुनाव के समय में मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। लगातार तीन चुनाव हार कर चौथी बार जीते थे परंतु मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। मनोहर लाल का थोड़ा विरोध भी किया परंतु बात बनी नहीं ।अब जब से मनोहर लाल दूसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं, हरियाणा की राजनीति में साइड लाइन होकर रह गए। वे हरियाणा में मुख्यमंत्री विरोधी मुहिम की मजबूत कड़ी के रूप में देखे जाते हैं परंतु ओमप्रकाश धनखड़ के साथ ज्यादातर वे लोग देखे जा रहे हैं जो मुख्यमंत्री के विरोधी माने जाते हैं । इसका मतलब आसानी से समझा जा सकता है।

हरियाणा के पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने भी 2019 के चुनाव में यह साबित कर दिया कि हरियाणा में वित्त मंत्री रहते कोई नेता आज तक चुनाव नहीं जीत पाया । कैप्टन अभिमन्यु को लेकर उनके विरोधी एक प्रचार पर लगे रहते हैं कि वे विधानसभा या लोकसभा का चुनाव तो नहीं जीत पाएंगे लेकिन राज्यसभा के लिए उपयुक्त उम्मीदवार रहेंगे ।जुलाई में 2 सीटों के लिए राज्यसभा का चुनाव होना है तो उन्हें इसके लिए प्रयास करना चाहिए।

वह भी उत्तर प्रदेश चुनाव में पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कमान संभालते अपने बड़े पक्षधर गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठकों पर बैठक कर रहे हैं। उनकी उत्तर प्रदेश में महत्वपूर्ण रिश्तेदारी भी हैं परंतु लोग सवाल करते हैं कि क्या कैप्टन अभिमन्यु जो हरियाणा में चुनाव नहीं जीत पाए उत्तर प्रदेश में कोई असर छोड़ पाएंगे । यह अलग बात है कि कैप्टन अभिमन्यु भी खुद को सरकार का नहीं संगठन का व्यक्ति बताते हैं परंतु अब हरियाणा में तो संगठन और सरकार मनोहर लाल ही चला रहे हैं ,यह बात अच्छे से समझी जा सकती है ।

अब कैप्टन अभिमन्यु के पास एक मौका उत्तर प्रदेश में कुछ करके दिखाने का है। यदि वे इस काम में सफल होते हैं तो यह उनके लिए महत्वपूर्ण बात होगी और धीरे-धीरे जैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हालात बदल रहे हैं भाजपा मजबूत हो रही है उससे कैप्टन अभिमन्यु को कुछ न कुछ क्रेडिट तो मिल ही जाएगा। वह हरियाणा में ज्यादा काम नहीं कर पा रहे तो यूपी में तो कर ही सकते हैं ।वैसे कैप्टन साहब भाजपा के पंजाब में सह प्रभारी भी रह चुके हैं परंतु उनकी रूचि मौजूदा चुनाव में पंजाब से ज्यादा यूपी में ही नजर आ रही है। अब देखते हैं कि हरियाणा के यह अमर अकबर एंथनी उत्तर प्रदेश के चुनाव में कितने सक्षम साबित होगे और हाईकमान की नजरों में अपने क्रेडिट को बढ़ाने में कितने सफल होंगे ।

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