हेलीमंडी बनाम जाटौली मंडी मुद्दा……. जून 1990 में हाउस में जाटोली मंडी का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास

जाटौली मंडी नामकरण के लिए सीएम खट्टरर से मिला एक प्रतिनिधिमंडल.
प्रतिनिधिमंडल ने सीएम खट्टर को सौंपे गए सत्यापित तथ्यात्मक दस्तावेज.
वर्ष 1979 में जाटौली गांव को अपग्रेड करके नगरपालिका बनाया गया.
26 जून 1979 को नोटिफिकेशन में बदलकर हेलीमंडी कर दिया गया

फतह सिंह उजाला
पटौदी ।
 हेलीमंडी और जाटौली मंडी नामकरण का मुद्दा बीते कई वर्षों से गरम है । हेलीमंडी का नाम बदलकर जाटौली मंडी किया जाने के लिए स्थानीय निवासियों के द्वारा अनेकों बार धरना, प्रदर्शन, पंचायत, बैठक करते हुए सांसद, केंद्रीय मंत्री, एमएलए, सीएम, स्थानीय स्वशासन मंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपे जा चुके हैं । लेकिन नामकरण में बदलाव नहीं हो पा रहा है । विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी पटौदी के एमएलए और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मंत्री एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता के द्वारा भी हेली मंडी से हेली शब्द हटाकर जाटौली मंडी किया जाने के लिए मुद्दा सदन में उठाया गया था ।

हेलीमंडी का विरोध तथा जाटौली मंडी नामकरण के मुद्दे को लेकर आर्य समाज मंदिर समिति जाटौली के तत्वाधान में पूर्व पालिका चेयरमैन जगजीत सिंह, कप्तान जनक सिंह, पूर्व पार्षद मेहर चंद शास्त्री ,पालिका पार्षद अमित कुमार रिंकू , सतपाल चौहान सहित अन्य गणमान्य लोगों का प्रतिनिधिमडल हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर से मिला । प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात के दौरान उपलब्ध करवाई गई जानकारी सहित विभिन्न आधिकारिक सत्यापित दस्तावेज सौंपे जाने के उपरांत सीएम मनोहर लाल खट्टर ने इस मामले में गहरी रुचि दिखाई । इसका मुख्य कारण अंग्रेज अफसर हेली जोकि क्रूर ऑफिसर और शासक के रूप में कुख्यात था , वही हेली नाम हटाने का सीएम से अनुरोध किया गया । प्रतिनिधि मंडल के द्वारा सीएम खट्टर को सौंपे गए ज्ञापन में अवगत कराया गया है कि 1935 में हजारों साल पुराने जाटौली इलाके में अनाज मंडी आरंभ होने से पहचान जाटोली मंडी के रूप में ही स्थापित हुई । वर्ष 1979 में जाटौली गांव को अपग्रेड कर नगर पालिका का दर्जा दिया । लेकिन नोटिफिकेशन में गांव का नाम कथित साजिशन हेलीमंडी कर दिया गया । आज भी राजस्व रिकार्ड में जाटौली गांव ही दर्ज है।

प्रतिनिधि मंडल के द्वारा बताया गया कि जाटौली गांव की जमीन पर ही रेलवे स्टेशन और पास में ही एक छोटा सा बाजार बनाया गया था , जिसे हेलीमंडी नाम व्यापारियों के द्वारा दे दिया गया । अंग्रेज अधिकारी हेली का नाम जुड़ा होने के कारण आजादी के 70 वर्षों बाद भी गुलामी का प्रतीक चिन्ह हेली शब्द ऐतिहासिक गांव जाटौली के माथे पर कलंक बना हुआ है । वहीं सूत्रों के मुताबिक इस पूरे प्रकरण में सीएम को भी कुछ प्रभावशाली जनप्रतिनिधियों के द्वारा प्रेषित रिपोर्ट में गुमराह करते हुए लिखा गया कि रेलवे फाटक के पास अतीत में कोई हवेली होती थी और इसी हवेली की कारण ही हेली मंडी कहा जाने लगा । जबकि वास्तव में अंग्रेज अफसर हेली के नाम पर हेली मंडी नामकरण अंग्रेजी हुकूमत को खुश करने के लिए किया गया । प्रतिनिधिमंडल के द्वारा सीएम खट्टर को अवगत करवाया कि राजस्व रिकॉर्ड में भी मौजूदा नगरपालिका गांव जाटौली मंडी की जमीन पर ही आबाद है । लेकिन गूगल सहित सरकारी दस्तावेजों में से ऐतिहासिक गांव जाटौली का नाम गायब हो चुका है ।

सीएम खट्टर को यह भी याद दिलाया गया कि नई अनाज मंडी हेलीतमंडी का नामकरण भी उनके द्वारा ही जाटौली अनाज मंडी ही किया गया है । ऐसे में हेली मंडी नाम को हटाकर जाटौली मंडी की अधिसूचना जारी कर लोगों की भावना का सम्मान रखा जाए । प्रतिनिधि मंडल के मुताबिक इस पूरे प्रकरण में सीएम खट्टर के द्वारा भरोसा दिलाया गया है कि जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए हेली नाम हटाकर जाटौली मंडी नामकरण की प्रक्रिया आरंभ कर दी जाएगी।

You May Have Missed

error: Content is protected !!