राज्य को बिना एक धेले की अतिरिक्त सहायता देने वाला बजट 2022 हरियाणा के विकास को पंख लगाएगा ऐसा बेशर्मी भरा महाझूठ कोई संघी ही पेल सकता है : विद्रोही
बजट में एमएसपी पर फसलों का खरीद का बजट वर्ष 2021 की तुलना में 11 हजार करोड रूपये कम कर दिया।

02 फरवरी 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि बजट 2022 में हरियाणा को एक धेले की भी आर्थिक सहायता नही मिलने पर भी हरियाणा के संघी कठपुतली मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर जुमला उछाल रहे है कि इस बजट से हरियाणा के विकास पर पंख लगेंगे। विद्रोही नेे कहा कि राज्य को बिना एक धेले की अतिरिक्त सहायता देने वाला बजट 2022 हरियाणा के विकास को पंख लगाएगा ऐसा बेशर्मी भरा महाझूठ कोई संघी ही पेल सकता है। हरियाणा की रेल, सडक़ सहित नागरिक आधारभूत ढांचे के लिए बजट 2022 घोर निराशाजनक रहा है। वहीं किसान बाहुल्य हरियाणा व देशभर के किसानों के लिए यह बजट धोखाधड़ी वाला ऐसा बजट हैे जिसमें किसानों को जुमलों से ठगकर उनके साथ बहुत बडी धोखाधडी की है। यह हालत तो तब है कि जब किसानों ने 378 दिनों तक दिल्ली में बडा किसान आंदोलन किया जिसमें 700 से ज्यादा किसान शहीद हुए। किसानों को ठगकर व झूठे वादों से किसान आंदोलन तो प्रधानमंत्री मोदी ने खत्म करवा दिया पर वे किसानों को धोखा देने व किसानों को लूटकर पूंजीपतियों की तिजौरियां भरने की अपनी कुनीति से बाज नही आये जो संसद में प्रस्तुत बजट 2022 मे ंसाफ दिख रहा है।

विद्रोही ने कहा कि एक ओर दावा किया गया है किसानों की ज्यादा फसले एमएसपी पर खरीदी जायेगी जबकि बजट में एमएसपी पर फसलों का खरीद का बजट वर्ष 2021 की तुलना में 11 हजार करोड रूपये कम कर दिया। वहीं खादे सबसिडी में पिछले वर्ष की तुलना में 35 हजार करोड़ रूपये की कटौती करके रासायनिक खादों की कीमते बढाने का रास्ता साफ करके कृषि लागत बढाकर किसान पर कृषि कर्ज बोझ बढाने का प्रबंध भी कर दिया। वहीं महंगाई दर 7 प्रतिशत बढी है जबकि कृषि बजट में पूर्व की तुलना में 2.7 प्रतिशत व प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में मात्र 0.74 प्रतिशत की बढोतरी बजट में करके मोदीजी ने साफ संदेश दे दिया कि किसानों की आय दोगुना करना मात्र एक जुमला है। वस्तुत: किसानों की आय बढने की बजाय घटेगी और उस पर बैंक कृषि ऋण बोझ बढेगा। मोदीजी की सत्ता आने के बाद विगत 8 सालों में यहीं हो रहा है। किसान आय लगातार घट रही है और कृषि बैंक ़ऋण बोझ बढ रहा है।

विद्रोही ने कहा कि इसी तरह खेतिहर मजदूरों को आर्थिक राहत देने वाली मनरेगा योजना का बजट पूर्व की तुलना में 25 हजार करोड़ रूपये घटाया, वहीं गरीब भूख रहे इसका भी प्रबंध किया। पूर्व की तुलना में फूड सबसिडी का बजट 80 हजार करोड़ रूपये घटाकर गरीब जिए या मरे, यह भगवान के रहमो-करम पर छोड दिया गया। इसी तरह रोजगार के लिए भटक रहे 4.27 करोड़ बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने का प्रबंध न करके जुमलों, कल्पनाओं में रोजगार देकर युवाओं के भविष्य के साथ क्रूर खिलवाड किया गया है। सीएमआईई अनुसार जनवरी 2022 में जहां देश में बेरोजगारी औसत दर 6.6 प्रतिशत रही, वहीं हरियाणा 23.4 प्रतिशत बेरोजगारी दर के साथ आज भी देशभर में सिरमौर राज्य है। जब देश मं किसान व युवा दोनो का भविष्य, जीवन-मरण रामभरोसे छोडकर केवल पूंजीपतियों की तिजौरियां भरने में मोदी-संघी सरकार आमदा हो तो सहज अनुमान लगा ले कि किसान, मजदूर, मेहनतकश व युवा की इस सूट-बूट की मोदी सरकार में क्या दुगर्ति बनने वाली है।