सरकार दावा कर रही है कि यह अमृतकाल है, पर इस अमृतकाल का फायदा किन्हे मिल रहा है, यह समझ से परे है।
मोदी सरकार ने पूंजीपतियों की तिजौरी भरने कारपोरेट टैक्स को 18 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत किया,
बजट में इस वर्ष 60 लाख नये रोजगार देने का जुमला तो उछाला है, पर उक्त रोजगार कहां से आयेंगे और किन क्षेत्रों में सृजित होंगे,
किसानों के लिए जुमलेबाजी तो की गई है, पर उसकी आय बढ़े, इसके लिए कुछ भी नही हैै।

01 फरवरी 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने मोदी सरकार के संसद में प्रस्तुत किये 2022-23 के बजट को आमजन के लिए निराशाजनक व उनकी परेशानी उठाने वाला और पूंजीपतियों की तिजौरी भरने वाला ऐसा बजट बताया जो काल्पनिक बजट है और जिसका धरातल की वास्तविकता से दूर-दूर तक कोई वास्ता नही है। विद्रोही ने कहा कि इस बजट से जहां महंगाई बढ़ेगी वहीं बेरोजगारी की समस्या का कोई समाधान नही होगा। मोदी सरकार ने पूंजीपतियों की तिजौरी भरने कारपोरेट टैक्स को 18 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत किया, लेकिन आमजन व नौकरीपेशा लोगों को आयकर में पैसेभर की कमी न देकर साफ जता दिया कि सूट-बूट की मोदी-संघी सरकार अपने सूट-बूट वाले मित्रों की तिजौरी कैसे भरेे, यह उनकी प्राथमिकता है। पर गरीब, आमजन, नौकरीपेशा व्यक्ति सुलभता से जी सके और अच्छा भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य पा सके, यह मोदी सरकार की प्राथमिकता नही है। बजट में इस वर्ष 60 लाख नये रोजगार देने का जुमला तो उछाला है, पर उक्त रोजगार कहां से आयेंगे और किन क्षेत्रों में सृजित होंगे, इसका कोई रोडमैप नही है। 

विद्रोही ने कहा कि इस समय देशभर में 3 करोड़ 3 लाख युवा रोजगार के लिए भटक रहे है और इनमें भी 95 प्रतिशत बेरोजगार 29 वर्ष से कम आयु के है। वहीं 1.24 करोड़ ऐसे युवा है जो रोजगार न मिलने पर हताश होकर घर बैठे होने बाद भी रोजगार ही नही मांग रहे। वस्तुत: आज 4.27 करोड़ युवा बेरोजगार है और इनमें भी 1.18 करोड बेरोजगार युवा ग्रेजुएट है। पिछले वर्ष देश के 84 प्रतिशत नागरिकों की आय कम हुई है और 4.6 करोड़ नागरिक गरीबी रेखा से नीचे चले गए। दुनिया के 116 देशों में भूखमरी में भारत का नम्बर 104वां है। ऐसे विकट हालातों में बेरोजगार, गरीब व भूखमरी को दूर करने का दूर-दूर तक कोई रोडमैप नही है। किसानों के लिए जुमलेबाजी तो की गई है, पर उसकी आय बढ़े, इसके लिए कुछ भी नही हैै। मोदी सरकार ने एमएसपी पर ज्यादा फसले खरीदने का वादा तो किया है, पर एमएसपी किसान को मिले, इसकी कोई व्यवस्था नही है। वहीं पूर्व वर्ष की तुलना में एमएसपी का बजट घटा दिया फिर किसानों की ज्यादा फसलों की एसएसपी पर खरीद कैसे होगी, यह समझ से परे है। बजट में दावा किया गया है कि 2022-23 जीडीपी ग्रोथ 9.27 प्रतिशत होगी, पर कटु सत्य यह है कि कोरोना काल के बाद आज जीडीपी 2019-20 के बराबर भी नही पहुंची है। केवल जुमलेबाजी करके जीडीपी ग्रोथ बढा दी गई है।

विद्रोही ने कहा कि जहां बजट 2022-23 का प्रस्तुत किया गया है और जुमलेबाजी से इस बजट को 25 साल बाद ब्लू प्रिंट बताया गया है जो एक क्रूर मजाक है। सरकार दावा कर रही है कि यह अमृतकाल है, पर इस अमृतकाल का फायदा किन्हे मिल रहा है, यह समझ से परे है। कुल मिलाकर वर्ष 2022-23 का बजट महंगाई, बेरोजगारी बढाने वाला व आमजनों के लिए आर्थिक संकट लाने वाला ऐास बजट हे जिसकी न कोई गति है और न ही विकास की कोई संभावना है। सरकार के बजट में किये गए किसी भी दावे को जमीनी धरातल की आर्थिक स्थिति पुष्टि नही करती। यह बजट जुमलेबाजी से जनता को मूर्ख बनाकर ठगने वाला है ऐसा बजट है जिससे पता चलता है कि विगत 8 सालों के मोदी राज की तुगलकी आर्थिक नीतियों व सोच ने देश को ऐसी आर्थिक बर्बादी पर लाकर खड़ा कर दिया है, जिससे आमजनों, किसान, मजदूरों, मेहनतकश, युवाओं के लिए बड़े कठिनाईभरे दिन आने वाले है। वहीं पूंजीपतियों की तिजौरियां और भरेगी।

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