जब तक नेताजी बोस व सरदार पटेल आजादी आंदोलन, राजनीतिक जीवन व सार्वजनिक जीवन में अपना निधन होने तक सक्रिय रहे, तब तक संघी इन महान नेताओं का पुरजोर विरोध करते रहे : विद्रोही

17 जनवरी 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाय कि हरियाणा भाजपा आजादी आंदोलन के संघी पापों को छिपाने स्वतत्रंता सेनानियों के नाम पर औच्छी व गन्दी राजनीति करके लोगो को गुमराह करने का कुप्रयास कर रही है। विद्रोही ने भाजपा नेताओं को खुली चुनौती दी कि वे बताये कि अपने सात साल के राज में ऐसे कौनसे अनजान स्वतत्रंता सेनानियों को खोज पाई है, जिन्हे देश व इतिहास पहले से नही जानता हो और जनता जिनके आजादी आंदोलन में दिये योगदान से अनभिज्ञ हो? वस्तुत: भाजपाई-संघी स्वतत्रंता सेनानियों के सम्मान की आड में सत्ता दुरूपयोग से दो निशाने साधने का कुप्रयास कर रहे है। पहला निशाना यह है कि पूरा देश जानता है और इतिहास में दर्ज है कि आजादी आंदोलन के दौरान संघी अंग्रेजीे हुकूमत के दलाल, मुखबिर थे और स्वतत्रंता सेनानियों व क्रांतिकारियों के खिलाफ अंग्रेजी हुकूमत से मिलकर षडयंत्र रचते थे। अब भाजपाई सत्ता दुरूपयोग से अपने इस पाप को छुपाने, मिटाने के लिए इतिहास बदलने की फिराक में है जो संघीयों के लाख चाहने से भी होने से रहा। वहीं दूसरी निशाना यह है कि स्वतत्रंता सेनानियों के सम्मान के नाम पर संघ से जुड़े लोगों को भाजपा सत्ता दुरूपयोग से नकली स्वतत्रंता सेनानी खडा करने की फिराक में है।

विद्रोही ने भाजप से पूछा कि कांग्रेस से जुड़े स्वतंत्रता सेनानी नेताओं को अपना बताने की महाझूठ पेलने के अलावा उन्होंने अपने सात साल के राज मं ऐसे कौनसे अनाम स्वतत्रंता सेनानी को सम्मान के नाम पर सम्मान दिया है, उनकी सूची सार्वजनिक करने की हिम्मत दिखाये। लोह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के अनुयायी होने का ढोंग करने वाले संघी बताये कि वे कब से सरदार पटेल व नेताजी बोस के अनुयायी बने? जब तक नेताजी बोस व सरदार पटेल आजादी आंदोलन, राजनीतिक जीवन व सार्वजनिक जीवन में अपना निधन होने तक सक्रिय रहे, तब तक संघी इन महान नेताओं का पुरजोर विरोध करते रहे और उनकी मृत्यु के वर्षो बाद संघी रातो-रात अब महान नेताओं के अनुयायी व भक्त कैसे हो गए लगे हाथ यह भी बता दे। 

वहीं विद्रोही ने कहा कि चाहे हांसी के बलिदानी स्वतत्रंता सेनानी हुक्मचंद कानूनगो हो या मेवात स्वतंत्रता सेनानी हसन खां मेवाती रहे हो, प्रदेश की सरकार, आमजन इन महान स्वतत्रंता सेनानियों का बलिदान दिवस वर्षो से मनाकर इनके योगदान का सम्मान व गुणगान करती आई है। फिर भाजपा इनके नाम पर औच्छी रजनीति क्यों कर रही है? कटु सत्य यह है कि आजादी आंदोलन में संघीयों की कोई भूमिका नही, उनकी केवल यही भूमिका है कि वे अंग्रेजी हुकूमत के दलाल व मुखबिर थे और स्वतंत्रता सेनानियों व क्रांतिकारियों के खिलाफ अंग्रेजी हुकूमत से मिलकर षडयंत्र रचते थे। विद्रोही ने कहा कि संघी भाजपाई केन्द्र व राज्यों की सत्ता का दुरूपयोग से लाख जतन कर ले पर वे आजादी आंदोलन में संघीयों का देश विरोधी व अंग्रेजी हुकूमत प्रस्त चेहरा नही छिपा सकते व न ही संघी पाप उनका पीछा छोडऩे वाले। विद्रोही ने मीडियाकर्मियों से आग्रह किया कि वे भाजपाई-संघीयों के झूठे दावों को महत्व देने की बजाय उनसे पूछे कि आजादी आंदोलन में संघीयों की भूमिका क्या थी और सत्ता के सात साल में उन्होंने कौनसे अनाम स्वतत्रंता सेनानियों को खोजा है?

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