देहात में देसी घी का चूरमा और दाल बनी पहली पसंद.
शहरी क्षेत्रों में धर्मावलंबियों द्वारा भंडारा का प्रसाद वितरण.
परिवार में बड़े और बुजुर्गों का लिया गया आशीर्वाद

फतह सिंह उजाला

पटौदी । मकर सक्रांति का पर्व भारतीय सनातन परंपरा के मुताबिक ही बनाया गया। शुक्रवार को प्रातः काल से ही मंदिरों में देव दर्शन और देव पूजन का सिलसिला भी आरंभ हो गया। मूल रूप से मकर सक्रांति पर्व को देहात का पर्व माना जाता है , लेकिन इस दिन लोगों के द्वारा दिल खोलकर पुण्य के कार्य किए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि मकर सक्रांति के दिन किया गया दान , धर्म , पुण्य का फल सभी प्रकार की बाधाओं का हरण करते हुए जीवन में खुशहाली सहित तरक्की के मार्ग प्रशस्त करता है।

इसी कड़ी में देहात के क्षेत्र में परंपरा के अनुसार परिवार में अपने से उम्र में बड़े सभी बुजुर्ग पुरुषों और महिलाओं सहित रिश्ते में भी बड़ा स्थान रखने वाले महिलाओं और पुरुषों को विभिन्न प्रकार के उपहार भेंट कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। देहात में पहली पसंद देसी घी का चूरमा और दाल ही होती है । मकर सक्रांति के दिन देहात में सबसे अधिक परिवारों में चूरमा और दाल का ही आदान प्रदान करते हुए सेवन भी किया जाता है । कहावत भी है कि संक्रांत पर देसी घी का चूरमा नहीं मिला तो फिर कैसी संक्रांत ? दूसरी ओर शहरी क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर भंडारे का आयोजन कर भंडारे में विभिन्न प्रकार के पकवान बनाकर प्रसाद के रूप में इनका वितरण किया गया।

हेली मंडी नगर पालिका के पूर्व पार्षद अशोक सोनी के द्वारा हेली मंडी अनाज मंडी में विशेष रुप से भंडारा का प्रसाद मकर सक्रांति पर्व के उपलक्ष पर वितरित किया गया। इसी प्रकार से हेली मंडी के ही नवाबगंज बाजार में भी धर्मावलंबियों के द्वारा भंडारा का आयोजन कर कड़ाके की सर्दी में प्रसाद का वितरण किया गया। हालांकि शुक्रवार को मकर सक्रांति के दिन दिन भर आसमान में बादल छाए रहने से सूर्य देवता के दर्शन दिन ढलने तक नहीं होने के कारण अन्य दिनों के मुकाबले ठंडक भी अधिक ही बनी रही। फिर भी भारतीय सनातन संस्कृति के सबसे अधिक पुण्य कार्य पर्व मकर सक्रांति पर आम जनमानस का उत्साह और जोश कड़ाके की ठंड में भी गरम ही रहा। विभिन्न मंदिरों में बीती रात को भजन कीर्तन का भी आयोजन किया गया , श्रद्धालुओं के द्वारा मध्य रात्रि तक भजन कीर्तन कर देवताओं को प्रसाद का भोग लगाकर प्रातः काल इस प्रसाद का श्रद्धालुओं के बीच में वितरण किया गया ।

वही अनेक लोगों के द्वारा मकर सक्रांति के पर्व के मौके पर मूंगफली , गुड और तिल की बनी गजक व अन्य मिष्ठान का भी अपने जान पहचान वालों के अलावा रिश्ते नातेदारो में भेंट किया गया । अधिकांश लोगों के द्वारा शुक्रवार मकर सक्रांति के दिन प्रातः काल स्नान ध्यान के उपरांत सूर्य देव को अर्ध्य अर्पित करते हुए सभी के मंगलकारी जीवन और कोरोना  महामारी से मुक्ति की कामना भी की गई।