-कमलेश भारतीय पिछले दो साल से कोरोना का रोना हर कोई रो रहा है । क्या उद्योगपति , क्या मुम्बई फिल्मी दुनिया या फिर गरीब लोग सबसे सब कोरोना का रोना रोते हैं । क्या कोरोना से बड़ा कोई रोग है ? जी हां । है न अपना दलबदल रोग । कितनी बड़ी महामारी । कोरोना तो आता है और बीच बीच में चला भी जाता है लेकिन दलबदल ऐसा रोग है जो स्वतंत्रता के बाद से ही भारतीय राजनीति को घुण की तरह ऐसा लगा है कि लोकतंत्र की नींव हिलाकर रख दी है । अभी पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव आ गये हैं । चुनाव आयोग ने तिथियां भी घोषित कर दी हैं पर इन चुनावों से पहले ही दलबदल आ चुका है । पहल तो हमेशा भाजपा ही करती है और पंजाब के दो दो विधायक पार्टी के पाले में ले आई है । लेकिन यह भी पहली बार हुआ है कि भाजपा को बड़ा झटका लगा है उत्तर प्रदेश में जब इनके मंत्री महोदय स्वामी केशव प्रसाद मौर्य ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और अखिलेश यादव के साथ फोटो शूट करवाने निकल पड़े यानी समाजवादी पार्टी की टोपी पहनने वाले हैं । इनके साथ तीन और विधायकों ने भी भाजपा का स्थ छोड़ दिया । स्वामी प्रसाद मौर्य बसपा विधायक दल के नेता पद से इस्तीफा देकर भाजपा में आए थे और अब मंत्रीपद छोड़कर सपा में जा रहे हैं । क्या मौर्य के इस दलबदल को भाजपा के संकट और आ रहे विधानसभा चुनाव का कोई संकेत माना जाये ? क्या मौर्य भी रामबिलास पासवान की तरह हवा का रुख पहचानने में माहिर हैं ? जहां जाते हैं , सत्ता वहीं होती है । अभी इनकी बेटी भाजपा की सांसद है । राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष व महाराष्ट्र में शिवसेना व कांग्रेस के साथ गठबंधन करवाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने और भी चौंकाने वाला खुलासा करते बताया कि अभी भाजपा के तेरह और विधायक समाजवादी पार्टी में शामिल होंगे । यह भाजपा की रणनीति को आइना दिखाने जैसी घटना कही जा सकती है । भाजपा ने ही सन् 2014 से केंद्र में सत्ता में आने के बाद दलबदल को बढ़ावा दिया और इसके सहारे राज्यों की सत्ता पर कब्जा कर नारा दिया-कांग्रेस मुक्त भारत । क्या अब भाजपा मुक्त उत्तर प्रदेश बनने जा रहा है ? क्या भाजपा को उत्तर प्रदेश में हार का सामना करना पड़ेगा? क्या राम मंदिर और काशी विश्वनाथ अपना आशीर्वाद नहीं देंगे ? एक सूचना है कि राम नाम के पटके का ऑर्डर अब दूसरे दल भी देने लगे हैं यानी भाजपा को भाजपा की नीति में ही मात देने की तैयारी में हैं दूसरे दल । शरद पवार जल्द ही लखनऊ आकर राज्य के छोटे दलों को समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करवाने की कोशिश करेंगे । सपा के अध्यक्ष अखिलेश ने अपने चाचा शिवपाल सिंह से भी गठबंधन कर लिया और जयंत से भी । इस तरह शुरूआत हो चुकी । शरद पवार नये चाणक्य सिद्ध हो रहे हैं । इन सबके बावजूद यह कहना चाहता हूं कि दलबदल चाहे भाजपा करवाये या फिर सपा या आप या कोई भी राजनीतिक दल यह एक बहुत बड़ा रोग है जिसे मिटाने को कोशिश कोई दल नहीं कर रहा बल्कि सब बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं और यह लोकतंत्र को खोखला किये जा रहा है । अभी ताजा ताजा चंडीगढ़ नगर निगम में सत्ता पाई भाजपा ने इसी अस्त्र के सहारे तो बताओ कौन इसे मिटाने की कोशिश करेगा ?राजनीति है दलबदल रोगीअरे कोई तो बचाओ ,,,-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation स्वामी जी ने भारतीय सभ्यता, संस्कृति व दर्शन को पाश्चात्य जगत में पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई बीजेपी छोड़ने का ऐलान करनेवाले पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ एमपी-एमएलए कोर्ट का गिरफ्तारी वारंट जारी