भाजपा खट्टर सरकार एक सुनियोजित रणनीति के तहत गरीबों के संवैद्यानिक हकों को कुचलती रहती है : विद्रोही

भाजपा सरकार के लाख दावों के बाद भी शिक्षा अधिकार के नियम 134ए के तहत अभी तक पात्र बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला नही मिला है जबकि इस वर्ष का स्कूली शिक्षा सत्र समाप्त होने में मात्र ढाई माह का समय ही बचा है।

4 जनवरी 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा खट्टर सरकार एक सुनियोजित रणनीति के तहत गरीबों के संवैद्यानिक हकों को कुचलती रहती है। विद्रोही ने कहा कि मुख्यमंत्री खटटर जी गरीब हित की बात करके लोगों को ठगते है, पर अपने आचरण व सरकार के क्रियाक्लापों से गरीबों के हक छिनने की तिडकमे करते है। भाजपा सरकार के लाख दावों के बाद भी शिक्षा अधिकार के नियम 134ए के तहत अभी तक पात्र बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला नही मिला है जबकि इस वर्ष का स्कूली शिक्षा सत्र समाप्त होने में मात्र ढाई माह का समय ही बचा है। अब कोई भी सहज अनुमान लगा सकता है कि बचे हुए ढाई माह के शिक्षा सत्र कार्यकाल में कब नियम 134ए के तहत गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश मिलेगा और कब वे पढ़ाई करेंगे?

भाजपा खट्टर सरकार, हरियाणा शिक्षा विभाग व निजी स्कूल संचालकों की आपसी मिलीभगत का ही यह साईड इफेक्टस है कि हर रोज सरकार, प्रशासन व निजी स्कूल गरीब बच्चों को प्रवेश देने की तारीख देते है, पर दाखिला देते नही। विद्रोही ने कहा कि गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश देने की तारीख सांप की आंत की तरह बढ़ती जा रही है। मुठ्ठीभर बच्चों को नियम 134ए के तहत निजी स्कूलों में प्रवेश देकर इस शिक्षा सत्र में अधिकांश पात्र गरीब बच्चों को स्कूल दाखिले से वंचित करके सत्ता दुरूपयोग से उन्हे संवैद्यानिक हकों से वंचित कर दिया जायेगा।

विद्रोही ने आरोप लगाया कि इसी तरह सत्ता दुरूपयोग से ओबीसी वर्ग के युवाओं को सरकारी नौकरी में आरक्षण से वंचित करने की भाजपा खट्टर सरकार तिकडमे भिडाती रहती है। केन्द्र सरकार ने जहां स्वर्ण वर्ग के ईडब्ल्यूएस आरक्षण के लिए आय की वार्षिक सीमा 8 लाख रूपये निर्धारित कर रखी है जबकि हरियाणा में ओबीसी वर्ग के लिए क्रीमीलेयर सीमा भाजपा खट्टर सरकार ने 6 लाख रूपये वार्षिक तय कर रखी है। वहीं हरियाणा सरकार ने इंदिरा साहनी बनाम केन्द्र के 1993 के सुप्रीम कोर्ट के नौ सदस्यों की संवैद्यानिक पीठ के आदेश को तांककर पर रखकर खट्टर ने कृषि आय को भी 6 लाख रूपये वार्षिक क्रीमीलेयर में शामिल करके पिछडे वर्ग को आरक्षण देने की मूल संवैद्यानिक भावना को भी कुचल दिया। विद्रोही ने कहा कि पिछडे वर्ग के आरक्षण व शिक्षा अधिकार नियम 134ए के तहत गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिले में भाजपा खटटर सरकार का रवैया मुंह बोलता प्रमाण है कि वह पिछडा, दलित व गरीब विरोधी ऐसी सरकार है जो इन वर्गो के संवैद्यानिक हकों पर डाका डालने के लिए सत्ता दुरूपयोग से हर तिकडमे अपनाती है।

You May Have Missed

error: Content is protected !!