हिंदी व्यंग्य का विश्वविद्यालय कहे जाने वाले प्रेम जनमेजय को अट्टहास शिखर सम्मान – 2020 देने की घोषणा से हिंदी जगत ही नहीं विभिन्न विधाओं के रचनाधर्मी भी प्रसन्न हुए हैं।

—रणविजय राव

प्रेम जनमेजय

हिंदी व्यंग्य का विश्वविद्यालय कहे जाने वाले प्रेम जनमेजय को अट्टहास शिखर सम्मान – 2020 देने की घोषणा से हिंदी जगत ही नहीं विभिन्न विधाओं के रचनाधर्मी भी प्रसन्न हुए हैं।उन्हें यह सम्मान 2 जनवरी को दिल्ली के हिंदी भवन में दिया जाएगा। सम्मान में 21 हज़ार की सम्मान राशि, स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र आदि दिया जाएगा।

व्यंग्य को एक गंभीर कर्म तथा सुशिक्षित मस्तिष्क के प्रयोजन की विधा मानने वाले डॉ प्रेम जनमेजय ने पिछले लगभग दो दशक से ‘व्यंग्य यात्रा ‘के सम्पादन द्वारा व्यंग्य विमर्श का एक सुदृढ़ मंच तैयार किया है। प्रेम जनमेजय की चर्चा के बिना हिंदी व्यंग्य पर बातचीत अधूरी है। शरद जोशी के बाद व्यंग्य नाट्य लेखन के खालीपन को उन्होंने भरा है। मुम्बई, गुजरात आदि विश्विद्यालयों के पाठ्यक्रम में इनकी रचनाएँ सम्मिलित हुई हैं।बर्दमान विश्विद्यालय, दक्षिण हिंदी प्रचार सभा,उच्च शिक्षा विभाग मद्रास,पं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर, जीवाजी विश्विद्यालय ग्वालियर आदि में शोध हो चुके हैं/हो रहे हैं।

हरिशंकर परसाई स्मृति सम्मान,शरद जोशी व्यंग्यश्री,दुष्यंत अलंकरण जैसे अनेक महत्वपूर्ण सम्मानों से सम्मानित प्रेम जनमेजय को 1990 में अट्टहास युवा सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।

2020 का “अट्टहास युवा सम्मान” प्रखर युवा साहित्यकार अनुज खरे जी को दिया जाएगा।

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