भाजपा के नेताओं को देनी पड़ रही लिखित में दरखास फिर भी नहीं हो रही कोई कार्यवाही

भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल । यूं तो भाजपा सरकार को लेकर भक्तों को सरकार के खिलाफ कोई बात नहीं सुहाती और वह समाचार लिखने वाले पत्रकार या सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने वाले व्यक्ति पर चील कौवे की भांति टूट पड़ते हैं। मजेदार बात यह है कि आज भी भले ही भारतीय जनता पार्टी भ्रष्टाचार मुक्त शासन का दावा करती हो लेकिन जिला प्रशासन जिला महेंद्रगढ़ में लगातार भाजपा के इन दावों ठेंगा दिखाने में लगा है ।मास्क के नाम पर सजग नगर परिषद के अधिकारी व कर्मचारी शहर में घूम रहे आवारा नंदी और गायों को लेकर उदासीन क्यों है? 

इसका ताजा उदाहरण नगर परिषद क्षेत्र के नगर परिषद क्षेत्र में नगर परिषद के द्वारा आवारा गोवंश से मुक्ति दिलाने के लिए टेंडर किया गया था। टेंडर के दौरान रेट भी निर्धारित किए गए थे। निविदा के अनुसार शहर में आवारा गोवंश घूम रहा है उसको गौशालाओं या नंदी शाला तक पहुंचाया जाना था। यह निविदा ही असल में मुट्ठी गर्म करने का एक साधन है। 

जिला महेंद्रगढ़ में भाजपा के शीर्ष नेताओं को दरकिनार किया जा रहा है और प्रशासन हर क्षेत्र में अपनी मनमानी करने में लगा है। या तो प्रशासनिक अधिकारियों की सरकार में उच्च स्तर पर पकड़ है या फिर राजनेता प्रभावहीन है। इसका सहज ही अंदाजा आप इन दो शिकायतों से अंदाजा लगा लेंगे जो कि भारतीय जनता पार्टी के खुद के नेता के द्वारा की गई है। शिकायत उपमंडल अधिकारी को भी की गई लेकिन हफ्ता बीत जाने के बाद भी कार्यवाही के नाम पर बाबाजी का ठुल्लू।

माफ करना यहां सब खेला हो रहा है। गोवंश के नाम पर भी व्यापार हो रहा है क्योंकि बिल तो लगातार बन रहे हैं आवारा गोवंश को गौशाला तक पहुंचाने के। जबकि हकीकत क्या है सब जिलेवासी भली भांति जानते हैं ।नारनौल शहर के किसी मोहल्ले किसी गली किसी बाजार से गुजर जाइए आपको कहीं ना कहीं आवारा गोवंश या नंदी या तो गंदगी में मुंह मारता नजर आएगा या फिर आपस में लड़ते हुए दिखाई देंगे। इन आवारा नंदियो के चलते शहर कई बार वृद्ध वह महिलाओं को चोटिल होना पड़ा है। जिसे नए केवल जनता को नुकसान हो रहा है बल्कि खुद गोवंश भी कूड़े के ढेर से पॉलिथीन खाकर काल की भेंट चढ़ा रहा है।

मजेदार बात तो यह है की जिला प्रशासन के अधिकारी मजे से बिलिंग कर रहे हैं और कहीं ना कहीं यह कहें कि ठेकेदार के माध्यम से खुद भी मजे लूट रहे हैं। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण शहर में कुछ ऐसे गोवंश भी देखे जाते हैं जिनके कानों पर टैग लगा हुआ है। टैग का मतलब उन्हें पहले अंदर किया जा चुका है। फिर आखिर उन्हें बाहर कैसे छोड़ दिया जाता है। उसके बाद फिर उन्हें पकड़ने के नाम पर पैसे लिए जाते हैं । यह अंदर बाहर का काम बड़ा सहज है और इसी काम के नाम पर पैसे बनाए जा रहे हैं।कहने को तो एक छोटा सा काम है लेकिन प्रति गोवंश एक  हजार रुपए लगभग के हिसाब से ठेकेदार को दिया जाता है। बाकी नगर परिषद की कहानी से तो आप भले बाकी वाकिफ है।मतलब साफ है कि अब तो गोवंश के नाम पर भी घर बनाए जा रहे हैं । गौ को माता और नंदी को शिव का वाहन मानने वाले भाजपा के लोग इनकी दुर्दशा देख आंखें बंद किए हुए हैं। मजेदार बात तो यह है कि  भारतीय जनता पार्टी के एक नेता की लिखित शिकायत के बाद भी अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। मतलब कहीं ना कहीं अफसरशाही हावी है उसे कोई खौफ नहीं है। सरकार और पार्टी की नीतियों का वह जमकर मजाक ही नही उड़ा रहे अपितु अपनी मनमर्जी कर रहे हैं। 

ये बिचारे नेता राज्य मंत्री के नजदीकी भी माने जाते हैं। अपने हर कार्यक्रम में राज्य मंत्री को भी बुलाते हैं। बावजूद उसके उनकी सुनवाई नहीं हो रही तो आम जनता की क्या सुनवाई होगी ? क्योंकि यहां तो खेला जो चल रहा है।देखते हैं गुप्तचर विभाग के अधिकारी, मुख्यमंत्री के गुड गवर्नेंस के लोग (सुशासन सहयोगी) और जनप्रतिनिधि यह बात मुख्यमंत्री तक पहुंचाते हैं या नहीं? कि आखिर क्यों सरकार की छवि को धूमिल करने में यहां जिला प्रशासन पूरी मेहनत करके लगा हुआ है ? इस बात पर ध्यान हमारे राज्य मंत्री और क्षेत्र के विकास पुरुष को भी देना चाहिए क्योंकि यह उनका अपना गृह जिला भी है।

इस समाचार से कट्टर भगत और खट्टर मोदी के अनुयाईयो को विचलित होने के बजाय ऐसा कदम उठाना चाहिए ताकि यह निकृष्ट अधिकारी और कर्मचारी जो सरकार की नीतियों का जमकर मखौल उड़ा रहे हैं उनका कैसे इलाज किया जाए इसका इंतजाम हो।

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